1069 में सुङ राजवंश के सम्राट शनचुङ ने वाङ आनशि नामक एक राजनीतिज्ञ को राजनीतिक सुधार करने के लिए प्रधान मंत्री के पद पर नियुक्त किया। उद्देश्य था देश को खुशहाल बनाना, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा को सुदृढ करना तथा सामाजिक अन्तरविरोधों की तीव्रता को कम करना । सुङ शासकों को उम्मीद थी कि प्रकार के सुधारों के जरिए वे राष्ट्र को और अधिक गरीब व कमजोर बनने से रोक सकेंगे।
वाङ आनशि के सुधारों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहले प्रकार के सुधार वित्त-व्यवस्था के प्रबंध से संबंधित थे, जबकि दूसरे प्रकार के सुधारों का संबंध सशस्त्र सेनाओं के पुनर्गठन से था। वित्त-व्यवस्था के प्रबन्ध के लिए इन नए कार्यक्रमों का ऐलान किया गया:"जमीन की पेमाइश और समान कर-व्यवस्था","मूल्य-नियंत्रण","बेगार से छूट","फसले से पहले ऋण की उपलब्धि"और "सिचाई परियोजनाओं का निर्माण"। सेना के पुनर्गठन के लिए "पाओ च्या"(दशमांश की उगाही),उत्तम नसल के घोडों के प्रजनन व पालन पोषण और सैनिक प्रशिक्षण व अभ्यास के कार्यक्रम लागू किए गए।
ऐतिहासिक दृष्टि से , वाङ आनशि के सुधारों को किसी हद तक प्रगतिशील कहा जा सकता है। उस के नए कार्यक्रमों पर दस साल से अधिक समय तक अमल किया जाता रहा, जिससे बडे-बडे अफसरों , जमींदारों और व्यापारियों के विशेषाधिकारों को कुछ हद तक कम किया जा सका। सरकारी राजस्व, कृषि-उत्पादन और सैन्य-शक्ति में वृद्धि भी हुई। इन सुधारों का उद्देश्य किसान विद्रोह की रोकथाम और उत्तरी सुङ राजवंश के सामन्ती शासन की हिफाजत करना था, लेकिन नए कार्यक्रमों के लागू होने से बडे-बडे जमींदारों के हितों को नुकसान भी पहुचा। इसलिए उन्होंने व राजदरबार के बड़े-बडे अफसरों ने, जिनका अगुवा सिमा क्वाङ नामक एक ऊंचे ओहदे वाला अफसर था, सुधारों का प्रबल विरोध किया। शनचुङ की मृत्यु के बाद सिमा क्वाङ उत्तरी सुङ राजवंश का प्रधान मंत्री बन गया और उस ने तमाम नए कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। इन सुधारों की असफलता से वर्गअन्तरविरोध पहले से और अधिक तीव्र हो गए। परिणामस्वरूप , सुङ च्याङ और फाङ ला के नेतृत्व में एक के बाद एक किसान विद्रोह फूद पड़े।