2008-08-28 15:57:32

डॉक्टर कोटनिस के कदमों पर आगे बढेंगे

2008 चीन की सहायता करने वाले भारतीय मेडिकल मिशन के चीन में आने की 70वीं वर्षगांठ है। भारतीय मेडिकल मिशन की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना का प्रसार-प्रचार करने के लिए चीनी वैदेशिक जन मैत्री संघ और भारतीय सांस्कृतिक संबंध समिति ने अलग-अलग तौर पर चीन और भारत के दस-दस श्रेष्ठ युवा डॉक्टरों से गठित चीन भारत संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना की। इस चिकित्सा दल ने उत्तरी चीन के ह पेइ प्रांत के गावों में आम लोगों के लिए मुफ्त इलाज किया। कृपया सुनिए हमारी संवाददाता की रिपोर्ट।

2008 14 जनवरी को भारतीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की चीन यात्रा के दौरान चीन भारत संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना की गई। चीन और भारत के प्रधानमंत्रियों ने चिकित्सा दल के स्थापना समारोह में भाग लिया और सदस्यों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया। चीन के भारतीय विषय के विशेषज्ञ श्री मा चा ली का विचार है कि चीन भारत संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना का भारी महत्व है।

उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना के समारोह में भाग लेने का भारी महत्व है। डॉक्टर कोटनिस ने जापान के चीन विरोधी युद्ध में बड़ा योगदान दिया था और अपने जीवन की बलि भी दी थी। इस तरह उन की याद करना दोनों देशों की जनता के बीच मैत्री को बढ़ाना है।

डॉक्टर कोटनिस का पूरा नाम द्वारकानाथ कोटनिस था। 1936 में उन्होंने बुम्बई के प्रसिद्ध कालेज मेडिकल कालेज से शिक्षा पूरी की और शल्य-शास्त्र में विशेषज्ञता हासिल की। उस समय भारतीय जनता के मैत्रीपूर्ण पड़ोसी चीनी जनता को जापान की साम्राज्यवादी शक्ति के आक्रमण का सामना करना पड़ा। डॉक्टर कोटनिस का विचार है कि मरने वालों को बचाना और घायल लोगों को सहारा देना एक डॉक्टर का जिम्मा है। इस लिए वे विदेशों में शिक्षा हासिल करने का मौका छोड़कर भारतीय कांग्रेस द्वारा आयोजित चीन की सहायता करने वाले भारतीय मेडिकल मिशन के साथ चीन में आए। चीन के युद्ध में उन्होंने अनेक घायल हुए चीनी सैनिकों का उपचार किया था। 1942 में चीन में काम करने के दौरान उन की मौत हो गई, उस समय उन की उम्र सिर्फ 32 साल की थी। डॉक्टर कोटनिस की मौत होने के खबर सुनकर चीन के प्रथम राष्ट्राध्य़क्ष श्री माओ त्स तुंग ने अपने आप यह शोकशब्द लिखे कि भारतीय मैत्री डॉक्टर कोटनिस ने चीन पहुंचकर जापान के खिलाफ युद्ध में चीन की मदद की। उन्होंने येएन शहर व उत्तरी चीन में पांच सालों तक अनेक घायल चीनी सैनिकों का उपचार किया था। काम के दौरान बीमार होने के कारण उन की मौत हो गई। चीनी सेना और चीनी जनता ने एक दोस्त खो दिया। डॉक्टर कोटनिस की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना हम कभी नहीं भूलेंगे।

चीन के भारतीय विषय के विशेषज्ञ श्री मा चा ली ने कहा कि डॉक्टर कोटनिस की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना ने चीनी जनता को प्रभावित किया है। चीन भारत मैत्री के श्रेष्ठ प्रतिनिधि के रूप में वे हमेशा चीनी जनता के दिलों में रहेंगे। वर्तमान में चीन और भारत द्वारा अपने यहां मुफ्त इलाज आदि कल्याण के आयोजन से इस महान अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी सैनिक को याद करने के साथ-साथ चीन की सहायता करने वाले भारतीय मेडिकल मिशन की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना का प्रसार-प्रचार करने और दोनों देशों की जनता के बीच समझदारी व मैत्री बढाने में मदद मिलेगी।

चीन भारत संयुक्त चिकित्सा दल की हपेई प्रांत की यात्रा के दौरान भारतीय डॉक्टरों ने हपेई प्रांत की राजधानी शचाचुआंग शहर स्थित बेजुन अंतर्राष्ट्रीय शांति अस्पताल जाकर इस में डॉक्टर कोटनिस के स्मृतिभवन को देखा। उन्होंने डॉक्टर कोटनिस की कहानी सुनी और इस भारतीय डॉक्टर के प्रति चीनी जनता के सम्मान व प्यार को महसूस किया। संयुक्त चिकित्सा दल के भारतीय प्रधान डॉक्टर कोयर ने कहा

वहां से रवाना होने से पहले डॉक्टर कोयर ने अतिथि-पुस्तक में लिखा कि डॉक्टर कोटनिस के प्रति चीनी जनता का इतना ज्यादा प्यार देख कर मै बहुत प्रभावित हुआ हूं। आशा है कि डॉक्टर कोटनिस की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना सदा जीवित रहेगी।

संयुक्त चिकित्सा दल के सदस्यों ने उत्तरी चीन के शहीदी मकबरे में स्थित डॉक्टर कोटनिस की कब्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। भारतीय डॉक्टर सुश्री अनुराधा ने कहा

चीन भारत संयुक्त चिकित्सा दल ने हपेई प्रांत के थांग शिए कस्बे के अस्पताल में चीनी डॉक्टरों के साथ आदान-प्रदान किया। संयुक्त चिकित्सा दल ने इस अस्पताल को 50 हजार य्वान की हर प्रकार की दवाइयां प्रदान कीं। चीन भारत संयुक्त चिकित्सा दल के 20 डॉक्टरों ने 7 कार्यदल बना करके विभिन्न विभागों में स्थानीय डॉक्टरों के साथ आदान-प्रदान किया या आम लोगों के लिए मुफ्त इलाज किया। यह 10 भारतीय डॉक्टरों की पहली चीन यात्रा है। उन्होंने चीनी डॉक्टरों की सहायता के जरिए जल्द ही काम शुरु किया। 10 चीनी डॉक्टर उन के साझेदार ही नहीं बल्कि उन के अनुवादक भी हैं। 7 कार्यदलों की कार्यवाहियां अलग-अलग हैं, कुछ दलों ने संगोष्ठी कीं, कुछ ने बिमारियों की जांच की, कुछ ने विचार-विमर्श किया। थांग शिए कस्बे के अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने पहली बार विदेशी डॉक्टरों के साथ इस तरह का आदान-प्रदान किया, और बहुत कुछ सीखा।

थांग शिए कस्बे के अस्पताल के बाल विभाग की डॉक्टर सुश्री यू युन शा ने कहा

"मुझे खुशी है कि भारतीय दोस्त हमारे अस्पताल पहुंचे। आदान-प्रदान के बाद हमारी चिकित्सा तकनीक उन्नत हुई है, हम ने बहुत सी ऩई बातें सीखी हैं। आशा है कि भविष्य में इस तरह की कार्यवाही अकसर आयोजित होगी।"

मेडिकल विभाग में एक चीनी डॉक्टर और दो भारतीय डॉक्टरों ने साथ मिलकर आम लोगों का उपचार किया। बहुत बूढे लोग खबर पा कर विदेशी डॉक्टरों से मिलने के लिए यहां आए। उन्होंने सुबह-सुबह वहां आकर विदेशी विशेषज्ञों का इंतजार किया। सुश्री चाओ फेंग ची ने कहा

"सुबह मुझे मालूम हुआ कि विदेशी विशेषज्ञ आएंगे, मुझे चिंता थी कि यदि मुझे स्थान नहीं मिला तो,इस लिए मैं सुबह-सुबह यहां आकर इंतजार करने लगा। उपचार करवाने के बाद मुझे कोई चिंता नहीं है। मैं ने उन पर विश्वास किया है। आशा है कि वे अक्सर यहां आएंगे।"

हपेई प्रांत की यात्रा के दौरान संयुक्त चिकित्सा दल के सदस्य डॉक्टर कोटनिस द्वारा काम करने और उन की मृत्यु होने की जगह क कुंग छुन गांव भी पहुंचे। डॉक्टरों ने किसानों के घर देखकर लागों के लिए मुफ्त इलाज किया और उन्हें दवाइयां दी। डॉक्टरों ने चीन की बुनियादी चिकित्सा स्थिति की जानकारी ली और कहा कि इस तरह के मुफ्त इलाज से चीन के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की सहायता की जा सकती है और इस की भूमिका सकारात्मक रही है।