एक दिन, गधा चिकित्सक देखने आया , बंदर ने उस के मुख के रंग परखे और उस के बीमार पड़ने की संदेह हुआ, सो उस ने गधा से कहाः जरा जीभ दिखाओ । गधा हठधर्मी पशु था , उस ने मन में सोचा कि रोग के उपचार के लिए जीभ दिखाने से क्या फायदा, तो उस ने कहाः जीभ भी कोई देखने लायक चीज है , मेरी जीभ में गड़बड़ी नहीं है । उस की बात से बंदर थोड़ा झेंप गया , किन्तु उसे फिर ध्यान आया कि एक चिकित्सक होने के नाते उसे रोगी के साथ वाद प्रतिवाद से बचना चाहिए । मैं किसी भी तरह उसे समझाऊंगा और उसे जीभ दिखाने को मंजूर कर दूंगा , ताकि उस के रोग का सही निदान हो । बंदर को दिमाग खपाते हुए एक अच्छा तरकीब सुझा , तो उस ने गधा से कहाः हमारे अस्पताल में एक नई फिल्म आई है , मरीज उसे निशुल्क देख सकता है । क्या आप देखना चाहते हैं । गधा बंदर की सलाह पर राजी हो गया ।
गधा बंदर के साथ अस्पताल के एक कमरे में प्रवेश कर गया , जिस में फिल्म दिखाई दे रही थी , फिल्म का नाम था जानवरों की जीभ का महत्व ।
परदे पर एक जंगल दिखाई दे रही थी ,जंगल में खड़े एक पेड़ पर हरा रंग का एक जानवर बैठा था , उस की दोनों बड़ी बड़ी आंखें आगे पीछे तथा दाईं बाईं घूम सकती थी । पेड़ की शाखा पर वह मौन बैठा था , सहसा उस की जीभ तीर की भांति झट से मुंह में से निकली और उस ने एक उड़ती कीड़े को पकड़ कर निगल लिया । यह दृश्य देख कर गधा बोलाः वाह , कमाल है , उस की जीभ कीड़ा पकड़ने में इतना स्फुर्त और अचूक है । बंदर ने कहाः वह कीड़ा पकड़ने के उस्ताद है , इस जानवर का नाम है गिरगिट । उस की जीभ उस का शरीर जितना लम्बा है ।
परदे पर दृश्य बदल गया , अब इस में एक लम्बा सांप झाड़ियों के अन्दर से बाहर रेंगते हुए निकला दिखाई दिया । सांप का फन मुंह के बाहर फुंकार कर रहा था । इस भयानक दृश्य पर गधे का हृद्य बहुत तेजी से धड़कने लगा । सांप ने घास में दो चूहों को कुछ चीज खाते हुए देखा और वह फर्राट से उधर रेंगते गया तथा चबड़ा खोल कर एक चूहे को पकड़ कर निगल लिया । बंदर ने गधे को समझा कि सांप जीभ के जरिए आसपास की हालत की टोह लेता है , उस की जीभ बहुत संवेदनशील है , यदि उस की जीभ नहीं होती , तो वह गूंगा बहरा बन जाता । बंदर की बातें सुन कर गधे ने मन ही मन में सोचा कि फिर यह अजीब नहीं लगता है कि सांप का फन क्यों हमेशा मुंह से बाहर निकलती है, असल में उस की जीभ टोही का काम कर रही है ।
परदे पर फिल्म का दृश्य फिर बदला , जिस में एक खूंख्वार बाघ एक जंगली बकरी को फाड़ कर खाते दिखाई दे रहा था । बाघ का डरावना चबड़ा बकरी का मांस नोचते हुए अलग कर रहा था । गधा डर के मारे भाग जाने को उठा ,तो बंदर ने उसे रोकते हुए कहाः यह फिल्म का संन है , बाघ तुझे पकड़ने नहीं आ सकेगा । तब गधा राहत की सांस लिए फिर बैठ गया । बंदर ने उस से कहाः बाघ की जीभ पर छोटी छोटी कांटें उगी हुई है , वह तलवार की तरह हड्डी पर से मांस उधेड़ कर अलग कर देती है । भालू की जीभ भी इसीतरह की होती है ।
इस समय परदे पर एक खरगोश दिखाई दिया , वह अपनी जीभ से अपने सफेद बालों पर फेर रहा था । बंदर ने कहाः देखो, खरगोश की जीभ गंघी का काम कर सकती है । वह अकसर अपने बालों को संवार करता है। देख, वह कितना साफ सुथरा है।
म्यांय~~~की आवाज के साथ पीले रंग का एक हृष्ट पुष्ट बैल परदे पर आया दिखाई दिया । बैल राह चलते हुए जमीन पर उगे घास को चरा रहा था , हरा भरा घास खाते समय बैल की जीभ ने उसे लपेट दिया , जैसे मनुष्य हाथ से घास खींत रहा हो । गधे ने देख कर कहाः मैं भी जीभ से घास को लपेट कर खाता हूं । बंदर ने जान बुझ कर कहा, सच, मुझे विश्वास नहीं है । तुम जरा जीभ दिखाओ, मैं देखना चाहता हूं कि तुम्हारी जीभ बैल के समान है कि नहीं। गधे ने अपनी जीभ दिखाई । बंदर ने लाइट चला कर गौर से उस की जीभ की जांच की और कहा , तुझे बुखार आया है, तुझे ज्यादा पानी पीना चाहिए । मैं तुम्हारे लिए दवा की नुस्खा लिखूंगा , थोड़ी दवा के सेवन से तुम सहेतमंद हो जाओगे। तभी गधे को समझ में आया कि बंदर रोग के निदान के लिए जीभ दिखाने की मांग करता है । यह सचमुच एक कमाल है ।