आम आदमी के लिए एक श्वास में एक लीटर पानी पीना मुश्किल है । लेकिन दक्षिण पश्चिमी चीन के छोंगछिंग शहर में रहने वाले लड़के यू क्वान शूंग के लिए एक श्वास में एक लीटर पानी पीना बहुत आसान है , और उसे रोज़ कुल 25 लीटर पानी पीना पड़ता है । लेकिन उस की यह आदत स्वाभाविक नहीं , बल्कि एक यातायात दुर्घटना के कारण बनी है । कई माह पहले यू क्वान शूंग को एक यातायात दुर्घटना में भारी चोटें आयीं । अस्पताल में इलाज करवाने के बाद वह यम के पंजे से तो बच गये , पर उन्हें अपने शरीर में कोई अजीब बात नजर आने लगी । अपनी कहानी बताते हुए उन्हों ने कहा ,
मुझे अब भरपेट होने के बावजूद पानी पीना ही पड़ता है । जैसे अब मैं दिल से पानी बिल्कुल नहीं पीना चाहता , लेकिन मुझे पानी पीना ही पड़ता है । क्योंकि मेरा मुंह पानी पीने के तुरंत बाद सूखने लगता है । और एक बात है कि अब मुझे भूख लगती है , पर मैं कोई चीज़ नहीं खा पाता हूं । क्योंकि मैं बहुत प्यासा रहता हूं , मुझे पानी ही पीना पड़ता है ।
रोज अधिकाधिक पानी पीने और खाना न खाने से यू क्वान शूंग दिन ब दिन पतला होता रहा । फिर उन्हें चूंगचींग मेडिकल विश्वविद्यालय के अधीन नम्बर एक अस्पताल में इलाज करवाने जाना पड़ा । वहां के डाक्टर ली ने यू क्वान शूंग की शारीरिक जांच करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि उन्हें इमिक्शन इनकॉंटिनेन्स का रोग लगा है । इस का मतलब है कि यातायात दुर्घटना की वजह से उन के गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया है और पानी उन के मुंह से सीधे बाहर निकलता है ।
गुर्दे मानव के शरीर में बाढ़ को रोकने वाले बांध की ही तरह होते हैं । अगर गुर्दे काम न करें, तो मनुष्य हमेशा पानी पीना चाहता है । इसलिये रोगी ने जो पानी पीया है , वह सीधे पेशाब बनकर बाहर निकलता है । और रोगी हमेशा प्यासा रहता है । यू क्वान शूंग की कहानी से यह जाहिर है कि लोगों को पानी पीना पड़ता है , पर अधिकाधिक पानी पीना भी अस्वाभाविक है । आदमी के शरीर में रोज़ पीने वाले पानी और खोने वाले पानी के बीच संतुलन बना रहना चाहिये । आम तौर पर एक आदमी को रोज़ एक दो हजार मिलीलीटर पानी , यानी छह से आठ कप पानी पीना चाहिये । इतना पानी पीने से आदमी का चपायचय ठीक बना रहता है । बेशक गर्मियों के दिनों में या अधिक खेलने के बाद लोगों को अधिक पानी पीना ही चाहिये।
पर कैसे और कब पानी पीना ठीक है । आम तौर पर लोगों का विचार है कि प्यास लगने के बाद पानी पीना चाहिये । लेकिन चूंगचींग मेडिकल विश्वविद्यालय के तहत प्रथम अस्पताल के प्रोफेसर ली छी फू के विचार में यह बिल्कुल गलत है ।
हमें प्यास लगने पर ही पानी नहीं पीना चाहिये । क्योंकि जब हमें प्यास लगती है , तब तक हमारे शरीर में पानी का अभाव होने लगता है। इसलिए हमें अक्सर पानी पीना चाहिये , लेकिन हर बार अधिक पानी नहीं पीना चाहिए।
प्यास लगना मानव के शरीर में पानी के अभाव का संकेत है , हम आम तौर पर प्यास लगने पर पानी पीना शुरू करते हैं । लेकिन वास्तम में प्यास लगने तक हमारे शरीर में निर्जलीकरण शुरू हो चुका होता है । अगर शरीर में अक्सर निर्जलीकरण होता जा रहा है , तो मानव के स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है । इसलिए लोगों को वैज्ञानिक तौर पर पानी पीने की समय-तालिका बनानी चाहिये ।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि रोज़ सुबह उठने के बाद खाली पेट एक गिलास पानी पीना चाहिये । इस के बाद सुबह दस बजे , लंच के समय के बाद , दोपहर-बाद तीन बजे , रात्रि भोज से पहले तथा रात को सोने से पहले एक एक गिलास पानी पीना चाहिये । क्योंकि रात भर सोने के बाद खून नलिकाओं में खून घना बनने लगता है , इसलिए सुबह उठने के बाद पानी जरुर पीना चाहिये । दिन में काम करने या खाना खाने के बाद शरीर में पानी का अभाव होने लगता है , इस वक्त भी बार-बार पानी पीना चाहिये । और दोपहर बाद कॉफी या चाय की बजाए थोड़ा पानी पीना शरीर और दिमाग के लिए अच्छा है ।
रात को खाना खाने और सोने से पहले पानी पीने का महत्व है । खून नलिकाओं में खून को घना बनने से रोकने के लिए रात को सोने से पहले थोड़ा पानी पीना चाहिये , जो बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए विशेष महत्वपूर्ण है । इस से अतिरिक्त खेलते समय भी वैज्ञानिक तौर पर पानी पीना चाहिये । इस सवाल की चर्चा करते हुए चूंगचींग अस्पताल के डाक्टर श्री चाओ पो फू ने कहा ,
खेलते समय लोगों को अक्सर प्यास लगती है , लेकिन इस इस समय जब प्यास लगती है , तब तक हमारे शरीर में निर्जलीकरण शुरू हो चुका होता है । इसलिए खेलने से पहले ही काफी पानी पीना चाहिये और खेलने के बाद भी पानी पीना चाहिये । पर इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि खेलने के बाद एक श्वास में हद से ज्यादा पानी पीना गलत है । क्योंकि ऐसा करने से शरीर में विषजन्य रोग होने का खतरा रहता है ।
डॉक्टर चाओ के अनुसार खेलने के बाद हमारे शरीर में नमक का भंडार बढ़ता है । इसी वक्त अगर हम अधिक पानी पीते हैं ,तो पसीना आने की वजह से हमारे शरीर में से बहुत सा नमक खो सकता है । अगर खून में नमक की मात्रा सुरक्षा रेखा से नीचे गिर जाती है , तो लोगों को बेहोश होने और चक्कर आने की संभावना रहती है । इसलिए लोगों को खेलने के बाद तुरंत ही अधिक पानी नहीं पीना चाहिये । सही तरीका यह है कि बार-बार पानी पिया जाए और हर बार कम पानी पिया जाए । और खूब पसीना आने के बाद हल्का नमकीन पानी पीना अच्छा है ।
पानी पीते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये , कि लम्बे अरसे तक रखा हुआ पानी नहीं पीना चाहिए। ऐसा पानी पीने से जवान लोगों के विकास पर कुप्रभाव पड़ता है , और बुजुर्गों की जरा-जीर्णता में गति आ जाती है । बिजली के हीटर में बार-बार उबला पानी भी नहीं पीना चाहिये , क्योंकि ऐसा पानी पीने से जठरांत्र शोथ होने का खतरा है । अंत में हमें इस बात के प्रति सावधान रहना चाहिये कि थर्मस में बचे रहे गये पानी को पुनः उबाल कर पीना सही नहीं है । क्योंकि ऐसे पानी में हद से अधिक नाईट्रेट मौजूद होता है , जो शरीर के लिए गंभीर जहर साबित हो सकता है।