2008-08-08 16:29:05

चीन ने शहरों में काम करने वाले किसान मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रयास किया

इधर के सालों में चीन में औद्योगीकरण और शहरीकरण की प्रक्रिया के तेज़ होने के साथ-साथ, ग्रामीण क्षेत्र के अनेक किसान मजदूर शहरों में काम करने लगे हैं। परिचय के अनुसार, हाल में चीन के कुल 80 करोड़ से ज्यादा किसानों में शहरों में काम करने वाले किसानों की संख्या लगभग 20 करोड़ है। चीन सरकार व समाज ने शहरों में काम करने वाले इन किसान मजदूरों के जीवन व काम करने की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया है और उन के अधिकारों व कल्याण को सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया है।

पूर्वी चीन के समुद्रतटीय प्रांत च् च्यांग प्रांत के एक एक्सप्रेस मार्ग के निर्माण स्थल पर मजदूरी करने वाले किसान छन छी ने संवाददाताओं को अपना वेतन-कार्ड दिखाया। अब उन का मासिक वेतन सीधे इस आमदनी कार्ड में डाला जाता है और श्रमिकों के ठेकेदार द्वारा वेतन न देने की स्थिति कभी पैदा नहीं होगी। वेतन-कार्ड के इस्तेमाल से न केवल वे समय पर वेतन पा सकते हैं, बल्कि उन के परिवारजन भी सुविधा व सुरक्षा से पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन के अनुसार,एक कार्ड मेरी जेब में रखा है, दूसरा कार्ड मेरे घर पर है। इस तरह मेरे परिवारजन भी सीधे स्थानीय बैंक से पैसे निकाल सकते हैं।

प्रिय श्रोताओं, पहले आवश्यक्त निगरानी व्यवस्था न होने की वजह से, चीन में इमारतों के निर्माण के कुछ ठेकेदारों ने समय पर किसान मजदूरों को वेतन नहीं दिया। इधर के दो वर्षों में सरकार के हस्तक्षेप से अनेक जगहों पर किसान मजदूरों को समय पर वेतन न मिलने की समस्या का अच्छी तरह समाधान किया गया है। अब निर्माण क्षेत्र की इकाइयों समेत अनेक इकाईयां किसान मजदूरों को वेतन कार्ड देने लगीं हैं और उन का वेतन सीधे कार्ड में डाल देती हैं, जिस से यह सुनिश्चित हो जाता है कि किसान मजदूर समय पर अपना वेतन पा रहे हैं।

किसान मजदूरों को वेतन न देने की स्थिति के मद्देनजर, चीन के विभिन्न स्थलों की अदालतों ने इस तरह के मुद्दों की जांच पर जोर देना शुरु किया है। उत्तर पूर्वी चीन के ल्याओ निंग प्रांत के शन यांग शहर में अदालत, श्रम व सामाजिक सुनिश्चित ब्यूरो आदि नौ संस्थाओं से गठित किसान मजदूरों के अधिकार-रक्षा केंद्र की स्थापना की गई है। वह विशेष रुप से किसान मजदूरों के लिए स्थापित की गयी एक संस्था है। इस संस्था की जल्द-सुनवाई अदालत किसान मजदूरों के अधिकार व कल्याण से संबंधित समस्याओं के केसों की तुंरत जांच-पड़ताल कर सकती है। इस अदालत के प्रधान श्री वेई श्याओ तुंग ने संवाददाता को बताया कि इस अदालत की स्थापना का मकसद सुनवाई की प्रक्रिया को सरल बनाना और किसान मजदूरों को मुकदमे की स्थिति में सुविधा देना है, ताकि वे यथाशीघ्र ही अपना वेतन हासिल कर सकें। श्री वेई ने कहा,हमें पूरी कोशिश करनी चाहिए , ताकि किसान मजदूर इस केंद्र के द्वार के बाहर जाने से पहले ही अपना वेतन प्राप्त कर सकें।

चीन सरकार के नियमों के अनुसार, शहरों में किसान मजदूर कानूनी सहायता पाने वाले प्रमुख लोग बन चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2006 में चीन के विभिन्न स्थलों की कानूनी सहायता संस्थाओं ने कुल मिलाकर 1 लाख 20 हजार से ज्यादा किसान मजदूरों को कानूनी सहायता सेवा प्रदान की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 65 प्रतिशत अधिक है।

इस के अलावा, चीन में अन्य जगहों पर भी कदम ब कदम शहरों में काम करने वाले किसान मजदूरों की गारंटी फीस व्यवस्था की स्थापना की जा रही है। जो इकाइयां पहले किसान मजदूरों को पैसे नहीं देती थीं, अब उन्हें श्रमिक सुनिश्चितता विभाग को वेतन देने की गारंटी फीस देनी पड़ती है। यदि ये इकाइयां कभी किसान मजदूरों को वेतन न दें, तो सरकार इस गारंटी फीस से किसान मजदूरों को वेतन देगी।

निम्न सामाजिक सुनिश्चितता शहरों में किसान मजदूरों के सामने आयी दूसरी एक कठिनाई है। लेकिन, खुशी की बात है कि दुर्घटना-बीमा और चिकित्सा-बीमा आदि सुनिश्चिता का अनुपात अब कदम ब कदम उन्नत हो रहा है। उत्तर पूर्वी चीन के हेईलुंगच्यांग प्रांत के हार्पिंग शहर में किसान मजदूर सुश्री ली तुंग मई मुसीबत में थीं । कई महीने पहले उन का दायां हाथ मशीन में आ गया था। उस के घर में बच्चा है जो स्कूल में पढ़ता है, उस की मां भी एक रोगी है। 30 हजार से ज्यादा य्वान का ऑपरेशन का खर्चा सुश्री ली तुंग मई के लिए एक बहुत बड़ा बोझ है। सुश्री ली ने बताया,चोट लगते समय मुझे पता नहीं था कि मैं क्या करूंगी। सच है यदि दुर्घटना बीमा न हो, तो चिकित्सा का खर्चा मैं नहीं ले पाऊंगी।

सुश्री ली तुंग मई ने हमें बताया कि दुर्घटना बीमा मिलने से उन के परिवार पर और ज्यादा बोझ नहीं पड़ा है। अब उन का हाथ ठीक हो गया है और वे पुनः काम कर सकती हैं। यह नये साल में उन के लिए सब से खुशी की बात है।

आम तौर पर चीन के किसान मजदूर बहुत मेहनत से काम करते हैं, लेकिन, उन के पास आवश्यक व्यवसायिक तकनीक व सुरक्षा का अभाव है। इसे देख कर चीन की अनेक जगहों में किसान मजदूरों के प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है और कदम ब कदम किसान मजदूरों की सुरक्षा की विचारधारा और उत्पादन की तकनीक को उन्नत किया जा रहा है।

किसान मजदूरों के लिए तकनीक प्रशिक्षण की नीति के निरंतर परिपक्व होने के साथ-साथ, अनेक किसान मजदूर कारोबारों के तकनीशियन बन गये हैं। चीन के शान तुंग प्रांत से आये ली तुंग शन इस संदर्भ में एक मिसाल है। वर्ष 2005 में श्री ली तुंग शन भीतरी मंगोलिया की गुशिनथेई निर्माण कंपनी में बिजली मजदूर बने। कंपनी में प्रशिक्षण लेने के बाद उन्हें एक औपचारिक बिजली मजदूर का प्रमाण-पत्र मिला। दो वर्षों के बाद अब वे बिजली कक्षा के प्रधान बन चुके हैं। उन के अनुसार,इस प्रमाण-पत्र के कारण मैं दूसरी इकाइयों में भी काम कर सकता हूं। इस के बिना मैं कहीं जाता, इस के अभाव में लोग विश्वास नहीं करेंगे कि मैं एक कुशल बिजली मजदूर हूं।

भीतरी मंगोलिया की गु शिन थेई कंपनी में श्री ली तुंग शन जैसे लोगों की संख्या 40 से ज्यादा है। वे सब निर्माण कंपनी के मुख्य कर्मचारी बन चुके हैं।

किसान मजदूरों के लिए खुशी की और बात भी है। पहले उन्हें शहरों में स्कूल में अपने बच्चों को भेजने के लिए पैसे देने की जरुरत पड़ती थी, अब यह फीस भी रद्द कर दी गयी है। चीन का सामाजिक सुनिश्चितता विभाग निम्न फीस-दर, विस्तृत फैलाव और स्थानांतरण के सिद्धांतों के अनुसार किसान मजदूरों का वृद्ध-बीमा बनाने के उपाय की खोज कर रहा है।

लेकिन चीन में कुछ जगहों पर किसान मजदूरों के अधिकार व कल्याण अच्छी तरह सुनिश्चित नहीं हैं। इस के प्रति चीनी राज्य परिषद के विकास अनुसंधान केंद्र के कृषि मंत्रालय के मंत्री श्री हेन च्वन ने यह माना है कि मजदूर संघ को किसान मजदूरों के अधिकारों व कल्याण की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी चाहिए। श्री हेन ने कहा,चीन में किसान मजदूरों की जनसंख्या अधिक है, लेकिन, श्रम बाजार में उन की शक्ति कमजोर है। इसलिए, हमारे विभिन्न स्तरीय मजदूर संघों को सच्चे माइने में किसान मजदूरों के लिए बातें करनी चाहिएं , उन की मांगों को सामने लाना चाहिए और उन के कानूनी अधिकारों व कल्याण की रक्षा करनी चाहिए।

संबंधित विशेषज्ञों का मानना है कि शहरों में किसान मजदूरों के अधिकारों व कल्याणों को सुनिश्चित करने की दीर्घकालीन व्यवस्था की स्थापना करने के लिए हमें उक्त कदम उठाने के अलावा, सरकारों व कारोबारों की जिम्मेदारी को भी मजबूत करना चाहिए, संबंधित कानून निर्माण करना चाहिए और अंततः यह लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए कि किसान मजदूर व शहरों के कर्मचारी समान व्यवहार का उपभोग कर सकें।