नौवें चरण का युरोपीय संघ व भारत का शिखर सम्मेलन 29 सितम्बर को दक्षिणी फ्रांस के बंदरगाह शहर मार्सेइले में आयोजित हुआ। सम्मेलन के बाद दोनों पक्षों ने घोषणा की कि वे नागरिक नाभिकीय ऊर्जा और पर्यावरण आदि क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करेंगे। युरोपीय संघ व भारत के नेताओं ने वर्तमान शिखर सम्मेलन में प्राप्त उपलब्धि के प्रति संतोष प्रकट किया।
युरोपीय संघ व भारत के शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद दोनों पक्षों ने युरोपीय संघ व भारत के रणनीतिक साझेदारी संबंधों का बंदोबस्त करने की संयुक्त कार्यवाई के नये प्रस्ताव को जारी किया। संयुक्त कार्यवाई के नये प्रस्ताव के विषय में युरोपीय संघ व भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे में मानवाधिकार के बारे में सलाह मश्विरे व वार्तालाप को मजबूत करना, अंतरराष्ट्रीय शांति रक्षा, आतंकवाद विरोध और हथियारों के अप्रसार आदि क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना, स्वच्छ ऊर्जा के विकास व प्रयोग में सहयोग व आदान प्रदान को मजबूत करना, संबंधित अंतरराष्ट्रीय कर्त्तव्य निभाने की पूर्व शर्त में नागरिक नाभिकीय ऊर्जा का विकास करना, स्वतंत्र व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना, भारत में युरोपीय कारोबार व तकनीक केंद्र की स्थापना करके द्विपक्षीय कारोबार जगत एवं विज्ञान व तकनीक जगत के बीच सहयोग का विकास करना और अंतरिक्ष तकनीक पर वार्तालाप को मजबूत करना आदि शामिल हैं।
युरोपीय आयोग के अध्यक्ष बारोसो ने कहा कि भविषय में युरोपीय संघ व भारत विश्व शांति व सुरक्षा की रक्षा करने, अनवरत विकास को आगे बढ़ाने, विज्ञान व तकनीक सहयोग को मजबूत करने तथा सांस्कृतिक आदान प्रदान आदि क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विकास को महत्व देंगे। युरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष देश, फ्रांस के राष्ट्रपति सार्कोजी ने भी कहा कि भारत एक बड़ा देश है। युरोपीय संघ भारत द्वारा नागरिक नाभिकीय ऊर्जा जैसी स्वच्छ ऊर्जा का विकास करने का स्वागत करता है। यह दुनिया में मौसम परिवर्तन आदि समस्याओं का निपटारा करने में मददगार सिद्ध होगा। 30 सितम्बर को श्री सार्कोजी और भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने पेरिस में घोषणा की कि फ्रांस व भारत ने नागरिक ऊर्जा और बाह्य अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों पर अनेक सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। दोनों पक्ष ऊर्जा, विज्ञान व तकनीक क्षेत्र में सहयोग का विस्तार करने के लिए राजनीति, फौज, अर्थ व व्यापार , पर्यावरण, संस्कृति, शिक्षा व पर्यटन आदि क्षेत्रों के सहयोग व आदान प्रदान को और मजबूत करेंगे। श्री सिंह ने कहा कि भारत व युरोपीय संघ की समान मूल्य विचारधारा होती है। आर्थिक क्षेत्र में दोनों पक्ष एक दूसरे की आपूर्ति करते हैं। उन्होंने भारत व युरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन के परिणाम के प्रति संतोष प्रकट किया और माना कि वर्तमान शिखर सम्मेलन से रणनीतिक साझेदारी संबंधों का विकास करने पर दोनों का ध्यान निरंतर बढ़ता जाएगा।
विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान युरोपीय संघ व भारत के शिखर सम्मेलन का द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक दिवसीय शिखर सम्मेलन में सुभीतापूर्ण रूप से सिलसिलेवार उपलब्धियां मिली हैं। यह इस बात का द्योतक है कि युरोपीय संघ व भारत के पास सहयोग को मजबूत करने की इच्छा है।
एक ओर, युरोपीय लोकमत का मानना है कि हाल में भारत की राष्ट्रीय शक्ति दिन ब दिन मजबूत होती जा रही है। भारत ने हाल में अमरीका के साथ नागरिक नाभिकीय ऊर्जा के सहयोग के समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। इन सब से युरोपीय देशों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर भारत का स्थान दिन ब दिन उन्नत होने की महत्ता जान ली है। इसलिए, युरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को और घनिष्ट करने की कोशिश कर रहा है। श्री सिंह से भेंटवार्ता में श्री सार्कोजी ने यह भी कहा कि वे जी आठ ग्रुप को भारत समेत जी 13 ग्रुप के रूप में विकसित करने का सुझाव भी पेश करेंगे ।
दूसरी ओर, भारत भी युरोपीय संघ के साथ संबंधों को बड़ा महत्व देता है। वर्तमान में युरोपीय संघ भारत का सब से बड़ा व्यापार साझेदार है। इस के साथ साथ, विदेशी पूंजी को आकर्षित करने और खुद की आर्थिक शक्ति को उन्नत करने के लिए भारत बहुध्रवीय दुनिया में विभिन्न बड़े देशों व क्षेत्रीय संगठनों के साथ विस्तृत सहयोग करता रहता है और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की कोशिश करता रहता है। (श्याओयांग)
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