जैसा कि स्पेन के अखबार मार्का ने रिपोर्ट दी है कि पेइचिंग पैरा-ऑलंपिक का उद्घाटन समारोह अत्यन्त सुन्दर, लुभावना और मोहक है और पेइचिंग का शौभा फिर एक बार विश्व के सामने प्रकट हुआ है।
फ्रांसीसी ऐ एफ पी एजेंसी ने अपने लेख में कहा कि पेइचिंग पैरा-ऑलंपिक उद्धाटन समारोह देव लोक की भांति सुन्दर और आकर्षिक है, जिस में मोहन शक्ति भरी हुआ है । लेख में कहा गया कि अगर पेइचिंग एक शानदार, प्रभावशाली व अविस्मरणीय पैरा-ऑलंपिक के आयोजन की आशा करता है तो उस का यह लक्ष्य पूरा हो चुका है।
पेइचिंग पैरा-ऑलंपिक उद्धाटन समारोह ने विश्व को अत्यन्त भारी प्रभावित कर दिया है, जिस की सफलता को लम्बे अरसे से विकलांग कला क्षेत्र में जुटे श्री जांग जी कांग की निरंतर कोशिशों से अलग नहीं किया जा सकता।
इस साल 50 वर्ष के जांग जी कांग का जन्मस्थान उत्तर चीन के शान शी प्रांत में है। 12 वर्ष की आयु में उन्होंने नाच सीखना शुरू किया और 17 वर्ष की आयु में नृत्य की रचना करना शुरू भी किया। पिछले 30 सालों में उन के द्वारा रचे गये नृत्य, ओपेरा, नृत्य नाटक आदि की संख्या लगभग 300 है और उन की रचनाओं की 60 देशों व क्षेत्रों में प्रस्तुति भी की गयी है। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय गोल्डन कलोन पुरस्कार, फ्रांस गणराज्य राष्ट्रपति पुरस्कार आदि 30 पुरस्कार मिले हैं। श्री जांग जी कांग ने कहा कि अपनी रचना जीवन के आधार पर तैयार की गयी हैं। उन्होंने कहाः
एक कलाकार के लिये जीवन उन्हें बहुत कुछ प्रदान करता है, इसलिये एक कलाकार को हमेशा कुशाग्र बुद्धि बनाए रखना चाहिये और जीवन के हरेक विशेष और सुन्दर चीज को पकड़ लेना चाहिए । इसलिए जीवन को पकड़ने की बुद्धि और संवेदनशीलता एक कलाकार के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।
1994 में श्री जांग जी कांग पेइचिंग में आयोजित सुदूर पूर्व व दक्षिण प्रशांत विकलांग खेल के उद्धाटन समारोह के महानिर्देशक बने, उसी समय से वे विकलांग कला से जुड़े हो गए हैं।
2000 में श्री जांग जी कांग ने चीनी कला जगत के सर्वश्रेष्ठ गान, नाच, ललित कला व वस्त्र कलाकारों के साथ मिल कर चीनी विकलांग कला मंडली के लिये एक गान-नाच कार्यक्रम मेरा सपना बनाया और उस का निर्देशन भी किया। मेरा सपना बहुत लोकप्रिय हो गया और उस का देश विदेश में उच्च मुल्याकंन किया गया। श्री जांग जी कांग की नृत्य रचनाओं में सब से प्रसिद्ध कार्यक्रम बधिरा नृत्य कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सहस्रहस्त अवलोकदेश्वरी नामक नृत्य है। इस कार्यक्रम में 20 सुनहरे वस्त्र पहने गूंगे बधिर कलाकारों ने बांहों की विविध मुद्राएं बना कर बौद्धिसत्व अवलोकदेश्वरी की प्रतिमा सरीखा दर्शाया, इस कला प्रस्तुति से बौद्धिसत्व अवलोकदेश्वरी द्वारा अपने हजार हाथों से आम प्रजा की रक्षा की जाने का विषय अभिव्यक्त किया गया है । क्योंकि सभी कलाकार गूंगे बधिर हैं और उन्हें आवाज नहीं सुनाई पड़ती है, इसलिये निर्देशकों को हाथ के संकेत भाषा से नृत्य कृति के मतलब और ताल लय की समझ बताना पड़ा है। यह एक बड़ा परिश्रम का काम है । श्री जांग जी कांग ने कहा कि विकलांग कलाकारों के साथ सहयोग के दौरान वे अक्सर बहुत प्रभावित रहते हैं। उन की शरीर अपूर्ण है, लेकिन उन की मनोवृत्ति संपूर्ण है, वे उन की अपने को पार करने की अद्मय भावना से बहुत प्रभावित होते हैं।
2004 में कार्यक्रम सहस्रहस्त अवलोकदेश्वरी ने चीन की ओर से एथेन्स पैरा-ऑलंपिक समापन समारोह में भाग लिया और उस का वहां जोशीला स्वागत किया गया । चीनी विकलांग कला में प्राप्त उपलब्धियों के बारे में जांग जी कांग ने भाव विभोर हो कर कहाः
मुझे लगता है कि चीनी विकलांग कला मंडल अव्वल दर्जे की श्रेष्ठ कला मंडली है, उस की सफलता को विकलांग कार्य को चीन सरकार द्वारा दिए गए महत्व व समर्थन से अलग नहीं किया जा सकता है। विकलांग लोगों के पीछे चीन के विभिन्न क्षेत्रों के सर्वश्रेष्ठ कलाकार उन का समर्थन भी करते हैं।
17 सितम्बर को पेइचिंग पैरा-ऑलंपिक समाप्त हो गया, श्री जांग जी कांग इस के समापन समारोह के कार्यकारी महानिर्देशन भी हैं। उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि पैरा-ऑलंपिक समापन समारोह पेइचिंग ऑलंपिक के दौरान अंतिम रस्म है। इसलिये पैरा-ऑलंपिक के समापन समारोह ने और अधिक जोशीला , प्राकृतिक व तरोताजा माहौल मुहैया किया है और भविष्य के उन्नमुख अवधारणा प्रकट की है । इस की प्रस्तुति में पेइचिंग की विशेषता पर प्राथमिकता दी गयी है , प्राण और कुदरत के समावेश पर बल दिया गया है और दर्शकों की भागीदारी पर भी ध्यान दिया गया है , जिसे देख कर दर्शक एक अमिट मीठी याद ले कर लौट गए हैं।(रूपा)