2008-09-02 15:51:24

मरम्मत किया जा रहा महान पोटाला महल

अब आप सुन रहे हैं पोटाला महल की मरम्मत कर रहे तिब्बती मज़दूरों का श्रमिक गीत । तिब्बती भाषा में इसे"आगा"कहा जाता है । आगा एक किस्म की मिट्टी होती है जिसे तिब्बती मकानों की छतों और फर्श पर लगाया जाता है । इस के बाद लकड़ी और पत्थर के औज़ारों से इस पर घिसाई करके इसे संगमरमर की तरह चमकाया जाता है । वर्तमान में पोटाला महल की मरम्मत के लिए इस प्रकार के प्राचीन तरीके का ही प्रयोग किया जा रहा है । बीस साल से भी अधिक समय से इस प्रकार के श्रमिक गीत पोटाला महल के विभिन्न कोनों में गूंज रहे हैं।

पोटाला महल चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के केंद्र में स्थित है, जिस का इतिहास आज से कोई 1300 वर्ष पुराना है । पोटाला महल विश्व में समुद्री सतह से सब से ऊंचा और सब से अच्छी तरह सुरक्षित प्राचीन भवन निर्माण है । पोटाला महल के बारे में एक सुन्दर प्रथा प्रचलित है । कहा जाता है कि ईसवी सातवीं शताब्दी में तिब्बती राजा सोंगजान कानबू ने तत्कालीन चीन के भीतरी इलाके के थांग राजवंश की राजकुमारी वनछंङ के साथ शादी करने के लिए विशेष तौर पर पोटाला महल का निर्माण किया था । इस महल का निर्मा्ण पर्वत पर किया गया है और इस का कुल क्षेत्रफल चार लाख वर्गमीटर से ज्यादा है। महल के प्रमुख भाग में कुल 13 मंजिलें हैं, और सब पत्थर व लकड़ी से बनी हुई हैं ।

बहुत पुराना होने और निर्माण सामग्री तथा प्राकृतिक पर्यावरण में आए परिवर्तन आदि कारणों से पोटाला महल की बुनियाद ढह गयी, कई भाग नष्ट हो गए और कुछ दीवारें भी ढह गईं । इस तरह गत शताब्दी के पचास वाले दशक से लेकर अब तक विशेष कर इधर के बीस वर्षों में चीन सरकार ने पोटाला महल की मरम्मत के लिए लगातार पूंजी लगाई है।

वर्ष 1959 के बाद चीन सरकार हर वर्ष इस महान महल की मरम्मत के लिए विशेष पूंजी प्रदान करती है । इस के अलावा वर्ष 1989 और वर्ष 2002 में सरकार ने अतिरिक्त धन राशि भी प्रदान की, और पोटाला महल की दो बार बड़े पैमाने वाली मरम्मत की । पोटाला महल के प्रबंधन विभाग के निदेशक तिब्बती बंधु श्री छांगबा गेसांग ने कहा:

"वर्ष 1989 से वर्ष 1994 तक केंद्र सरकार ने पोटाला महल की मरम्मत के लिए पांच करोड़ तीस लाख य्वान का अनुदान किया था । वर्ष 2002 में केंद्र सरकार ने फिर 17 करोड़ य्वान की राशि लगाई, जिस का प्रयोग आज तक किया जा रहा है ।"

अब पोटाला महल की पांच क्षेत्रों में मरम्मत की जा रही है जिन में प्राचीन निर्माण के बुनियाद की मज़बूती, आसपास के पर्यावरण का सुधार, बिजली आपूर्ति व पानी निकासी व्यवस्था, अग्नि सुरक्षा और भित्ति चित्रों की मरम्मत आदि शामिल है । तिब्बती बूढ़े च्यांग ल्हासा प्राचीन कलात्मक निर्माण ललित कला कंपनी के कर्मचारी हैं । गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक से ही उन्होंने पोटाला महल के जीर्णोद्धार कार्य में भाग लिया है। उन्होंने कहा:

"मैं ने अनेक बार पोटाला महल और अन्य महत्वपूर्ण तिब्बती प्राचीन विरासतों के मरम्मत कार्य में भाग लिया है। ये सब राष्ट्रीय यहां तक कि विश्व स्तरीय मूल्यवान सांस्कृतिक अवशेष हैं । हमारे देश ने इन के संरक्षण व मरम्मत के लिए भारी धन राशि लगाई है। ऐतिहासिक सांस्कृतिक अवशेष के रूप में पोटाला महल के जीर्णोद्धार की तकनीक और सामग्री दूसरे अवशेषों से अलग है । हम इतिहास का सम्मान करते हैं। हमारा मकसद है कि मरम्मत के बाद यह पहले जैसा हो जाए । हर बार मरम्मत करने के वक्त हम विभिन्न पक्षों की राय सुनते थे ताकि मरम्मत के बाद पोटाला महल पहले की तरह सुरक्षित हो सके ।"

तिब्बती बंधु सोलांग तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं । उस ने अपनी आंखों से खुद पोटाला महल की दो बार मरम्मत होते देखी है । उस ने कहा:

"इधर के वर्षों में देश ने पोटाला महल और सागा मठ आदि महत्वपूर्ण मठों के संरक्षण व मरम्मत के लिए भारी धन राशि लगायी गई है। इस से तिब्बत के श्रेष्ठ सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण किया गया और हमारे तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए खुशी की बात भी है ।"

पोटाला महल की दूसरी बार की मरम्मत की राशि में एक भाग का प्रयोग महल के भित्ति चित्रों के जीर्णोद्धार के लिए किया गया है । कुल 2100 वर्गमीटर भित्ति चित्रों की मरम्मत की गयी है, वर्तमान में यह कार्य पूरा हो गया है। पोटाला महल के प्रबंधन विभाग के प्रधान तिब्बती बंधु श्री छांगबा गेसांग ने कहा:

"हमारा सिद्धांत है कि मरम्मत के बाद पुरानी शैली जैसी ही दिखाई पड़े। इस तरह हम ने भित्ति चित्रों की मरम्मत के दौरान खनिज रंगों का प्रयोग किया, क्यों कि खनिज रंग लम्बे समय तक सुरक्षित रह सकते हैं ।"

वर्तमान में पोटाला महल के सत्तर प्रतिशत भाग का जीर्णोद्धार हो गया है । इस वर्ष के अंत में पूरा काम समाप्त होने की संभावना है। इस के साथ ही तिब्बत में नार्वूलिनका भवन और सागा मठ का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उपाध्यक्ष श्री पड्मा त्सिन्ले ने जानकारी देते हुए कहा:

"वर्ष 2001 से 2006 दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान केंद्र सरकार ने पोटाला महल, नार्बूलिनका भवन और सागा मठ के संरक्षण के लिए33 करोड़ य्वान की राशि लगायी । ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान यानी वर्ष 2006 से वर्ष 2010 तक इन तीन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के लिए करीब सत्तर या अस्सी करोड़ य्वान की राशि लगाई गई। निकट भविष्य में जोखान मठ और अन्य महत्वपूर्ण मठों का जीर्णोद्धार किया जाएगा । यह सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण ही नही, धार्मिक संरक्षण गतिविधि भी है ।"

पता चला है कि बिछले बीस वर्षों से भी अधिक समय में चीन की केंद्र सरकार और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने 1400 से अधिक मठों, सांस्कृतिक अवशेषों व धार्मिक स्थलों की मरम्मत के लिए कुल एक अरब य्वान की राशि प्रदान की । चीन सरकार की योजनानुसार इस वर्ष से ही केंद्र सरकार तिब्बत के 22 प्राचीन सांस्कृतिक निर्माणों व मठों की सर्वतोमुखी तौर पर मरम्मत के लिए और साठ करोड़ य्वान लगाएगी। सभी कार्य इस वर्ष के भीतर शुरू होगा ।

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