2008-08-28 15:50:34

प्रेम भरी मां सुश्री वांग जिन ल्यान

सुश्री वांग जिन ल्यान मध्य चीन में स्थिति च्यांग शी प्रान्त के गान ज्यो शहर के गान कस्बे में शा दी क्षेत्र के केंद्रीय प्राइमरी स्कूल की एक रिटायर अध्यापिका हैं। गत 10 सालों से भी अधिक समय में उन्होंने 200 से ज्यादा माता पिता के पास नहीं रह सकने वाले बच्चों के लिए एक घर बनाया है। इस घर का नाम है गान कस्बे शा दी क्षेत्र में माता पिता के पास नहीं रह सकने वाले बच्चों का आवास केंद्र।

बच्चों का यह आवास केंद्र बहुत सामान्य है। बच्चे यहां खुशी से खेल रहे हैं। प्रेम भरी मां सुश्री वांग जिन ल्यान चीनी जड़ी बूटी की दवा तैयार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह चीनी दवा है। बच्चे इसे खाकर मजबूत बन सकते हैं और उन की रोगविरोधी शक्ति का विकास होता है। मैं इसे उन के लिए तैयार कर रही हूं।

अब 50 से ज्यादा बच्चे इस आवास केंद्र में रहते हैं। सुश्री वांग जिन ल्यान इन बच्चों को संभालती हैं। वे हर दिन सुबह 5 बजे उठकर बच्चों के लिए नाश्ता बनाती हैं। दोपहर को बच्चो के स्कूल जाने के बाद वे घर में सफाई का काम करती हैं। रात को खाना बनाती हैं और बच्चों को पढ़ने में मदद देती हैं। उन का हर दिन व्यस्त होता है।

पहले सुश्री वांग जिन ल्यान एक अध्यापक थीं ,अब इन बच्चों को संभालने लगी हैं। इन सालों में गांव में अधिक से अधिक व्यक्ति काम के लिए शहर जाते हैं। जिस से बहुत बच्चे गांव में रहकर अपने माता-पिता के साथ जीवन नहीं बिता सकते। पारिवारिक शिक्षा के अभाव से इन बच्चों के मन में कुछ न कुछ समस्याएं पैदा होने लगी हैं। वे स्कूल नहीं जाना चाहते और बुरी बातों में फंसने लगते हैं । सुश्री वांग जिन ल्यान ने इस समस्या पर ध्यान दिया। उसी समय उन्होंने इन बच्चों की मदद करने और उन्हें संभालने का फैसला किया।

इतने छोटे बच्चों को बुरी बातें करते देख मुझे बहुत दुख हुआ। मैं एक अध्यापक हूं, मुझे इन बच्चों की मदद करनी चाहिए।

सन् 1995 में सुश्री वांग जिन ल्यान की क्लास में एक छात्र है, जिस के माता पिता शहर में काम करने के लिए गए हैं। जिस से इस छात्र की पढ़ाई पर कुप्रभाव पड़ा है। सुश्री वांग ने उस के बारे में चिंता की और उस की मदद की। बाद में इस छात्र के पढ़ने की स्थिति अच्छी हो गयी। जिस से यह छात्र सुश्री वांग जिन ल्यान के घर में और एक बेटा बन गया। इस के बाद बहुत से लोगों ने सुश्री वांग जिन ल्यान से उन के बच्चों को संभालने में मदद करने की अपील की। इसलिए सन् 1995 से बहुत से बच्चे सुश्री वान जिन ल्यान के घर में जीवन बिताने लगे। बच्चों की संख्या एक, दो, तीन से दसियों हो गयी। इसी तरह गान कस्बे शा दी क्षेत्र में माता-पिता के पास नहीं रह सकने वाले बच्चों का आवास केंद्र स्थापित किया गया।

बच्चों के इस आवास केंद्र में बच्चे खुशी से जीवन बिताते हैं। एक ली श्योउ जेन नामक लड़की सुश्री वांग जिन ल्यान को मां कह कर पुकारती है। क्यों सुश्री वांग जिन ल्यान को मां कहा जाता है,इस पर ली ने कहा

कि वे बहुत अच्छी हैं। मेरी मां की तरह हैं।

केंद्र में और एक छन ली नामक लड़की है। जब वह 8 वर्ष की थी, उस के माता-पिता भोजनालय खोलने के लिए शहर में गए। उस के बाद छन ली का मन पढ़ाई से हट गया। सुश्री वांग जिन ल्यान छन ली और उस के छोटे भाई को अपने घर ले आईं । छन ली ने कहा कि मैं और मेरा छोटा भाई सुश्री वांग जिन ल्यान के घर में 10 साल से रह रहे हैं। सुश्री वांग हमारी मां की तरह हमारी चिंता करती हैं, मदद देती हैं। सुश्री वांग की मदद से मैं विश्वविद्यालय जा सकती हूं। मैं सुश्री वांग को मां की तरह धन्यवाद देती हूं।

छेली और उस के छोटे भाई की तरह कुआंग च्यांग हू के माता पिता भी उस के पास नहीं रहते हैं। वह भी सुश्री वांग जिन ल्यान को धन्यवाद देता है। पहले वह हर दिन वेब गेम खेलता था और अक्सर अन्य लडकों के साथ लड़ता था। उस के माता-पिता ने उसे सुश्री वांग जिन ल्यान को संभालने के लिए भेजा। अब वह एक अच्छा लड़का बन गया है और गान ज्यो में एक तकनीकी स्कूल में पढ़ रहा है।

10 सालों से सुश्री वांग जिन ल्यान जीवन और पढ़ने में इन माता-पिता के पास नहीं रहने वाले बच्चों को बिना पैसे लिए संभालती है और उन की मदद करती हैं। बच्चों पर आने वाले मूल खर्च के अलावा सुश्री वांग जिन ल्यान ने बच्चों के परिवार से कोई पैसा नहीं लिया। वे अक्सर मुश्किल में पड़े परिवारों की सहायता भी करती हैं और उन बच्चों को स्कूल जाने के लिए आर्थिक सहायता देती हैं।

कुछ व्यक्ति सुश्री वांग जिन ल्यान की इस समझ को नहीं समझ पाते। वह हर महीने 1700 य्वान की पैंशन पाती हैं और उन के पति 3000 य्वान कमाते हैं।उस ने क्यों इस बच्चों को संभालने वाला आवास केंद्र खोला है। सुश्री वांग जिन ल्यान ने इस सवाल पर यह कहा कि मैं पैसे कमाने के लिए यह काम नहीं करती हूं। मेरी सब से बड़ी आशा है कि ये बच्चे स्वास्थ्य से जीवन बिता सकें और अच्छी तरह शिक्षा प्राप्त कर सकें।

सुश्री वांग जिन ल्यान से प्रभावित उन के परिजनों ने भी इन बच्चों को संभालने के कार्यों में भाग लिया है। गान कस्बे के विभिन्न स्कूलों में माता पिता के पास नहीं रहने वाले बच्चों को मदद देने की विभिन्न कार्यवाही भी की गयी है।

सुश्री वांग ने कहा कि वे इन बच्चों के लिए बच्चों के आवास केंद्र में काम करती रहेंगी। मार्च की 12 तारीख को स्छवान की वन छ्वान काऊंटी में भूंकप आने के बाद सुश्री वांग जिन ल्यान ने विपत्ति ग्रस्त क्षेत्रों के बच्चों को मदद देने की योजना भी बनायी।

मैं ने एक कार्यवाही में भाग लिया है, जिस का नाम है हजार माताओं द्वारा बच्चों की सहायता करना। मैं भूकंप ग्रस्त क्षेत्रों में माता पिता नहीं होने वाले एक या दो बच्चों को सहायता देने को तैयार हूं।