2008-08-19 15:47:20

तिब्बत के मशहूर पर्यटन स्थल शिकाज़े

चाशलुम्बू मठ का क्षेत्रफल कोई एक लाख 50 हजार वर्गमीटर विशाल है पर्वत के बल से निर्मित चार दीवारों की लम्बाई तीन हजार से अधिक है । मठ में कुल 57 सूत्र भवन व तीन हजार 6 सौ से अधिक कमरे पाये जाते हैं । पर्वत के बल से निर्मित मठ का द्वार दक्षिण ओर खुला हुआ है । महा सूत्र भवन यानी त्सो चिन बृहत भवन चाशलुम्बू मठ का सब से पुराना निर्माण है और वह पचन द्वारा लामाओं को सूत्र सुनाये जाने व भिक्षुओं के बीच सूत्रों की बहस मबाहिसा किये जाने का स्थल भी रहा है । चाशलुम्बू मठ के पश्चिम भाग में एक छांगपा यानी मैत्रय बुद्ध भवन खड़ा हुआ है , भवन में रखी हुई मैत्रय बुद्ध की मूर्ति बहुत दर्शनीय है । छांगपा बुद्ध की मूर्ति 3.8 मीटर ऊंचे कमलासन पर बैठी हुई है , दक्षिण की और बैठी हुई यह मूर्ति इस भव्यदार मठ को देखते हुए दिखायी देती है । मूर्ति की लम्बाई 26.7 मीटर है , जबकि इस बुद्ध मूर्ति के दोनों कान 2.2 मीटर लम्बे हैं और वह विश्व में सब से ऊंची व बड़ी कांस्य बुद्ध मूर्ति मानी जाती है ।

चाशलुम्बू मठ की प्रबंधन कमेटी के उप प्रधान सालुंफिंगला ने हमारे संवाददाता से कहा कि हर वर्ष के भिन्न भिन्न काल में मठ में विविधतापूर्ण धार्मिक गतिविधियां की जाती हैं । पर हरेक धार्मिक गतिविधि तिब्बत पंचांग के अनुसार की जाती है ।

सालुंफिंगला ने इस का परिचय देते हुए कहा कि चाशलुम्बू मठ में छोटे आकार वाली धार्मिक गतिविधि रोज रोज होती है । पर साल में निम्न प्रमुख विशाल धार्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं कि तिब्बती पंचांग के अनुसार प्रथम माह में बड़ा प्रार्थना समारोह किया जाता है , तिब्बती पंचांग के अनुसार चौथे माह में साकदावा दिवस यानी बुद्ध शाक्यमुनि का जन्म दिवस मनाया जाता है, तिब्बती पंचांग के अनुसार पांचवें माह की 14, 15 , और 16 तारीख को बुद्ध दर्शन दिवस मनाया जाता है, दिवस के मौके पर मुख्यतः मैत्रेय, शाक्यमुनि और छांग पा यानी अवलोकितेश्वरी के थांगका नामक विशाल चित्र कृतियों को दर्शायी जाती हैं । इस के अतिरिक्त तिब्बती पंचांग के अनुसार छठें माह की चार तारीख को चक्र दिवस , आठवें माह में भूत निष्कासन दिवस और दसवें माह की 25 ताऱीख को दीप उत्सव मनाया जाता है ।

स्थानीय तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक अनुयाइयों और चाशलुम्बू जैसी बौद्ध धार्मिक मठों के बीच बेहतर संबंध बनाये रखे हुए हैं । हर वर्ष में लगभग तीन लाख बौद्ध धार्मिक अनुयायी भगवान बुद्ध की पूजा के लिये जाते हैं । जब विशाल धार्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती है, तो दिन में दसियों हजार अनुयायी चाशलुम्बू मठ पहुंच जाते हैं । साथ ही स्थानीय आचार्य व लामा शिकाजे के दौर पर आये देशी विदेशी पर्यटकों का उत्साह के साथ स्वागत करते हैं और मठ का दौरा करने , खाने पीने व ठहरने के लिये यथासम्भव सुविधाएं उपलब्ध करा देते हैं , जिस से कोई अवांछनीय घटना कभी भी नहीं हुई है । चाशलुम्बू मठ में हमारे संवाददाता की मुलाकात शिकाजे के ग्रामीण गांव से आये एक तिब्बती मित्र से हुई । उस ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि वह सुबह हस्त ट्रैक्टर पर सवार होकर शिकाजे गया है , फिर उसे पैदल से इस मठ पहुंचने में चार घंटे का समय लगा , यहां कुछ समय ठहरने के बाद फिर घर ही वापस जाना है । उस के चेहरे पर नजर थकावट और सीधी सादी मुस्कान से हमारे संवाददाता बहुत प्रभावित हुए हैं । उस का कहना है:

"हम भगवान बुद्ध की पूजा करने के लिये अक्सर यहां आते हैं , मठ के आचार्य व लामागण बड़ी नम्रता से हमारे साथ बर्ताव करते हैं , यहां पर बुद्ध के दर्शन व उन की पूजा करने में कोई दिक्कत नहीं है।"

चाशलुम्बू मठ के अलावा शिकाजे के उपनगर स्थित श्यालू मठ भी बहुत विख्यात है । मठ में सुरक्षित बड़ी संख्या में प्राचीन भित्ति चित्र पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र हैं । साथ ही दक्षिण पश्चिम शिकाजे से 160 किलोमीटर की दूरी स्थित सागा कांऊटी की सागा मठ और चांगजी कांऊटी की पाईचू मठ व चुंगशान मठ भी देखने लायक हैं । शिकाजे अपनी प्राचीन संस्कृति, भव्यदार मठ , अद्भुत रमणीय प्राकृतिक दृश्य और श्रेष्ठ भौगोलिक स्थान की वजह से तिब्बत के सब से आकर्षित पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है । इतना ही नहीं, मेहमाननवाज स्थानीय तिब्बती जनता बड़े उत्साह के साथ देशी विदेशी पर्यटकों को अपने घर भी बुला लेते हैं , ताकि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक वास्तविक रूप से तिब्बती जातीय रीति रिवाज महसूस कर सके ।

अब शिकाजे क्षेत्र में दो सौ से अधिक ग्रामीण व चेरवाहा परिवार पर्यटकों के सत्कार में समर्थ हो गये हैं । स्थानीय सरकार ने उन्हें विशेष रूप से व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया है, इसलिये वे विभिन्न क्षेत्रों से आये पर्यटकों की बहतर सेवा करने में सक्षम हैं । पर्यटकों को उन के घर में स्वादिष्ट तिब्बती भोजन खाने, तिब्बती मकान में ठहरने और तिब्बती जीवन महसूस करने को मिलता है ।