लम्बे समय में ऐतिहासिक विकास की प्रक्रिया में तिब्बती जाति ने अपनी बुद्धि से रंगबिरंगी संस्कृति की रचना की है। उक्त तिब्बती ऑपेरा और महाकाव्य《राजा केसर》के अलावा तिब्बत के लोक नृत्य, लोक कथाएं और दूसरी किस्मों वाले ऑपेराओं का इतिहास भी बहुत पुराना है । आज ज्यादा से ज्यादा लोग तिब्बती परम्परागत संस्कृति व कला के संकलन, संग्रहण व प्रकाशन कार्य में भाग ले रहे हैं । वे तिब्बत की प्राचीन व शानदार संस्कृति के संरक्षण व विकास के लिए अपना योगदान दे रहे हैं ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के अधीन लोक रीति रिवाज़ केंद्र के अनुसंधानकर्ता श्री त्सेरन फिंगत्सो इधर के 20 वर्षों से तिब्बती लोक साहित्य व कला के बचाव कार्य में लगे हुए हैं । उन्होंने कहा कि 20 वर्षों काम करते हुए उन्हें अनुभव हुआ कि देश ने तिब्बती लोक साहित्य व कला के बचाव, संरक्षण को भारी महत्व दिया है। उन का कहना है :
"गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक के अंत और नब्बे वाले दशक के शुरू में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में प्राचीन प्रम्परागत संस्कृति बचाव कार्य शुरू किया गया । विभिन्न स्थलों, शहरों व कांउटियों में जातीय सांस्कृति अवशेष बचाव, संकलन व अनुसंधान संस्थाओं की स्थापना हुई । तिब्बती लोक साहित्य व कला की विरासत का बचाव, संकलन, संग्रहण, अनुसंधान, संपादन और प्रकाशन कार्य पर जोर दिया जा रहा है, और इतिहास में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल हुईँ हैं।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पोटाला महल, नार्बुलिंगका भवन और सागा मठ आदि स्थानीय परम्परागत संस्कृति व धार्मिक विश्वास को प्रतिबिंबित करने वाली सांस्कृतिक विरासत ज्यादा हैं । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक विभाग के उप प्रधान श्री शिन काओसो ने संवाददाता से कहा कि इधर के वर्षों में चीन की केंद्र सरकार और स्थानीय सरकार ने तिब्बत के मठों के संरक्षण व मरम्मत के लिए भारी धन राशि लगाई है। उन्होंने कहा:
"चीन की मुक्ति के बाद से लेकर पंद्रहवीं पंचवर्षीय योजना यानि वर्ष 1949 से वर्ष 2005 तक सांस्कृतिक विरासतों की मरम्मत के लिए कुल पचास करोड़ चीनी मुद्रा रन मिन बी का अनुदान किया गया है। ग्यारहवीं पंच वर्षीय योजना यानि वर्ष 2006 से 2010 तक देश ने तिब्बत के अनेक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों का और जीर्णोद्धार करने का फैसला किया, जिस के लिए 60 करोड़ य्वान की राशि लगाई जाएगी । इस के साथ ही देश में गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष से जुड़े सर्वेक्षण व संरक्षण परियोजना लागू की जाने के बाद हम ने क्रमशः देश को दो खेपों में गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों को पेश किया है। जिन में देश ने प्रथम खेप वाले विरासतों में से 14 की पुष्टि की है। उन का राष्ट्र स्तरीय विरासतों के रूप में पूंजी लगाकर संरक्षण किया जा रहा है । दूसरी खेप वाली नामसूचि इस वर्ष के भीतर राज्य परिषद सार्वजनिक करेगा ।"
इधर के वर्षों में तिब्बत में आर्थिक व सामाजिक प्रगति व ज्यादा खुलेपन के चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तिब्बती संस्कृति दिन ब दिन प्रभावशाली हो रही है । ज्यादा से ज्यादा विदेशी पर्यटक तिब्बत आने लगे हैं। इस के साथ ही तिब्बती संस्कृति के आदान-प्रदान की गतिविधियां भी दिन प्रति दिन सक्रिय हो रही हैं, जिस का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है । विदेशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने क्रमशः 20 से ज्यादा दल स्थापित किए हैं । मसलन जर्मनी में《चीनी तिब्बती सांस्कृतिक विरासत प्रदर्शनी》और अमरीका में《बर्फीले पठार का मूल्य—तिब्बती सांस्कृति अवशेष प्रदर्शनी》आयोजित की गईं हैं।
प्रिय श्रोताओ, बड़ी मात्रा में तथ्यों से जाहिर है कि पिछले दसियों वर्षों में चीन सरकार ने बड़ी तादाद में मानव शक्ति, वित्तीय शक्ति व साज सामान लगाया, जिस से तिब्बत की परम्परागत संस्कृति व जातीय विशेषता का संरक्षण किया गया और इस में बहुत विकास हुआ है ।