2008-08-29 10:59:17

म्याओ जाति का विश्वास

विवाह से पहले, म्याओ जाति की लड़कियां खुद एक कपड़ा बनाती हैं। और अपने पूर्वजों की याद और भविष्य के जीवन की आशा को अपने वेशभूषा में सीती हैं । अच्छी सिलाई कर सकने वाली लड़कियों को अक्सर लोगों की प्रशंसा मिलती है और अनेक म्याओ जाति के लड़कों की मुहब्बत भी।

सुन्दर वेशभूषा को छोड़कर चांदी की सजावट भी म्याओ जाति की जनता द्वारा इतिहास व विश्वास को रिकार्ड करने वाला माध्यम है। मिसाल के लिए लड़कियों के सिरों पर चांदी के मुकुट भी म्याओ जाति के पुराने समय के समाज के अवशेष हैं। उस समय पुरुष बहुत शक्तिशाली थे और सिरों पर बैल के सींग पहनते थे और इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करते थे। बाद में म्याओ जाति की महिलाओं ने बैल के सींग के आधार पर अपने लिए चांदी का मुकुट बनाया।

म्याओ जाति की लड़कियों के शरीर पर चांदी के बहुत गहने होते हैं, जिन का कुल वजन 15 किलोग्राम से भी अधिक हो सकता है। क्वेई च्यो प्रांत के दक्षिण पूर्वी भाग स्थित म्याओ जाति और तुंग जाति स्वायत प्रदेश की थैईच्यांग काऊंटी के प्रसार विभाग की कर्मचारी सुश्री शन एई छ्वन ने कहा कि म्याओ जाति की लड़कियों के गहने उन के माता-पिता के अनेक वर्षों की कमाई का परिणाम है। उन के अनुसार,हमारे यहां यदि घर में बेटी होती है, तो मां-बाप बेटी के छुटपन से ही उस के लिए चांदी के विभिन्न गहने बनाने लगते हैं । जब बेटी बड़ी हो जाती है और शादी के लायक हो जाती है, तब तक उस के लिए गहनों का एक पूरा सेट तैयार हो चुका होता है। एक आम चांदी के गहनों का सेट लगभग 20 हजार चीनी य्वान का बनता है। चूंकि मां-बाप एक बार इतने पैसे निकालकर बेटी को नहीं दे पाते हैं, इसलिए, जब उन के पास पैसे होते हैं, तो धीरे-धीरे गहने बनाते रहते हैं।

म्याओ जाति के गांवों में चांदी के गहने बनाने वाले लोग आम तौर पर पीढी दर पीढ़ी यह हुनर अपने पिता से सीखते हैं। 45 वर्षीय वू क्वो जडं उन में से एक हैं। उन के अनुसार,हमारा घर पीढ़ी दर पीढ़ी चांदी के गहने बनाता आया है। बचपन से ही हम ने यह कला सीखना शुरु कर दिया था। लोग आम तौर पर तीन चार वर्षों में ही यह कला सीख लेते हैं।

वर्ष 1980 से ही श्री वू ने शीतुंग कस्बे में चांदी के गहने बनाना शुरु किया। उन के द्वारा बनाए गए गहने बहुत सुंदर और लोकप्रिय हैं। ज्यादा से ज्यादा लोग म्याओ जाति के गहनों की सजावट पर ध्यान देने लगे हैं । अनेक लोग म्याओ जाति के लोगों को बाहर जाकर उन के लिए चांदी के गहने बनाने के लिए आमंत्रित भी करने लगे हैं। श्री वू के पिता आजकल पेइचिंग के एक संग्रहालय के लिए चांदी के गहने बना रहे हैं। लेकिन, श्री वू ने कहा कि वे अपनी जन्मभूमि में रहना पसंद करते हैं।

चाहे वेतन बहुत है, फिर भी मैं बाहर जाना नहीं चाहता। चूंकि हम अल्पसंख्यक जाति के लोग हैं, यदि मैं बाहर जाता हूं, तो मेरे गांववासियों को मेरे द्वारा बनाए गए चांदी के गहने नसीब नहीं होंगे। ड्रैगन त्येहार आदि अनेक त्येहारों के अवसर पर , उन्हें अनेक चांदी के गहनों की ज़रुरत है। वे मुझ पर विश्वास करते हैं। यदि मैं बाहर जाता हूं, तो वे मेरे बनाए गहने नहीं खरीद सकेंगे।

श्री वू का छोटा बेटा अब प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहा है ।अपने पिता की ही तरह, वह पढ़ते समय पिता से म्याओ जाति की परम्परागत कला भी सीख रहा है। श्री वू आशा करते हैं कि बेटा बड़ा होने के बाद अपनी कला का प्रसार करेगा और तितली मा आदि सुन्दर चित्रों को म्याओ जाति के गहनों और कपड़ों पर अंकित करेगा। (श्याओयांग)