2008-10-10 10:00:27

अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठनों ने बाजार विश्वास की बहाली की अपील की

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन और विश्व बैंक जल्द ही वाशिंटन में वार्षिक सम्मेलन बुलाकर वर्तमान वित्तीय संकट के निपटारे पर विचार विमर्श करेंगे ।इस से पहले इन दो संगठनों ने 9 तारीख को चेतावनी की कि विश्व अर्थतंत्र गंभीर मंडी की ओर चल रहा है ।उन्होंने विभिन्न देशों से शक्तिशाली व समंवित कदम उठाने की अपील की ताकि विश्व में बाजारों के विश्वास की बहाली हो और स्थित अधिक बिगडने से बचे ।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन के महानिदेशक स्ट्रोस्स खान ने 9 तारीख को वाशिंटन में हुए संवाददाता सम्मलेन में कहा कि विश्व आर्थिक मंडी से बचना अब देर हो गया है ।उन्होंने कहा ,यह स्पष्ट है कि वर्तमान संकट विकसित देशों की आर्थिक निगरानी और वित्तीय संस्थाओं के खतरा प्रंबंधन की हार से पैदा हुआ ।यह बाजार व्यवस्था का अप्रभावी होने से हुआ ।

श्री स्ट्रोस्स खान ने कहा कि विकसित देश पिछली सदी के तीस वाले दशक से सब से खतरनाक वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं और किसी भी देश का अर्थतंत्र इस के प्रभाव से बच सका ।उन्होंने कहा कि वित्तीय संकट बिगडने के बाद अनेक देशों ने इस के निपटारे के लिअ योजनां बनायी हैं ।अमरीका 7 खरब अमरीकी डालर राहत पैके ज लागू करेगा ।इधर कुछ दिनों में 21 देशों के केंद्रीय बैंकों ने आर्थिक प्रेरणा के लिए ब्याज दर घटा दी ।लेकिन अब तक इन के कदमों का प्रभाव बहुत कम है ।श्री स्टोस्स खान के विचार में आर्थिक कदम प्रभावी होने की पूर्वशर्त जाबार पर विश्वास की बहाली है ।उन्होंने कहा ,क्यों वित्तीय बाजारों का सामान्य परिचालन नहीं हो रहा है ।क्यों परंपरागत मुद्रा व वित्तीय राहत का प्रभाव स्पष्ट नहीं है ।क्योंकि बाजार पर विश्वास क्षतिग्रस्त हुआ ।इसलिए सब से पहले बाजार विश्वास की बहाली होने के बाद ही अन्य कमद प्रभावी होंगे ।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन द्वारा जारी नयी विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि वर्ष 2008 विश्व आर्थिक विकास दर वर्ष 2007 की 5 प्रतिशत से 3.9 प्रतिशत तक गिर जाएगा ।वर्ष 2009 में विश्व आर्थिक विकास दर 3 प्रतिशत होगी ।श्री स्टोस्स खान ने कहा कि अगले साल विश्व आर्थिक वृद्धि मुख्य तौर पर विकासशील देशों पर निर्भर रहेगी ।उन्होंने कहा ,वर्ष 2007 विकासशील देशखों की आर्थिक वृद्धि विश्व आर्थिक वृद्धि का दो तिहाई भाग है ।वर्ष 2009 के पूर्वार्द्ध में विकसित देशों की आर्थिक वृद्धि लगभग शून्य होने की संभावना होगी ।इसलिए अनुमानित तीन प्रतिशत वृद्धि मुख्य तौर पर विकासशील देशों से आएगी ।लेकिन इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि इस संकट से विकासशील देशों पर प्रभाव पडने लगा है ।अगले साल उन की वृद्धि दर इधर कुछ साल की तूलना में काफी धीमी होगी ।

विश्व बैंक के महानिदेशक रोबर्ट जोलिक ने 9 तारीख को एक साक्षात्कार में कहा कि चालू वित्तीय संकट से विभिन्न हद तक हर देश पर प्रभाव पडा है ।कुछ विकासशील देशों पर गंभीर प्रभाव पडेगा ।उन्होंने कहा ,इस सिंतबर में जो सब कुछ हुए हैं , उन से कुछ विकासशील देशों पर गंभीर प्रभाव पडा ।इस से पहले उन को तेल व खाद्यान्न दामों में तेज वृद्धि का सामना करना पडा ।अब वित्तीय उथल पुथल भी आया ।इस अप्रैल में विश्व बैंक के अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि अगले साल विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत दर्ज होगी ।पर अब यह अनुमान 4 प्रतिशत तक ठीक किया गया है ।कुछ विकासशील देशों का अर्थतंत्र मंदी के आसपास आ पुहंचा है ।इसलिए वर्तमान संकट विकासशील देशों के लिए एक गंभीर प्रहार भी है ।

विश्व अर्थतंत्र कठिन दौर से गुजर रहा है ।पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन के महानिदेशक स्ट्रास्स खान के विचार में विभिन्न देशों के सहयोग से इस समस्य़ा को हलने का रास्ता निकाला जाएगा ।उन्होंने कहा ,विश्व अर्थतंत्र की स्थिति बहुत गंभीर है ।अगर विभिन्न देश जल्दी से शक्तिशाली व सहयोगी कदम उठाएंगे ,तो सवाल का समाधान किया जा सकेगा ।हालांकि वर्तमान अर्थतंत्र बडे पैमाने तौर पर गिर रहा है ,पर हमारा अनुमान है कि विश्व अर्थतंत्र वर्ष 2009 में बहाल शुरू होगा ।बहाली बहुत धीमी होगी ,लेकिन वह विश्व को एक आशावादी संकेत देगा।