तीन साल यो गुजरा था , एक दिन छोटा हिरण खेलने के लिए आंगन से बाहर निकला , बाहर कुछ दूर जगह पर कुत्तों का एक झुंड आपस में खिलवाड़ी कर रहा था , छोटा हिरण भागा भागा कुत्तों के झुंड में शामिल हो कर उन के साथ खेलने गया । बाहरी कुत्तों ने जब देखा कि उन के बीच एक हिरण आया , तो वे तुरंत हिरण पर टूट पड़े और उन्हों ने झपके ही हिरण को फाड़ फाड़ कर खाया , जमीन पर टूटी हड्डी और खून से रंगे बल रह गए ।
बेचारा हिरण का बच्चा मरते दम भी नहीं समझ रहा था कि कुत्ता क्यों उसे मार कर खा रहा है ।
छोटे हिरण की दुखांत कथा हमें बताती है कि किसी चीज की बाहरी स्थिति से भ्रमित होने से बचना चाहिए , उस चीज की असलियत जानना बहुत जरूरी है , ताकि उस के साथ बर्ताव करने का उचित व सही रवैया अपनाया जा सके ।
शैतानी का चित्र बनाना आसान है
प्राचीन काल की कहानी थी कि एक दिन एक चित्रकार ची राजवंश के राजा का चित्र बना रहा था ।
राजा ने पूछा , तुम्हारे विचार में किस चीज का चित्र बनाना मुश्किल है .
चित्रकार ने जवाब में कहा, कुत्ता और घोड़ा जैसी चीजों का चित्र बनाना कठिन है ।
राजा ने फिर पूछा , तो किस चीज का चित्र बनाना सब से आसान है .
तो चित्रकार ने कहा, शैतानी का चित्र बनाना ज्यादा आसान है .
चित्रकार के जवाब पर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ । चित्रकार ने राजा की नासमझ को दूर करते हुए कहा, राजा जी , आप देखें , कुत्ता और घोड़ा ऐसे जानवर है, जिसे सभी लोग जानते हैं , रोज देखने को मिलते है , उन का चित्र बनाने में जरा भी त्रुति आई , तो कोई भी उसे बता सकता है , जहां तक शैतानी का ताल्लूक है , न उस का आकार किसी से देखा गया है , ना हि उस का छाया किसी से पाया गया , सभी शैतानों के चित्र कल्पना से बनाए गए है , कौन बता सकता है कि मेरा जो शैतानी का चित्र बनाया गया है , वह असली शैतानी से मेल नहीं खाता , इसलिए शैतानी का चित्र बनाना बहुत आसान है ।
इस कथा से हम यह शिक्षा ले सकते है कि किस भी प्रकार का काम करने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता है , काल्पिक रूप से असली चीज नहीं बनायी जा सकती है ।
बल्लून फिश का क्रोध
नदी में बल्लून फिश नाम की नस्ल की मछली रहती है , उस का सिर छोटा है , पर पेट बड़ा है , देखने में गुब्बारा सा लगता है । वह नदी पर निर्मित पुल के काष्ट तंभों के बीच तैरना खेलना पसंद करती है ।
एक दिन की बात थी , आकाश में धूप तेज पड़ती थी और हवा शांत चल रही थी , बल्लून फिश गाते खेलते नदी के पानी में तैर रही थी , अचानक एक लापरवाही के कारण उस का सिर लकड़ी के तंबे पर टक्कर मारा । बल्लुन फिश को एकाएक गुस्सा आया , वह इतना क्रोधित हुई थी कि तंबे से दूर रहने को तैयार भी नहीं , उसे तंबे से घृणा आयी कि तंबा ने क्यों उसे धक्का मारा , उस के दोनों गाले फुल पड़े और फिनस् खड़े हो गए और पेट गुस्सा से इतना बड़ा फुल पड़ा कि वह गुब्बार की तरह पानी की सतह पर तिर निकला और वह आंखें लाल लाल कर तंबे से बदला लेना चाहा , तभी आकाश में एक बाज आ धमका , उस ने अपने तेज पंजों से बल्लून फिश को धर दबोच किया और उस के फुले हुए पेट को फाड़ कर मांस खाया ।
इस छोटी कथा का मतलब बहुत साफ है कि आकारण गुस्सा आने पर अकसर आफत आ पहुंचता है . उदार भावना से काम लेना चाहिए और कठिनाई के समय़ ठंडे दिमाग से सोच विचार कर काम करना चाहिए ।