9 तारीख की शाम को पेइचिंग पैराआलंपिक में आयोजित हार्डग्राउंड ग्राउंडर इवेन्ट के बी सी 3 श्रेणी की प्रतियोगिता में हांगकांग महिला खिलाड़ी को हाए इंग ने चैम्पियनशिप जीती,यह हांगकांग प्रतिनिधि मंडल का पहला स्वर्ण पदक है। उनकी खुशी का हिस्सा लेने वालों में उनके पिता व उनके कोच को खे रूंग भी है, बाप बेटी ने मिलकर चैम्पियनशिप के सपने को सजाया है।
चीन के हांगकांग टीम को पहला स्वर्ण पदक पाने की घड़ी में पूरा स्टेडियम खुशियों में डूब गया, हांगकांग प्रतिनिधि मंडल के नेता उ चे ल्येन ने कहा कि यह स्वर्ण पदक बड़ी मुश्किल से हासिल हुआ है। उन्होने कहा स्वर्ण पदक पाने पर हम बहुत खुश हैं, यह हमारा पहला स्वर्ण पदक है, विशेषकर को हाए इंग ने एथन्स पैराआलंपिक के बाद के पिछले चार सालों में उन्होने खून पसीना बहाया है, यह उसकी मेहनत का सुफल है।
हार्डगराउंड ग्राउंडर इवेन्ट के खिलाड़ी अकसर मस्तिष्क पैरालाइज के विकलांग लोग होते हैं, उन्हे वील कुर्सी पर यह खेल पूरा करना पड़ता है, इन खिलाड़ियों को अपने अभ्यास के दौर में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बी सी 2 श्रेणी के इस इवेन्ट में पहले आठ माहिरता प्राप्त खिलाड़ियों में केवल दो ही महिला बची। को हाए इंग की प्रतिद्वद्वी सिडनी पैराआलंपिक के चैम्पियन मरी निगेल थी। 21 वर्षीय को हाए इंग ने अपनी सहनशक्ति का शानदार प्रदर्शन दिखाया और अनेक कठिनाईयों को पार कर छोटे से अन्तराल में उन्होने अपने प्रतिद्वद्वी को हरा कर इस इवेन्ट का स्वर्ण पदक हाथ में ले लिया। उन्होने अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा मैं बहुत ही खुश हूं, यह मेरा पहला स्वर्ण पदक है, खुशी के साथ मैं थोड़ी तनावपूर्ण भी हूं। आखरी खेल में मैने अपनी जीत की किरण देखी तो मेरे दिल में उम्मीद जाग उठी।
हार्डग्राउंड ग्राउंडर पैराआंलपिक के 20 खेलों के तीन विशेष इवेन्टों में से एक है। 13 साल की उम्र से उन्होने हार्डग्राउंड ग्राउंडर खेल से संपर्क करना शुरू किया , तब से को हाए इंग ने अपनी सेहत सुधारने व लचीलेपन को उन्नत करने के इस खेल को पसंद करना शुरू कर दिया। इतने सालों में उनके के पिता को खो रूंग उनका साथ देते आए हैं, वह उनके सबसे नजदीकी कोच भी हैं। उन्होने हमें बताया मैं इस खेल का कोच हूं, वह मेरी बेटी है। मैंने उससे कहा दिया है कि खेल स्थल में मैं केवल उसका कोच हूं पिता नहीं, इस तरह अन्य खिलाड़ियों को यह न महसूस हो कि मैं अपनी बेटी का ज्यादा ख्याल रखता हूं। मैं उसे व अन्य खिलाड़ियों को एक तराजू में रख कर प्रशिक्षण देता हूं, चाहे प्रशिक्षण स्थल में हो या मैच में, मैं एक पिता के रूप में नहीं बल्कि एक कोच की हैसियत से उसे और अन्य खिलाडियों को मैच में ले जाता हूं।
उन्होने आगे कहा हांगकांग के खिलाड़ियों के अभ्यास का समय हर हफ्ते तीन बार, हर बार दो घन्टे होता है। यदि मैच का समय हो तो, रविवार को पूरे दिन अभ्यास भी किया जाता है। अपने पिता की कड़ी शिक्षा में को हाए इंग दिनों दिन तेजी से तरक्की करती रही। पेइचिंग पैराआलंपिक से पहले , उसने हार्डग्राउंड ग्राउंडर बी सी 2 श्रेणी का विश्व चैम्पियनशिप जीत लिया था और विश्व की प्रथम पंक्ति की खिलाड़ी गिनी जाने लगी।
संवाददाता के आगे उनके पिता को खो रूंग ने हंसते हुए कहा कि उनकी बेटी को हाए इंग ने जब से खेल अभ्यास में भाग लेना शुरू किया है तब से उसकी शारीरिक स्थिति में भारी सुधार आया है, उसका मिजाज भी खुला होने लगा है और आत्म-विश्वास भी बढ़ गया है। उन्हे आशा है कि अधिकाधिक विकलांग खिलाड़ी इस खेल व अन्य खेलों में भाग लेगें और खेल के दौरान अपने जीवन को बदलने की कोशिश करेगें। उन्होने कहा मेरा और मेरी बेटी का एक लक्ष्य है, आशा है कि और अधिक विकलांग लोग खुद अपनी खोई हुई जिन्दगी से निकल आएगें और खेल के मैचों में भाग लेने के जरिए अपनी सेहत को सुदढ़ करने के साथ अन्य सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रियता से शरीक होगें।