थांगखा चित्र तिब्बती जाति की विशेष कला भी है । थांगखा तिब्बती भाषा है । यह तिब्बती जाति बहुल क्षेत्रों में प्रचलित एक विशेष प्रकार वाला ललित चित्र है, जो कपड़े व काग़ज पर बनाया जाता है । थांग खा चित्र बनाने की सामग्री स्वर्ण, रजत और पीले रंग वाले प्राकृतिक खनिज व वनस्पति हैं । थांग खा चित्रों के विषयों में मुख्य तौर पर देवी, बुद्ध, ऐतिहासिक कहानियां तथा शुभ अभिलाषा आदि शामिल हैं । थांगखा चित्र की विशेष क्षेत्रीय व जातीय और विशेष कलात्मक शैली है । इसे तिब्बती जाति की क्लासिकल कला वस्तु माना जाता है , जिस का इतिहास कोई 1300 वर्ष पुराना है ।
चीनी सामाजिक अकादमी में कार्यरत तिब्बती प्रोफैसर श्री च्यांगप्यान च्यात्वो का विचार है कि एक हज़ार से ज्यादा थांगखा चित्रों के जरिए एक महान महाकाव्य की कहानी की अभिव्यक्ति करना चीन में ही नहीं, विश्व के ललित कला क्षेत्र में भी अभूतपूर्व है । उन्होंने कहा:
"थांगखा चित्र ललितकला में श्रेष्ठ वस्तु है । केसर तिब्बती लोक संस्कृति की सब से ऊंची उपलब्धि का प्रतिनिधित्व है । ये दो वस्तुएं तिब्बती जातीय लोक संस्कृति में अमूल्य मानी जाती हैं, जो एक दूसरे की आपूर्ति हैं । थांगखा चित्र के जरिए दर्शक केसर से जुड़ी कहानी प्रत्यक्ष तौर पर देखते हैं, इस से केसर अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी क्यों कि थांगखा चित्रों के जरिए लोग देख सकतें हैं । यह बहुत सार्थक बात है ।"
वर्तमान में तिब्बती लोक कलाकार जुबानी प्रत्यक्ष तौर पर महाकाव्य《राजा केसर》सुनाते हैं और इसे अपने उत्तराधिकारी को सिखाते हैं जिस से इस महाकाव्य के विकास में कमी आई है। इधर के वर्षों में चीन ने महाकाव्य की खोज, आकलन, संग्रहण, अनुसंधान व प्रकाशन के लिए ज्यादा राशि लगाई है। लेकिन आज तक महाकाव्य《राजा केसर》के अधिकांश भागों का चीनी भाषा में अनुवाद नहीं किया गया है। इस तरह अधिकांश लोग इस महाकाव्य के विषयों को नहीं जानते हैं जो तिब्बती जाति की इस श्रेष्ठ संस्कृति के विकास व प्रसार के लिए लाभकारी स्थिति नहीं है । स्छ्वान प्रांत के कानची तिब्बती जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर के तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता श्री चेहरेन चीमेई ने कहा:
"बाहर के लोगों के लिए महाकाव्य《राजा केसर》और तिब्बती जाति की जानकारी प्राप्त करने में भाषा भी एक बाधा है और यातायात भी एक सवाल है । इस तरह हम ने इस महाकाव्य को थांगखा चित्र का रूप दिया। दर्शक इसे देखते ही प्रत्यक्ष तौर पर केसर के युग में तिब्बती क्षेत्र में हुई घटनाओं की जानकारी पा सकते हैं । इन चित्रों के जरिए वे तिब्बती जाति का जीवन, संस्कृति,धार्मिक विश्वास तथा रीति रिवाज़ों को समझ सकते हैं ।"
《राजा केसर से जुड़े हुए एक हज़ार से अधिक थांगखा चित्रों की》प्रदर्शनी के दौरान तिब्बती लोक कलाकार द्वारा राजा केसर की कहानी का गायन, थांगखा चित्र कलाकारों के द्वारा घटनास्थल पर चित्र बनाना तथा राजा केसर से जुड़े नाचगान अभिनय आदि की गतिविधियां चलायी जाती हैं जिन के जरिए दर्शक सीधे से तिब्बती जाति के थांगखा चित्र व महाकाव्य 《राजा केसर》की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार पेइचिंग में《प्रदर्शित की जाने के बाद राजा केसर से जुड़े हुए एक हज़ार से अधिक थांगखा चित्रों की》प्रदर्शनी चीन के थाईवान क्षेत्र, युरोप और उत्तर अमरीकी क्षेत्र में भी प्रदर्शित की जाएगी । प्रदर्शनी के दौरान केसर से जुड़े एक हज़ार से ज्यादा थांगखा चित्रों को प्रदर्शित किए जाने के अलावा स्छ्वान प्रांत व कानची तिब्बती जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर के सांस्कृतिक संसाधन भी दर्शाए जाएंगे । मसलन् तिब्बती पोशाक, सांस्कृतिक अवशेष व लोक कलात्मक वस्तुओं की प्रदर्शनी, लोक कलाकारों द्वारा महाकाव्य《राजा केसर》गायन प्रस्तुति, तिब्बती जातीय संगीत, नृत्य गान ऑपेरा《खांगतिंग का प्रेय गीत》आदि शामिल हैं , जिन से स्छ्वान के तिब्बती बहुल क्षेत्र की खांगबा संस्कृति तथा केसर संस्कृति को जीवित रूप से विश्व को दर्शाया जाएगा । दुनिया भर में प्रदर्शनी गतिविधि के जरिए विश्व की जनता चीनी जातीय संस्कृति की और जानकारी प्राप्त करेगी और चीनी जातीय संस्कृति व विश्व संस्कृति के बीच आदान-प्रदान व संपर्क को मज़बूत किया जाएगा ।