सुनिए चांग ये द्वारा गाया गया एक गीत, जिसका शीर्षक है—अपनी जड़ों की खोज। इस गीत की लय मधुर है। गीत में विदेशों में रहने वाले चीनियों की अपनी जन्मभूमि की याद करने की भावना की अभिव्यक्ति हुई है।
गीत के बोल हैं
जहां सूरज निकलता है
वह मेरी जन्मभूमि है
वह मेरी मातृभूमि है
और मेरी मां भी है
पतझड़ पेड़ों के मूल खोजते हैं
और नदियां समुद्र में जा कर मिलती हैं
विदेशों में रहने वाले चीनी लोग
बाद में घर वापस लौटने का रास्ता खोजते हैं।
गायिका चांग ये का चन्म मध्य चीन के हुनान प्रांत के छांग शा शहर में हुआ। बचपन से ही उसे गीत गाने का शौक है। 14 साल की उम्र में उस ने हुनान प्रांत के कला स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश किया और वहां चीन के स्थानीय नाटक के बारे में भी शिक्षा हासिल की। 1988 में उस ने चीन के संगीत विद्यालय में शिक्षा लेनी शुरु की और बाद में एम.ए की डिग्री हासिल की। तब से अब तक वे चीनी संगीत विद्यालय में अध्यापिका का काम कर रही हैं। पिछली शताब्दी के 80 के दशक के बाद अब तक गायिका चांग ये अक्सर गीतों के मंच पर अभिनय करती आ रही है। उसने गीत गायिका के रुप में अनेक प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। उस के द्वारा गाए गए गीतः नए युग में प्रवेश करना, पतझड़ का गीत, चीनी ढोल शीर्षक अनेक गीत चीन में बहुत लोकप्रिय हुए हैं। उस की मधुर आवाज लोगों को बहुत पसंद है।
कृपया सुनिए गायिका चांग ये द्वारा गाया गया एक मधुर गीत, जिस का शीर्षक है---पतझड़ का गीत। इस गीत को संगीतकार फे श्याओ पिन और फु ख ने साथ मिलकर गायिका चांग ये के लिए रचा है। गीत की लय लहरदार है और शब्द आसान हैं, यह गीत एक कविता जैसा है।
गीत के बोल हैं
बारिश समय पर होती है
नदी धीरे-धीरे बहती है
शाम को सूर्य की किरणों में रास्ते की हवा ठंडी है
सुंदर मैदान में आज की आशा मिल सकती है
सितंबर में सूरज सबसे सुंदर है
पतझड़ में हवा भी साफ है
मुबारक रास्ते पर बहुत लोग हैं
और यह मुबारक रास्ता लम्बा है।
चांग ये चीन के लोकगीतों की दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है, लोग अक्सर उन के गीत सुनने के बाद उस की प्रशंसा करते हैं। और उन के गीत गाने की विशेष शैली भी लोगों को बहुत पसंद है।
दोस्तो, अब हम चीन की अन्य एक युवा गायिका लांग ली रोंग और उन के गीतों का परिचय देंगे।
गीत 3 पहाड़ी गीतों में चंद्रमा आकाश में निकला है
कृपया सुनिए गायिका लांग ली रोंग द्वारा गाया गया यह गीत, जिस का शीर्षक है-- पहाड़ी गीतों में चंद्रमा आकाश में निकला है। श्री हू होंग यी और श्री ह छाओ ली ने साथ मिलकर इस गीत की रचना की है। गायिका लांग ली रोंग की भावपूर्ण आवाज में युवक और युवती के बीच हार्दिक प्यार की अभिव्यक्ति हुई है।
गीत के बोल हैं
पत्ते से बना भोंपू बजाने वाले लड़के तुम क्या कर रहे हो
क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि मैं ने तुम्हें देखा था
लकड़ी पहाड़ पर रखी है
लेकि तुम अभी भी वहां हो
लाल सूरज पहाड़ के दूसरे ओर नदी में चला गया है
पहाड़ी गीतों में चंद्रमा आकाश में निकल रहा है
गीत गाने वाले के कदमों की आवाज़ नहीं सुनाई पड़ रही है
लेकिन गीत सुनने वाले का हाथ फिर भी हिल रहा है
पहाड़ी गीतों में चंद्रमा आकाश में निकला है