2008-09-12 12:16:51

आओ गले लगाये

चीनी समाज में गले लगाने की आदत इतनी अस्वभाविक है जितनी उनके द्वारा भोजन करने के वक्त फोर्क और चाकू की इस्तेमाल। लेकिन पिछले कुछ माहों में एक अभियान चलाया जा रहा है जिसका मुख्य लक्ष्य है लोगों में गले लगाने की आदत को प्रेत्साहन देना और बढ़ावा देना। ये अभियान चीन के कई शहरो में चलाया गया।

रास्ते पर अनजानों को गले लगाना,जिसे लोकप्रिय हिंदी फिल्म मुन्नाभाई में जादू की झप्पी का नाम दिया गया, और इस माध्यम से उनके ओठों पर मुस्कराहट लाना और खुश करना, एक आसान बात नहीं है।

एक युवक जो इस अभियान में आयोजक है और इसमें सक्रिय रुप से भाग लिया, का कहना है, की छांगशा (चीन का एक शहर) में ऐसे एक अभियान से वो और उसके कुछ दोस्त प्रेरित हो कर उसके शहर में ऐसे अभियान का आयोजन की। इस आयोजक ने कहा गले लगाने से लोग एक दूसरे के करीब महसूस करते हैं और पूरे विशव को अपना परिवार के रुप में देखने लगेंगे।

लेकिन लोगों में सूझबूझ बढ़ाना, वसुदेव कुटुम्बकम, यानी पूरे विशव को अपने परिवार का हिस्सा मानना, जैसे लक्ष्य सिर्फ गले लगाने से नहीं हासिल किया जा सकता। शारिरिक तौर पर जरूर लोग गले लगाने से एक दूसरे के नजदीक महसूस करते हैं लेकिन वसुदेव कुटुम्बकम की भावना को बढ़ावा देने के लिए, गलों की नहीं, दिलों के मिलने की आवशकता है।

इस अभियान से जुड़े हुए युवकों और युविकाओं को चीन के सड़कों में असुविधा पैदा करने के वजह से पुलिस ने ऐसे अभियान को हतोत्साहित किया और आम लोगों ने भी इस अभियान में भाग नहीं लिया।

लेकिन एक आम चीनी नागरिक ऐसे अभियान में क्यों भाग लें? कई शताब्दियों से चीन में लोग पारम्परिक तरीके से, अपने सीने पर बाये हथेली से दाये हथेली के मुठ्ठी को ढक कर, और अपने सर को झुका कर एक दूसरे का सत्कार करते हैं। भारतीय भी एक दूसरे को नमस्कार करते हुए हाथ जोड़ते हैं और दूसरों के प्रति स्नेह और इज्जत जाहिर करते हैं। जापान के लोग ङी पारम्परिक तरीके से एक दूसरे का सत्कार करते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या ये जरूरी है की ऐसे अभियान में आम चीनी जोश से और उत्साह से भाग ले।

देखा जाय तो मानव जाति के काफी नजदीकी प्राकृतिक रिशतेदार चिंपांजी, गोरिला और ओरांगुटान जैसे जानवरों में भी गले लगाने की आदत नहीं देखने को मिलती है।

गले लगाने की इस आदत को जुआन मान ने आस्ट्रेलिया में दो वर्षों पूर्व चालू किया। इस बात की जानकारी उन्होंने एक बार मशहूर टीवी कार्यक्रम, ओपरा विनफ्री शो, में दी थी। लेकिन मान की ये बात शायद गलत है। गले लगाने की आदत और इसे बढ़ावा देने के लिए एक वेबसाईट के अनुसार अमेरिका के जेसन हंटर ने गले लगाने की आदत को प्रोत्साहन और बढ़ावा देना चालू किया जब उनके माता जी का निधन हो गया। इस वेबसाईट का लक्ष्य है- समाज का हर एक व्यक्ति को हम यह संदेश देना चाहते हैं की वे सभी हमारे लिए मायने रखते हैं और उनको मान्यता देते हुए हम समाज के प्रति अपना दायित्व निभाना चा़हते हैं। हम सदैव मानवता के सेवा में अपने आपको करते रहेंगे और मानवता के प्रति अपना दायित्व पूरा करते रहेंगे। इस वेबसाईट में भी गले लगाने की बात को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी गई है। इस बात से पता लगता है की हमें पाशचात्य आदतों की खुली मकल करने के बजाय अपनी सभ्यता के आदतों के हिसाब से प्रेम और सदभाव वढ़ाये।