2008-09-26 14:50:22

मिङ राजवंश काल में सामाजिक अर्थव्यवस्था का विकास

मिङ राजवंश ने एक विशाल सेना की स्थापना की, जिस के सेनिक विभिन्न सैन्यक्षेत्रों में प्रान्तीय कमाण्डरों के नियंत्रण में तैनात किए जाते थे। केन्द्रीय स्तर पर पांच सैन्यकमानें थीं-अग्रकमान, पृष्ठकमान, वामकमान दक्षिणकमान और मध्यकमान, जो तमाम सैन्यक्षेत्रों की निगरानी करती थीं।

सैन्य स्थानांतरण का अधिकार नाम के लिए तो केवल सैन्य मामलों के मंत्रालय के पास था, लेकिन उस के अधीन सेना नहीं थी। सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का सर्वोच्च अधिकार सम्राट के हाथ में था। मिङ सरकार ने नियमित न्यायिक अंगों के अलावा बहुरंगी पोशाक वाला रक्षकदल , पूर्वी प्रतिष्ठान, पश्चिमी प्रतिष्ठान और भीतरी प्रतिष्ठान नामक ऐसे संगठन भी कायम कर रखे थे, जिन के लिए कानून में कोई व्यवस्था नहीं थी। उन का काम गुप्त रूप से मुकदमा चलाना था। वास्तव में ये संगठन खुफिया पुलिस का काम करते थे और अफसरों व जनसाधारण दोनों पर गुप्त नजर रखते हुए उनके साथ स्वेच्छाचारिता व पाशविकता का बरताव करते थे।

मिङ सरकार समय समय पर चीन के विभिन्न इलाकों में जनगणना और भूमि की पेमाइश के लिए अफसर भेजती रहती थी। इसका उद्देश्य था जनता का शोषण करने के लिए एक निश्चित अवधि में जनता से बलपूर्वक ज्यादा से ज्यादा कर वसूल करना और अधिक से अधिक बेगार लेना।

कृषि उत्पादन बढाने के लिए , खास तौर से नकदी फसलें उगाने के लिए मिङ सरकार ने बंजर जमीन को खेतीयोग्य बनाने और जल सिचाई परियोजनाओं के निर्माण का काम बड़े पेमाने पर करवाया।

मिङ राजवंश द्वारा अपनाई गई उपर्युक्त आर्थिक व राजनीतिक नीतियों ने उस के शुरू के शासन को मजबूत बना दिया।

मिङ राजवंश के काल में कृषियोग्य भूमि के क्षेत्रफल और अनाज के उत्पादन, खास तौर से धान की फसल के रकबे व उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्वि हुई। सिचाई के लिए बल ,आदमी या हवा से चलने वाले रहट का आविष्कार किया गया। कपास की खेती का प्रसार ह्वाङहो नदी के इलाके में हुआ और अन्त में कपड़ा बुनने की मुख्य सामग्री के रूप में कपास ने सन की जगह ले ली।

मिङ काल में चच्याङ प्रान्त का हूचओ नगर रेशम उत्पादन का प्रसिद्ध केन्द्र था, जिस का रेशम हूचओ रेशम के नाम से सारे चीन में मशहूर था। रेशमकीटपालन का काम हूपेइ, हूनान , क्वाङशी व सछ्वान में और ह्वाएहो नदी के उत्तरी व दक्षिणी क्षेत्रों में व्यापक रूप से किया जाता था।

खान खुदाई और दस्तकारी ने भी बहुत प्रगति की। लोहा गलाने का काम एक निजी धन्धे के रूप में बहुत आम हो गया तथा उस की तकनीक भी काफी उन्नत हो गई। उदाहरण के लिए, हपेइ प्रान्त के चुनह्वा नामक स्थान की लोहा गलाने की भट्ठी 12 फुट ऊंची थी और उसमें एक बार में 1000 किलोग्राम से अधिक लौहखनिज डाला जा सकता था। इस भट्ठी की धौंकनी 4 से 6 व्यक्तियों द्वारा एकसाथ चलाई जाती थी।

इस में मिश्रधातु भी बनाई जा सकती थी। वर्तमान पेइचिङ के पश्चिमी उपनगर के चङच्याच्वाङ नामक स्थान के च्वेशङ मन्दिर में , जो विशाल घंटा मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है, रखा कांसे का घंटा मिङ राजवंश के युङलो वर्षनाम की अवधि में बनाया गया था। इस घंटे की ऊंचाई 7 मीटर , उस के मुख की परिधि 3.3 मीटर और वजन 43500 किलोग्राम है। भव्य आकार और मनोहर रूप वाले इस घंटे के अन्दर और बाहर दो लाख से अधिक चीनी रेखाक्षरों में बौद्धसूत्र खुदे हुए हैं।

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040