विशेषज्ञों का कहना है कि सारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में हर वर्ष गोबर समेत जैव संसाधन की जो खपत होती है , वह कुल खपत मात्रा का अस्सी प्रतिशत बनती है। जैव ऊर्जा पर ज्यादा निर्भर रहने के कारण बड़ी मात्रा में वन व घास मैदानों को नुक्सान पहुंचा है।
पर्यावरण संरक्षण के लिये तिब्बत में लकड़ी की जगह लेने की योजना बनाई गई । वर्तमान में तिब्बत 3000 टन उत्पादन लाइनों के एक जैव ऊर्जा कारोबार की स्थापना की तैयारी कर रहा है।
इस के अलावा इस वर्ष के अंत से वर्ष 2010 तक स्थानीय सरकार 59 कांउटियों में दो लाख मैथन गैस तालाबों की स्थापना करेगी, इस तरह दस लाख तिब्बती किसान व चरवाहे स्वच्छ मैथन गैस का प्रयोग कर सकेंगे।(चंद्रिमा)