गीत---पेइचिंग के स्वर्ण पहाड़ पर
अब आप जो गीत सुन रहे हैं, वह मशहूर तिब्बती गायिका छाईतान चोमा द्वारा गाया गया"पेइचिंग के स्वर्ण पहाड़ पर"नामक गीत है । गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार हैः
पेइचिंग के स्वर्ण पहाड़ पर रोशनी है बहुत चमकदार
हमारे अध्यक्ष माओ स्वर्ण सूर्य की तरह हैं
बहुत स्नेहपूर्ण हैं और बहुत गर्म हैं वे
हमारे भूदासों के दिल को चमका
समाजवाद के रास्ते पर सुखपूर्ण उन के साथ चलते हैं हम
पिछली शताब्दी के छठे दशक के चीनी लोगों को इस गीत की धुन याद होगी । उस समय तिब्बती गायिका छाईतान चोमा की मधुर आवाज़ देश के कोने-कोने में गूंज़ती थी । टी.वी. और इन्टरनेट न होने के जमाने में"पेइचिंग के स्वर्ण पहाड़ पर"नामक गीत उस युग में खून की तरह हर चीनी की रगों में बहता था, यह गीत इतना लोकप्रिय था कि उस ने हर चीनी के दिन में घर बनाया हुआ था ।
गायिका छाईतान चोमा का जन्म वर्ष 1937 में तिब्बत के शिकाज़े क्षेत्र के एक चरवाहे परिवार में हुआ था। आधी शताब्दी के बाद छाईतान चोमा एक साधारण चरवाहा लड़की से विश्वविख्यात तिब्बती गायिका बन गयी । छाईतान चोमा ने कहा कि वर्ष 1951 में शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व तिब्बत में भूदास व्यवस्था लागू थी । छोटी छाईतान चोमा चरागाह के काम में माता-पिता की सहायता करती थी । तिब्बत के सुनहरे पहाड़ों और स्वच्छ पानी ने उन्हें एक अच्छा स्वर दिया । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद छाईतान चोमा वर्ष 1955 में शिकाजे के स्थानीय सांस्कृतिक कलात्मक दल में दाखिल हो गयी । वर्ष 1957 में वे भीतरी इलाके के शान शी प्रांत के श्येनयांग शहर स्थित तिब्बती कॉलेज में पढ़ने लगीं और इस के बाद वे शांगहाई संगीत कॉलेज की जातीय कक्षा में दाखिल हो गयीं । अनेक सालों की पढ़ाई के बाद छाईतान चोमा एक तिब्बती लोक गायिका से एक पेशावर जातीय अभिनेत्री बन गयी । छाईतान चोमा ने कहा कि वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी जनता की उन्हें ऐसा सुअवसर व सौभाग्य प्रदान करने के लिए आभारी है । उन का कहना है
"तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद ज्यादा प्रतिभाओं की आवश्यक्ता थी। हम जैसे लोगों के पास गाने के अलावा और सांस्कृतिक जानकारी कम है। इस तरह हमारे देश में अल्पसंख्यक जातीय अभिनेता-अभिनेत्रियों के प्रशिक्षण पर बल दिया गया, विशेषकर तिब्बती अभिनेता व अभिनेत्रियों के लिए प्रशिक्षण पर । हमारे स्कूल में कभी-कभार विदेशी दोस्त आते थे, उन के स्वागत के लिए की गई प्रस्तुतियों में मैं भाग लेती थी और उन विदेशी दोस्तों को अपनी प्रस्तुतियों के जरिए तिब्बत और तिब्बती संस्कृति से अवगत कराती थीं ।"
वर्ष 1962 में छाईतान चोमा ने चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य के रूप में विश्व युवा मिलन समारोह में भाग लिया और एक कार्यक्रम प्रस्तुति किया । उन्होंने समारोह में पुरस्कार हासिल किया और धीरे-धीरे चीनी सांस्कृतिक व कलात्मक मंच पर मशहूर हो गयी । वर्ष 1964 में बड़े पैमाने वाला नृत्य नाटक《पूर्व की ओर लाल रंग》पेइचिंग में प्रदर्शित किया गया । छाईतान चोमा ने इस नृत्य नाटक में《गीत गाना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए》नामक गीत गाया , जो तुरंत ही देश भर में लोकप्रिय हो गया, और छोईतान चोमा भी तुरंत चीन में मशहूर हो गयी । मुश्किल जीवन के अपने अनुभवों को उन्होंने अपने गीतों में शामिल किया है। उन के गीत सुरीले भी हैं और लोगों को प्रभावित करने में सक्षम भी हैं ।《गीत गाना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए》एक ऐसा गीत है जो लम्बे समय तक चीन में लोकप्रिय रहा है यहां तक कि आजकल भी यह गीत गाया जाता है । वर्ष 1965 में छाईतान चोमा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नृत्य गान मंडली में एक गायिका बन गईं । 50 से ज्यादा वर्षों में उन्होंने《पेइचिंग के स्वर्ण पहाड़ पर》、《अध्यक्ष माओ की किरण》、《शराब का गीत》、《सुन्दर तिब्बत,प्यारी जन्मभूमि》और《गीत गाना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए》आदि गीत गाए, जो बहुत लोकप्रिय रहे । इन गीतों में《पेइचिंग के स्वर्ण पहाड़ पर》इतना मशहूर हुआ कि चीन में अनेक मीडिल स्कूलों व प्राइमरी स्कूलों में इसे बच्चों की पाठ्य पुस्तकों भी में शामिल किया गया है । अपने कलात्मक रास्ते की चर्चा में छाईतान चोमा ने कहा
"मैं गीत गाना पहुत पसंद करती हूँ । आशा है कि मैं जीवन भर तिब्बत के सांस्कृतिक कार्य के विकास के लिए अपना योगदान करती रहूंगी ।"
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओ थांग)