2008 पेइचिंग ओलंपिक खेल 10 तारीख तक दो दिन की प्रतियोगिता चली । विश्व के 204 देशों व क्षेत्रों से आए दस हजार से ज्यादा खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में शानदार खेल प्रदर्शन किए ।
10 तारीख को ओलंपिक पार्क में स्थित पेइचिंग राष्ट्रीय तैराकी केन्द्र यानी वाटर क्यूब में पेइचिंग ओलंपिक के महिला डब्ल तीन मीटर स्प्रिंग बॉर्ड की फाइनल प्रतियोगिता हुई । इस इवेंट में विश्वविख्यात चीनी महिला खिलाड़ी सुश्री क्वो चिंगचिंग और वु मिनशा ने स्वर्ण पदक जीता । ये चीनी गोताखोरी जोड़ी एथेंन्स ओलंपिक में भी इस इवेंट के चैम्पियन थीं।
महिला डब्ल तीन मीटर स्प्रिंग बार्ड में चीनी टीम वर्षों से तगड़ी रही है । 10 तारीख के मैच में सुश्री क्वो चिंगचिंग और वु मिनशा ने फाइनल के सभी पांच प्रदर्शनों में शानदार काम दिखाया और हर बार के प्रदर्शन में पहले नम्बर पर बनी रही । उन के भव्य खेल प्रदर्शन ने पूरे हाल के देशी विदेशी दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट जीती ।
पुरस्कार रस्म होने के बाद दोनों चीनी युवतियों ने हाथ में स्वर्ण पदक उठाए मुस्कराते हुए दर्शक दीघा की ओर हाथ फहराते हुए अभिवादन किया , दर्शकों ने जोशीली तालियां बजाते हुए इन दोनों चीनी गोताखोरों को बधाई दी । तालाब के पास उपस्थि अन्य खिलाड़ियों ने भी आगे बढ़ कर उन के साथ आलिंगन कर हार्दिक बधाई दी और उन के साथ इस शानदार विजय से पैदा हुई खुशी का समान उपभोग किया ।
अपनी इस विजय पर सुश्री क्वो चिंगचिंग ने कहा कि अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने पर उन्हें असीम प्रसन्नता हुई है और इसे एक सर्वोच्च गर्व भी मानाः
मैं बहुत खुश हूं । मुझे इस पर भी बड़ी प्रसन्नता हुई है कि इतने ज्यादा चीनी दर्शकों ने आकर हमारा समर्थन किया । प्रतियोगिता से पहले हम दोनों ने संकल्प किया था कि हम जरूर इस खेल का अच्छी तरह प्रदर्शन करने की भरसक कोशिश करेंगी ।
अपना अद्भुत खेल कौशल होने के कारण सुश्री क्वो चिंगचिंग और वु मिनशा की विजय कोई अप्रत्याशित बात नहीं है । फिर भी उन दोनों ने कहा कि वास्तव में खेल की प्रतिस्पर्धा असान नहीं थी । उन का कहना है कि इस आसानी से प्राप्त विजय के लिए उन्हों ने असाधारण पसीने बहाए थे, वे रोज सुबह से गरही रात तक अभ्यास करती रहती थी । देखने में हम ने बड़ी आसानी से चैम्पियनशिप जीती है, लेकिन इस विजय के लिए उन्हों ने बेशुमार तैयारी की थी।
10 तारीख की प्रतियोगिता में चीनी महिला जूडो खिलाड़ी श्यान तुंग मेई की कहानी अल्ग किस्म की है । उन्हों ने 2008 पेइचिंग ओलंपिक की महिला 52 किलो वर्ग की जूडो प्रतियोगिता के फाइनल में उत्तरी कोरिया की तगड़ी खिलाड़ी किम आन का को पराजित कर इस सवेंट का स्वर्ण पदक जीता और चीनी टीम के स्वर्ण पदक तालिके में और एक स्वर्ण पदक जोड़ा ।
इस साल, 33 वर्षीया श्यान तुंगमेई , चीन के चेचांग प्रांत से आई है । 2004 के एथेन्स ओलंपिक में उन्हों ने 66 सेकंड के भीतर ही जापान के मशहूर खिलाड़ी युकी योकोसावा को हरा कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया , उन का वह स्वर्ण पदक कम वजन वर्गों के जूडो में चीन का प्रथम स्वर्ण पदक था ।
उम्र बड़ी होने के कारण एथेन्स ओलंपिक के बाद सुश्री श्यान तुंगमई बच्ची की मां बनी और खेल से सेवानिवर्त्त हो गयी । लेकिन पेइचिंग ओलंपिक में देश का शोभा बढ़ाने के लिए एक साल पहले वे फिर जूडो टीम में लौटी । और अपनी असाधारण मेहनत के जरिए अंत में पेइचिंग ओलंपिक में महिला 52 किलो वर्ग के जूडो की चैम्पियनशिप प्राप्त की।
पुरस्कार मंच पर खड़ी हुए उन के दिल में असामान्य भावना उमड़ उठी । एथेन्स ओलंपिक के बाद वे सेवानिवर्त्त हो गयी और 2007 में अपनी बच्ची की मां बन गयी . फिर भी परिवारजनों और टीम कोच के प्रोत्साहन से उन्हों ने अपने देश में आयोजित ओलंपिक में फिर एक बार मातृभूमि को शोभा देने का पक्का संकल्प लिया । उन्होंने केवल चार महीने की नन्ही शिशु को घर में छोड़ कर कड़ी ट्रेनिंग में कड़ी मेहनत की । उन की मेहनत का फिर रंग आया । जब वे दोबारा पुरस्कार मंच पर खड़ी हुई, उन के दिल में अत्यन्त गर्व के साथ ममता भी उभरी ।
उन्हों ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हों ने इस स्वर्ण पदक के जरिए अपनी बच्ची के प्रति प्यार व देखभाल के अभाव की भरपाई की । उन्हों ने कहाः
मैं तुरंत ही उस के पास लौटूंगी और पहले उस के पास नहीं रहने के कारण उसे दिए प्यार व देखभाल की कमी की भरपाई करूंगी । आगे मैं उस के पास ज्यादा समय ठहरूंगी और उसे ज्यादा प्यार दूंगी ।
अपने खेल जीवन के असाधारण रास्ते की याद करते हुए श्रीमती श्यान तुंगमई ने कहाः
मैं सब से ज्याद यह वाक्य कहना चाहती हूं कि मैं मुझे समर्थन देने वाले उन सभी लोगों , रिश्तेदारों व मित्रों की बहुत बहुत आभारी हूं । उन्ही के समर्थन और प्रोत्साहन के कारण उन्हों ने अपने खेल जीवन में तरह तरह की कठिनाइयों को दूर कर शानदार विजय हासिल की है ।