2008-10-15 16:53:08

विश्व वित्तीय संकट एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन का महत्वपूर्ण मुददा रहेगा

सातवां एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन 24 से 25 अक्टूबर को पेइचिंग में आयोजित होगा। चीनी सहायक विदेश मंत्री ल्यू च्ये इ ने 14 तारीख को पेइचिंग में कहा कि वर्तमान एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन की विभिन्न तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों व सरकारी शीर्ष नेताओं की संख्या ने पिछले किसी एक सम्मेलन में भाग लेने वालों की संख्या का एक नया रिकार्ड स्थापित किया है। उन्होने कहा कि वर्तमान विश्वव्यापी वित्तीय संकट के डावांडोल पृष्ठभूमि में विश्वव्यापी आर्थिक चुनौतियों का सामना करना, वित्तीय स्थिति को स्थिर रखना , इस बार के एशिया-यूरोप सम्मेलन शिखर सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण मुददा रहेगा ।

एशिया यूरोप सम्मेलन वर्ष 1996 में स्थापित हुआ था, वह एशिया व यूरोप के बीच सबसे उंची स्तरीय व सबसे बड़े पैमाने वाली सरकारों के बीच का मंच हैं, इस का लक्ष्य आपसी बातचीत के जरिए आपसी समझ व सहयोग को सुदृढ़ करना और एशिया-यूरोप के अर्थतंत्र व सामाजिक विकास के लिए हितकारी स्थिति तैयार करनी है, ताकि एक नवीन एशिया-यूरोप विश्व सहयोग साझेदार संबंध की स्थापना की जा सके। एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन एशिया यूरोप सम्मेलन की प्रक्रिया के दौर की सर्वोच्च स्तरीय गतिविधि है, जो प्रति दो वर्ष में एक बार एशिया व यूरोप में बारी बारी आयोजित की जाती है ।

इस माह की 24 तारीख को सातवां एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन पेइचिंग में उद्घाटित होगा। चीनी सहायक विदेश मंत्री ल्यू च्ये इ ने 14 तारीख को विदेश मंत्रालय में आयोजित देश विदेशों के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन के तैयारी कार्य को भारी महत्व देता है, वर्तमान सूचना, सुरक्षा व लाजिस्टिक सत्कार आदि पहलुओं के कार्यो की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। उन्होने कहा कि वर्तमान 38 देशों के राष्ट्राध्यक्षों व सरकारी नेताओं ने इस बार के सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि कर ली है, यह पिछले किसी भी सम्मेलन में भाग लेने की बराबरी में सबसे ज्यादा उपस्थिति होगी। उन्होने कहा अब तक 38 देशों के विदेशी राष्ट्राध्यक्षों व सरकारी नेताओं व एक राष्ट्र के उप प्रधान मंत्री, पांच देशों के विदेश मंत्रियों ने इस बार के सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि की है।

जानकारी के अनुसार, चीन हमेशा से एशिया-यूरोप सहयोग प्रक्रिया का स्थापक देश होने के साथ इस में रचनात्मक भाग लेने वाला देश भी है, चीन एशिया-यूरोप सहयोग व्यवस्था को गहराई की ओर ले जाने में संलग्न रहा है। 1996 में एशिया-यूरोप सम्मेलन की स्थापना के बाद से चीन के प्रधान मंत्री हरेक सम्मेलन में भाग लेते आए हैं और अनेक कारगर सुझाव भी पेश किए हैं। एशिया-यूरोप सम्मेलन की स्थापना के बाद कार्यान्वित 100 मुददों में 17 चीन द्वारा पेश किए गए मुददें रहे हैं।

इस बार का एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन वाल स्ट्रीट की वित्तीय संकट पूरी पृथ्वी में फैलने की नाजुक घड़ी में आयोजित किया जा रहा है। अन्ततः किस तरह एशिया-यूरोप सहयोग को सुदृढ़ कर विश्व वित्तीय संकट का सामना करना इस बार के सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण मुददा रहेगा। चीनी सहायक विदेश मंत्री ल्यू च्ये इ ने कहा कि एशियाई व यूरोपीय देश वर्तमान के वित्तीय संकट पर कड़ी नजर रखे हुए हैं, हमें विश्वास है कि एशिया व यूरोप के विभिन्न देशों के सदस्य इस बार के सम्मेलन मंच का इस्तेमाल कर सहयोग को प्रगाढ़ करने , पूंजी निवेशकों के हौसले को पुनरूत्थान करने की खोज में गहन विचार विमर्श करेगें, ताकि संकट का समान रूप से मुकाबला किया जा सके। उन्होने कहा आशा है कि सभी उपस्थित सदस्य देश पूरे प्रयासों से इस बार के सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट का सामना करने तथा अन्य अनेक क्षेत्रों में एशियाई व यूरोपीय देशों के विभिन्न सदस्यों के हितों व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समान हितों के परिणामों को हासिल करने में उम्दा ताल मेल रखेगी।

इस बार के सम्मेलन में एशियाई व यूरोपीय देशों के उपस्थित शीर्ष नेता प्राथमकि रूप से उर्जा , जल वायु परिवर्तन व अनाज सुरक्षा जैसे वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के आगे खड़ी भारी समस्याओं पर भी विचार विमर्श करेगें और विपत्ती राहत में सहयोग, अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय परिस्थिति, एशिया-यूरोप व्यापार व पूंजी निवेश का अनवरत विकास करने आदि सवालों को प्रेरित करने पर विचारों का व्यापक रूप से आदान प्रदान करेगें।

इस बार का सम्मेलन अनवरत विकास आदि वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के आगे खड़े आपात मुददों पर विचार विमर्श कर संबंधित दस्तावेज पारित करने के साथ सिलसिलेवार सहयोग सुझाव भी पेश करेगा। ताकि एशिया-यूरोप सम्मेलन के सदस्य देशों के बीच राजनीतिक बातचीत, आर्थिक-व्यापार सहयोग , सामाजिक व सांस्कृतिक तीन क्षेत्रों में सहयोग व आदान प्रदान को प्रेरित किया जा सके।