2008-10-07 10:48:48

अमरीकी विदेश मंत्री ने भारत और कजाखस्तान की यात्रा समाप्त की

अमरीकी विदेश मंत्री कोन्डोलीजा राइस ने हाल ही में भारत और कज्ज़ाकिस्तान की यात्रा समाप्त की । भारत की यात्रा के दौरान वे दोनों देशों के बीच परमाणु करार पर हस्ताक्षर नहीं कर सकीं ,पर उन्होंने अमरीकी नाभिकीय तकनीक कंपनियों के लिए प्रचार करने की भूमिका निभायी। कज्जाकिस्तान की यात्रा में उन्होंने बल देकर कहा कि कज्जाकिस्तान के साथ संबंध का विकास करने का लक्ष्य मध्य एशिया में रूस के साथ प्रतिस्पर्द्धा करना नहीं है । पर स्थानीय विश्लेषकों के विचार में सुश्री राइस की बात उन की असली इच्छा के प्रतिकूल है । उन की दो एशियाई देशों की यात्रा का उद्देश्य इस क्षेत्र में अमरीका के राजनीतिक व आर्थिक हितों को मजबूत करना है ।

 

सुश्री राइस की भारत यात्रा का असली लक्ष्य भारत सरकार के साथ औपचारिक रूप से अमरीका भारत असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करना था ताकि इस समझौते को लागू किया जा सके। लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने औपचारिक तौर पर इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं ,इसलिए भारतीय पक्ष ने अंत में हस्ताक्षर समारोह रद्द किया। संवाददाता सम्मेलन में श्री राइस ने कहा कि अमरीकी कांग्रेस ने दोनों देशों के असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौते की पुष्टि की है ।अमरीका भारत संबंध अत्यंत असाधारण स्तर पर पहुंच गए हैं ।भारतीय विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बल देकर कहा कि दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंध अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंचकर सच्चे रुप से रणनीतिक साझेदारी वाले संबंध बन गये हैं ।

 

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में भारत की यात्रा के दौरान सुश्री राइस ने भारत के साथ औपचारिक रूप से असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर नहीं किये ,पर उन्होंने अमरीकी नाभिकीय तकनीक कंपनियों के लिए प्रचार करने की भूमिका अवश्य निभायी । संबंधित आंकडों के अनुसार भावी 15 वर्षों में भारत 18 से 20 तक परमाणु ऊर्जा बिजली घर स्थापित करेगा ,जिन का पूंजी निवेश 27अरब अमरीकी डॉलर होगा ।अमरीका ,फ्रांस व रूस की कंपनियां अब इन परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्द्धा कर रही हैं ।

 

भारत की यात्रा समाप्त कर सुश्री राइस ने कज्जाकिस्तान की यात्रा की। उन्होंने कज्जाकिस्तान के नेताओं के साथ द्विपक्षीय संबंध ,ऊर्जा सहयोग व अफगानिस्तान के पुन निर्माण पर विचार-विमर्श किया । सुश्री राइस ने कहा कि अमरीका रूस के साथ मध्य एशिया में प्रतिस्पर्द्धा नहीं करना चाहता है। मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों का विकास करना किसी के खिलाफ नहीं है ।अमरीका मध्य एशिया में रूस के दीर्घकालिक हितों को हानि नहीं पहुंचाएगा । पर ए पी के एक आलेख में कहा गया है कि सुश्री राइस का उद्देश्य उन की बात के उल्टे इस क्षेत्र में रूस के प्रभाव को कम करना है ।

 

रूस और जोर्जिया के बीच हिंसक टक्कर होने के बाद बुश सरकार ने मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क मजबूत किया और उन से वादे किए ।पिछले महीने उप अमरीकी राष्ट्रपति डिक चेनी ने जोर्जिया ,उक्रेन और अजर्बेजान की यात्रा की थी ।विश्लेषकों के विचार में कज्जाकिस्तान और रूस के बीच घनिष्ठ संबंध का ख्याल करते हुए सुश्री राइस ने उपरोक्त रवैया अपनाया है । रूस और जोर्जिया के बीच मुठभेड होने के बाद कज्जाकिस्तान ने रूस की सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया था ।पर समग्र दृष्टि से देखा जाए तो कज्जाकिस्तान के राष्ट्रपति नाजर्बायेव कूटनीति का संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं ।दो हफ्ते पहले कज्जाकिस्तान ने अलग-अलग तौर पर नाटो और रूस के साथ बडे पैमाने वाला सैन्य अभ्यास किया  ।जब जोर्जिया और अफगानिस्तान में अमरीका चुनौती का सामना कर रहा है ,तो कज्जाकिस्तान की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण बन गयी है ।

 

सुश्री राइस की कज्जाकिस्तान यात्रा का दूसरा लक्ष्य ऊर्जा सहयोग बढाना है ।इस क्षेत्र में कज्जाकिस्तान का तेल भंडारण सब से ज्यादा है और उस के पास प्रचुर प्राकृतिक गैस संसाधन भी है। यूरोप को ऊर्जा पहुंचाने का रास्ता अब रूस के नियंत्रण में है ,पर कज्जाकिस्तान वैकल्पिक रास्ता प्रदान कर सकेगा ।इस लिए कहा जा सकता है कि सुश्री राइस की कज्जाकिस्तान यात्रा मध्य एशिया में अमरीका के आर्थिक व राजनीतिक हितों को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई यात्रा भी है।