2008-10-15 10:42:16

अमरीकी सरकार का बाजार बचाने का कदम सफल होगा कि नहीं

अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने 14 तारीख को यह घोषित किया कि 7 खरब अमरीकी डालर से वित्तीय बाजार बचाने की योजना के तहत अमरीकी सरकार उस में से 2 खरब 50 अरब डालर निकाल कर वित्तीय संस्थाओं के शेयर खरीदेगी, ताकि वित्तीय बाजार के पुनः चलन को मदद मिल सके । विश्लेषकों का कहना है कि अमरीकी सरकार राष्ट्रीयकरण के तरीके से वित्तीय बाजार को सामान्य बनाने की जो कोशिश करेगी , उस का कुछ प्रत्यक्ष परिणाम निकल सकेगा , लेकिन उस से वर्तमान वित्तीय संकट को दूर करने में सफलता मिलेगी कि नहीं, इसे साबित करने के लिए समय की जरूरत है ।

अमरीकी वाल स्ट्रीट वित्तीय संकट से अमरीका और पूरी दुनिया तक को बड़ा धक्का पहुंचाये जाने की स्थिति में अमरीकी सरकार ने 7 खरब अमरीकी डालर से वित्तीय बाजार बचाने की योजना बनायी । यह योजना 3 अक्तूबर को अमरीकी कांग्रेस में पारित की गयी । इस के बाद अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने कहा कि अमरीकी सरकार वित्तीय संस्थाओं में 2 खरब 50 अरब डालर की पूंजी डालेगी, ताकि क्रेडिट मार्केट को जाम से निकलने के लिए मदद मिले और वित्तीय बाजार स्थिर बनाया जाए और आर्थिक पुनरूत्थान बढ़ाया जा सके । अमरीकी सरकार के इस कदम का राष्ट्रीयकरण का स्वरूप है , इसलिए बुश ने बलपूर्वक कहा कि यह सिर्फ एक अल्पकालीन कदम है , जिस का मकसद अमरीका के मुक्त बाजार का अधिग्रहण करना नहीं है।

सूत्रों के अनुसार सिटीबैंक व वेल्लस फार्गो समेत अमरीका के 9 प्रमुख बैंक इस योजना में शामिल होने पर सहमत हुए हैं, अन्य वित्तीय संस्थाएं अपना चुनाव कर सकते हैं । यदि वे सहमत हो , तो सरकार उन के शेयर खरीदने में प्रथम होगी और उन के उच्च स्तरीय मेनेजमेंट में हिस्सा लेगी।

बेशक , बुश की इस योजना में राष्ट्रीयकरण का स्वरूप है , जो अमरीकी सरकार की हमेशा अपनायी जाने वाली मुक्त बाजार विचारधारा के विरूद्ध है । लेकिन जोरदार बढ़ते हुए वित्तीय संकट के सामने अमरीकी सरकार के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं रह गया है । कुछ दिन पहले , अमरीकी वित्त मंत्री पोल्सन ने कहा कि अमरीकी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता । 8 अक्तूबर को श्री पोल्सन ने कहा कि कांग्रेस में पारित 7 खरब डालर की मार्केट उद्धार योजना ने वित्त मंत्रालय को बैंकों में पूंजी डालने का व्यापक अधिकार प्रदान किया है । यदि जरूरत पड़ी, तो सरकार कुछ बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर सकेगी । इस से पहले कुछ यूरोपीय देशों ने भी मिलता जुलता कदम उठाया है।

विश्लेषकों ने माना कि राष्ट्रीयकरण का बाजार पर प्रत्यक्ष सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । उन्हों ने कहा कि प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय संस्थाओं के शेयर खरीदने से वर्तमान वित्तीय बाजार पर पड़े दबाव को हल्का करने में मदद मिलेगी । वर्तमान बाजार में सब से कांटे की समस्या लेहमान ब्राडर्स द्वारा दिवालेपन का आवेदन किये जाने के कारण पैदा हुआ प्रचलन की कमी का सवाल है । लेहमान ब्राडर्स के दिवाला आवेदन से अमरीकी वित्तीय व्यवस्था को श्रृंखलाबद्ध नुकसान पहुंचा और बैंकों के बीच अविश्वास बढ़ा है और एक दूसरे को कर्ज देने का साहस खो गया है । ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा बैंकों के शेयर ले जाने का बाजार पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।

किन्तु विश्लेषकों ने यह भी कहा कि वर्तमान वित्तीय संकट तीस वाले दशक के ग्रेट डिपरेसिन से भी गहरा और व्यापक है , इसलिए राष्ट्रीयकरण जैसा सख्त कदम उठाये जाने से भी एकबारगी वर्तमान संकट को दूर नहीं किया जा सकता और अविश्वास में फंसे वित्तीय बाजार बचाने में तुरंत अच्छा परिणाम नहीं निकलेगा । अमरीकी फेडरेशन रिजर्व कमेटी के अध्यक्ष बेन बेर्मानक ने 14 तारीख को कहा कि पूरी तरह वर्तमान संकट को हल करने के लिए सरकार को और सिलसिलेवार कदम उठाना चाहिए, ताकि वित्तीय बाजार का चलन सामान्य हो जाए।

इस के अलावा राष्ट्रीयकरण के कदम के चलते करदाताओं के हितों को क्षति पहुंचने का खतरा मौजूद है, साथ ही स्वतंत्र मार्केट अर्थतंत्र की अवधारणा के खिलाफ भी है। राष्ट्रीयकरण के प्रति असंतोष को शांत करने के लिए अमरीकी वित्त मंत्री पोल्सन ने 14 तारीख को कहा कि सरकार द्वारा निजी उद्योग के शेयर रखना खुद उन्हें समेत अधिकांश अमरीकियों की इच्छा के विरूद्ध है, लेकिन पूंजी निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए सरकार को विविश हो कर ऐसा करना पड़ेगा ।

अमरीकी सरकार की मार्केट उद्धार योजना वर्तमान में अमरीका और विश्व का ध्यानाकर्षण केन्द्र बन गयी है। उस के जरिए क्रेडिट मार्केट के प्रचलन को सामान्य बनाने में सफल होगा या नहीं, और अमरीका का अर्थतंत्र गहरे ह्रास से बचेगा या नहीं, वह अमरीकी सरकार के सामने एक कठिन समस्या है ।