2008-08-07 16:33:02

स्वास्थ्य और अल्प-स्वास्थ्य के बारे में बातचीत

आर्थिक विकास के कारण हमारे आसपास सबकुछ बहुत तेज़ी से बदल रहा है । इसी के चलते चीनी लोगों खासकर बड़े शहरों के निवासियों के जीवन की लय में बहुत तेजी आ गयी है । इसी स्थिति में बहुत से लोगों में अल्प-स्वास्थ्य की स्थिति पैदा होने लगी है । अल्प-स्वास्थ्य का मतलब है कि आदमी रोगी भी नहीं हैं,और बिल्कुल स्वस्थ भी नहीं है ।

आधुनिक-जीवन में लोगों को अक्सर ठीक सा महसूस नहीं होता, पर जब वे अस्पताल जाते है तो शारीरिक जांच परिणाम में कोई खराबी नही निकलती । जैसे पेइचिंग में काम करने वाली सुश्री फंग एक कंपनी में प्रबंधक का काम करती हैं । कंपनी के व्यस्त कामकाज निपटाते हुए सुश्री फंग को बहुत थकावट महसूस होती है और वह थोड़ा उदास भी हो जाती हैं।उन्हें समय पर खाने-सोने का मौका नहीं मिलता है । अपने जीवन की चर्चा करते हुए सुश्री फंग ने कहा ,

(आवाज 1)

मैं अक्सर दिन भर काम करती हूं , और हमेशा समय पर खाना नहीं खा पाती हूं । इसलिए मेरा ख्याल है कि अब मैं अल्प-स्वास्थ्य की स्थिति में रहती हूं ।

लेकिन वास्तव में सुश्री फंग को अल्प-स्वास्थ्य के असली अर्थ का पता नहीं है । अखबारों में यह शब्द कभी - कभी आंखों के सामने उभरता है ,इसलिए सुश्री फंग समेत बहुत से लोग जब अच्छा नहीं लगता , तब अपने सिर पर ऐसा शब्द लादना चाहते हैं ।

तब के सोवियत-संघ के किसी विशेषज्ञ ने 30 साल पहले अल्प-स्वास्थ्य का आविष्कार किया था । पर इधर के वर्षों में विश्व में तथाकथित अल्प-स्वास्थ्य की कोई साफ-साफ धारणा सामने नहीं आई है । लेकिन चिकित्सा-जगत में इस धारणा की आम जानकारी है । चीनी वायुयान चालक स्वास्थ्य जांच केंद्र के प्रधान श्री वू ल्यू शीन ने कहा ,

अल्प-स्वास्थ्य का मतलब है कि आदमी की शारीरिक स्थिति रोग लगने और बिल्कुल स्वस्थ होने के बीच में होती है । इसी स्थिति में रहने वाले लोगों की क्लीनिक जांच का परिणाम सही निकलता है,पर उन की शारीरिक-क्षमता व आसपास के वातावरण के प्रति अनुकूलन की क्षमता कमजोर होने लगती है। तथा उन में मानसिक असंतुलन भी नजर आने लगता है । श्री वू के अनुसार अल्प-स्वास्थ्य की स्थिति में रहने वालों को आम तौर पर सिर-दर्द,थकावट ,अनिद्रा और उदासीनता घेर लेती है । लेकिन अगर केवल कुछ दिनों तक ही ऐसी स्थिति रहे , तो वह अल्प-स्वास्थ्य नहीं है । अगर किसी व्यक्ति की ऐसी स्थिति कई माह तक चलती रहे , तो उसे अस्पताल में डॉक्टर को दिखाना ही पड़ेगा ।

श्री वू ने कहा कि अल्प-स्वास्थ्य पैदा होने के अनेक कारण हैं। इन का परिचय देते हुए उन्होंने कहा ,

अल्प-स्वास्थ्य पैदा होने के प्रमुख कारणों में जीवन में हद से अधिक दबाव ,शारीरिक- असंतुलन,असमय खाने की आदत , रिहायशी वातावरण का अच्छा न होना, कोई नैतिक या आध्यात्मिक दबाव,और अन्दरूनी व बाहरी तत्वों से पैदा हुआ असंतुलन ।

लेकिन अल्प-स्वास्थ्य से लोगों को कैसे खतरा पैदा हो सकता है ? सब से पहले इस बात को रेखांकित करना जरुरी है कि अल्प-स्वास्थ्य अधिकांशतः पुराने रोगों के उभरने का संकेत है। अनुसंधानों से पता चला है कि कैंसर ,मधुमेह, तथा दिमागी नस के मरीज आम तौर पर रोगी होने से पहले अल्प-स्वास्थ्य की स्थिति में से गुजरते हैं । अल्प-स्वास्थ्य की स्थिति का आदमी के सामान्य जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है । अल्प-स्वास्थ्य आदमी की दीर्घायु के लिए भी खतरा है ।

चीन में अल्प-स्वास्थ्य को बहुत महत्व दिया जाता है। इधर के वर्षों में चीन के बड़े व मझौले शहरों के कुछ अस्पतालों में अल्प-स्वास्थ्य विभाग बनाए गये हैं । अल्प-स्वास्थ्य में फंसे हुए लोगों का इलाज करने या उन्हें पुनः स्वस्थ बनाने के लिए स्वास्थ्य-केंद्र भी स्थापित किये गये हैं ।

अल्प-स्वास्थ्य के विकार से ग्रस्त लोगों को पुनः स्वस्थ बनाने के लिए सर्वप्रथम इन की शारीरिक स्थितियों की सही जानकारियां ली जानी चाहियें । फिर उन की शारीरिक स्थितियों के मुताबिक उन्हें स्वस्थ बनाने की योजना तैयार की जानी चाहिए । ऐसे लोगों की शारीरिक जांच करते समय सामान्य क्लीनिक जांच करने के अलावा उन की मानसिक जांच भी करनी चाहिये । साथ ही उन की आम शारीरिक क्षमता का मूल्यांकन करना भी बहुत आवश्यक है ।

चीन में अल्प-स्वास्थ्य से ग्रस्त लोगों को पुनः स्वस्थ बनाने के लिए आधुनिक और परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति दोनों का इस्तेमाल किया जाता है । आधुनिक इलाज में दवा , पौषक तत्व , शारीरिक अभ्यास तथा मानसिक इलाज आदि शामिल हैं । कुछ समय उच्च दबाव वाली ऑक्सीजन आदि आधुनिक माध्यमों का भी इस्तेमाल किया जाता है । उधर कई हजार साल पुरानी चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति अल्प-स्वास्थ्य रोगियों के लिए अधिक कारगर साबित हुई है। इसी सवाल की चर्चा करते हुए चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति अकादमी के डाइरेक्टर श्री छ्वाओ हूंग शिन ने कहा ,

अल्प-स्वास्थ्य से ग्रस्त लोगों के इलाज में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के दायरे में एक्यूपंक्चर , मालिश और qi-gong आदि अधिक कारगर हैं । चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के अनुसार रोगों के बाहरी प्रदर्शन से रोग पैदा होने के कारण का पता लगाया जाता है । इसलिये चीनी परंपरागत चिकित्सक रोगियों की व्यक्तिगत स्थिति को महत्व देते हैं । क्योंकि एक समान रोग के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में विभिन्न लक्षण नजर आ सकते हैं । इसलिये अल्प -स्वास्थ्य से ग्रस्त लोगों के इलाज में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति की अधिक कारगर भूमिका हो सकती है ।