2008-10-14 18:11:54

चीन का तिब्बती शास्त्र अनुसंधान कार्य एक पूर्ण वैज्ञानिक व्यवस्था बन गयी है

2008 पेइचिंग तिब्बती शास्त्र संगोष्ठी 14 तारीख को पेइचिंग में समाप्त हुई। संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञों ने कहा है कि वर्ष 1978 में सुधार व खुलेपन की शुरूआत के बाद चीन के तिब्बती शास्त्र अनुसंधान का विकास तेज गति से बढ़ता रहा है, वर्तमान चीन ने अपेक्षाकृत एक पूर्ण आधुनिक तिब्बती शास्त्र विज्ञान की व्यवस्था कायम कर ली है, विभिन्न स्तर के तिब्बती संस्थाओ में अनुसंधानकर्ताओं की संख्या 2000 से अधिक जा पहुंची है, विदेशों के साथ इस संबंध पर अकादमिक आदान प्रदान गतिविधियां दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

चीन के तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केन्द्र के महा निदेशक लागपा फुनशोग ने 14 तारीख को आयोजित तिब्बती शास्त्र संगोष्ठी में कहा कि सुधार व खुलेपन के बीते 30 सालों में चीन के तिब्बती शास्त्र अनुसंधान क्षेत्रों को बहुत सी सकारत्मक उपलब्द्धियां हासिल हुई हैं। उन्होने कहा सुधार व खुलेपन से चीन का तिब्बती शास्त्र अनुसंधान एक नवीन विकास के चरण में प्रवेश कर चुका है। तिब्बती शास्त्र की अकादमिक विज्ञान व्यवस्था अधिक परिपूर्ण हो गयी है, जिन में इतिहास, अर्थतंत्र , समाज, दर्शन, साहित्य, चिकित्सा, कानून व लोक कला आदि विभिन्न अकादमिक क्षेत्र सम्मलित हैं, वे चीन के आधुनिक तिब्बती शास्त्र विज्ञान व्यवस्था में सबसे अधिक विविधता वाला विज्ञान माना जाता है।

आंकड़ो के अनुसार, वर्तमान चीन ने कुल 3000 से अधिक किस्मों के तिब्बती शास्त्र से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन किया है, इन में अकादमिक निबन्धों व अन्य शोध आलेखों की संख्या कोई 30 हजार है। विश्व का सबसे लम्बा एतिहासिक ग्रंथ के नाम से मशहूर तिब्बती महान ग्रंथ कजार राजा के बचाव व उसका सुव्यवस्थित कार्य शुरू से तेज पकड़ रखे हुआ है। संगोष्ठी में उपस्थित तिब्बती स्कोलर पेमा ताशी तिब्बत सामाजिक विज्ञान अकादमी में विशेष तौर से महान ग्रंथ कजार राजा के बचाव व उसके सुव्यवस्थित कार्य में भाग लेने वाले एक अनुसंधानकर्ता है, उन्होने जानकारी देते हुआ कहा वर्तमान में तिब्बत का महान ग्रंथ कजार राजा का कार्य सुगमता से चल रहा है, छिंगहाए प्रांत ने एक विशेष दल का गठन कर इस महान ग्रंथ के बचाव के कार्य में अपनी पूरी शक्ति लगा रखी है, कानसू प्रांत के उत्तर पश्चिम जातीय यूनीवर्सिटी में भी विशेष तौर से कजार राजा के अनुसंधान प्रतिष्ठान की स्थापना की जा चुकी है। इस में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने सबसे अधिक शक्ति डाली है और विशेष तौर से तिब्बत स्वयात्त प्रदेश कजार राजा अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की है।

सुधार व खुलेपन की शुरूआत के बाद, चीन ने बड़े जत्थे में तिब्बती युवा प्रतिभाशाली व्यक्तियों के प्रशिक्षण पर बल दिया है। प्रारम्भिक आंकड़ो के अनुसार, वर्तमान चीन की विभिन्न स्तरीय तिब्बती शास्त्र अनुसंधान संस्थाओ में विज्ञान अनुसंधान, शिक्षा, प्रकाशन व पुस्तक फाइल व संबंधित अनुसंधान कार्यों में जुटे अनुसंधानकर्ताओं की संख्या 2000 से अधिक जा पहुंची है। संगोष्ठी में उपस्थित तिब्बत सामाजिक विज्ञान अकादमी के एसोसीएट प्रोफेसर डोन्डरप लागी ने हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में कहा इधर के सालों में चीन का तिब्बत शास्त्र अनुसंधान का तेज विकास हुआ है, राष्ट्र ने इस कार्य को भारी महत्व दिया है और बड़े जत्थे में तिब्बती विशेषज्ञों का प्रशिक्षण भी किया है, इन में 90 प्रतिशत तिब्बती स्कोलर हैं। अपनी आपबीती को एक मिसाल देकर मैं कहा सकता हूं कि मैने भी बहुत से देश विदेश के तिब्बती शास्त्र की संगोष्ठियों में भाग लिया है, पहले पहले देश के विशेषज्ञों की उपस्थिति इतनी ज्यादा नहीं थी, बाद में यह गणना लगातार बढ़ती रही । इस से साबित होता है कि चीन का तिब्बती शास्त्र अनुसंधान दल प्रति वर्ष फलता फूलता जा रहा है, इस से यह भी साबित होता है कि तिब्बत का विकास फिलहाल देश विदेश में भारी महत्व रखने लगा है।

फिलहाल चीन के तिब्बती शास्त्र अनुसंधानकर्ता बराबर विदेशों में अनेक किस्म की संगोष्ठीयों में भाग ले रहे हैं और अधिकाधिक देशों में तिब्बत शास्त्र से संबंधित अकादमिक भाषण प्रस्तुत करने के निमत्रण के अवसर निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। इस बार की संगोष्ठी में भाग ले रहे उत्तर पश्चिम जातीय यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर ताशी थार अनेक बार विदेशों में अकादमिक निरीक्षण करने जा चुके हैं, उन्होने हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में कहा हमारा देश तिब्बती शास्त्र अनुसंधान को भारी समर्थन देता है। मैने वर्ष 2000 में निदरलैंड में आयोजित नौवें अन्तरराष्ट्रीय तिब्बती शास्त्र संगोष्ठी में भाग लिया था। इस के बाद मैने ब्रिटेन, जर्मनी में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय तिब्बत शास्त्र संगोष्ठी में भी भाग लिया। विदेशों की संबंधित अनुसंधान संस्थाओ व उनके शोध कार्यकर्ताओं के साथ आदान प्रदान ने हमारे देश के तिब्बत शास्त्र व तिब्बती सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा दिया है।

सूत्रों के अनुसार, 17 देशों व क्षेत्रों से आए कुल 220 विशेषज्ञों व स्कोलरों ने 2008 पेइचिंग तिब्बत शास्त्र संगोष्ठी में भाग लिया ।इस से पहले चीन ने 1991, 1997 व 2001 में तीन बार पेइचिंग तिब्बत संगोष्ठी का सफल आयोजन किया था।