2008-10-09 12:37:55

समाजवादी बाजार की आर्थिक धारणा की पुष्टि

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि समाजवादी अर्थतंत्र में योजना व बाजार का संबंध वर्तमान में विश्व व शताब्दी का मुश्किल मामला भी है। चीनी अर्थशास्त्रियों द्वारा पेश समाजवादी माल की आर्थिक धारणा व बाजार की आर्थिक धारणा दशकों की कड़ी खोज का प्रमुख फल है, और वह समकालीन आर्थिक विज्ञान को चीनी अर्थशास्त्र जगत द्वारा दिया गया सब से महत्वपूर्ण योगदान भी है। समाजवादी माल की आर्थिक धारणा व बाजार की आर्थिक धारणा की स्थापना व विकास का इतिहास ऐसा है।

आरंभिक काल, यानि वर्ष 1949 से वर्ष 1955 तक। इस काल में चीनी अर्थशास्त्र मंच पर परंपरागत समाजवादी आर्थिक धारणा प्रमुख स्थान पर रही। उस का मानना है कि माल का उत्पादन निजी स्वामित्व का अवशेष है। बाजार अर्थतंत्र व समाजवादी योजना अर्थतंत्र विरोधी हैं।

अनुसंधान काल, यानि वर्ष 1956 से वर्ष 1964 तक। इस काल में कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों ने परंपरागत आर्थिक धारणा को चुनौती दी। उन्होंने बहुत मूल्यवान् धारणा व विचार पेश किये। जैसे:श्री सून ये फ़ांग ने कहा कि योजना व आंकड़ा मूल्य नियम की बुनियाद पर रखे जाने चाहिंये। सभी नियमों में मूल्य नियम प्रथम है।

विचार की मुक्ति व प्रगति का काल, यानि वर्ष 1977 से अभी तक। वर्ष 1976 की अक्तूबर में चार व्यक्तियों की गिरोह को नेस्तनाबूद करने के बाद खास तौर पर वर्ष 1978 के अंत में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 11वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की तीसरे पूर्णाधिवेशन में फिर एक बार ठीक विचार की स्थापना करने के बाद आर्थिक जगत ने रंगारंग विचार पेश करके परंपरागत आर्थिक धारणा से बाहर जाकर समाजवादी अर्थतंत्र के स्वरूप की खोज करने की कोशिश की, और योजना व बाजार के संबंध में सिलसिलेवार महत्वपूर्ण अनुसंधान फल प्राप्त किये, जिन्होंने हमारे देश के आर्थिक सुधार व विकास के लिये सकारात्मक भूमिका अदा की है।

वर्ष 1979 की अप्रेल में च्यांगसू प्रांत के वूशी शहर में आयोजित राष्ट्रीय आर्थिक धारणा संगोष्ठी का मुद्दा समाजवादी व्यवस्था में मूल्य नियम की भूमिका का विचार-विमर्श करना था। इस में बहुत महत्वपूर्ण विचार पेश किए गए। उन में ये शामिल हैं कि समाजवादी अर्थतंत्र माल अर्थतंत्र है। समाजवादी अर्थतंत्र में मूल्य नियम समायोजन की भूमिका अदा करता है। प्रतिस्पर्द्धा तो इस की भीतरी व्यवस्था है। उद्यम स्वतंत्र माल उत्पादक हैं। उपक्रमों के स्वतंत्र अधिकारों को धीरे-धीरे से विस्तृत करना चाहिये। युक्तिविरुद्ध दाम व्यवस्था व प्रबंध व्यवस्था का सुधार करना चाहिए। धीरे से उद्योग व कृषि उत्पादनों के बीच दामों का फ़र्क कम करना चाहिये।

वर्ष 1982 में अर्थशास्त्र जगत ने इस सवाल पर विचार-विमर्श किया कि क्या समाजवादी अर्थतंत्र माल अर्थतंत्र है?क्या बाजार व्यवस्था पूरी तरह से अपनी भूमिका अदा कर सकेगी?वर्ष 1984 के अक्तूबर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 12वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की तीसरे पूर्णाधिवेशन में यह निष्कर्ष पेश किया गया है कि समाजवादी अर्थतंत्र योजनानुसार माल अर्थतंत्र है। मूल्य नियम व बाजार व्यवस्था की भूमिका की पुष्टि भी की गयी।

पिछली शताब्दी के 80वें दशक में अर्थशास्त्रियों ने यह भी पेश किया कि चीन का आर्थिक सुधार बाजार के आधार पर हुआ सुधार है। इस का विषय है:उपक्रमों को बाजार में प्रतिस्पर्द्धा का प्रमुख बनना। दाम सुधार का लक्ष्य बाजार की दाम व्यवस्था की स्थापना, माल बाजार व बाजार समेत बाजार व्यवस्था की स्थापना व विकास है। मैक्रो आर्थिक प्रबंध प्रत्यक्ष प्रबंध से अप्रत्यक्ष प्रबंध तक बदलना। चतुर्मुखी तौर पर खुलेपन की नीति को लागू करना, और अंतर्राष्ट्रीय बाजार की प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेना आदि।

वर्ष 1992 के वसंत में श्री तंग श्याओ पिंग ने दक्षिण भाषण में योजना व बाजार मामले पर और प्रकाश डाला और कहा कि योजना अधिक है या बाजार अधिक है, यह समाजवाद व पूंजीवाद का मूल फ़र्क नहीं है। ठीक उसी साल के सितंबर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 14वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा में हमारे देश के आर्थिक व्यवस्था के सुधार के लक्ष्य में समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था की पुष्टि की। इससे बाजार संसाधनों के आबंटन में बुनियादी भूमिका अदा की गई है। इस के बाद समाजवादी बाजार की आर्थिक धारणा सुधार के साथ साथ दिन-ब-दिन समृद्ध हो रही है।