प्राकृतिक स्थिति कठिन होने के कारण चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छोटे से भाग के लोग अपेक्षाकृत गरीब हैं । इधर के वर्षों में चीन सरकार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में गरीबी उन्मूलन पर लगातार जोर दे रही है । वर्ष दो हज़ार छह से चीन सरकार ने सारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में किसानों व चरवाहों के लिए सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना का कार्यान्वयन करना शुरू किया । दो साल से ज्यादा समय में कुल सात अरब य्वान का अनुदान करके एक लाख 20 हज़ार से ज्यादा सुरक्षित रिहायशी मकानों का निर्माण किया गया, जिस से साठ लाख से अधिक तिब्बती किसानों व चरवाहों को लाभ मिला है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के यांगदा जिले के तिब्बती बंधु प्यानबा उन में से एक हैं ।
तिब्बती बंधु प्यानबा के घर की बैठक बहुत बड़ी है और स्वच्छ और रोशनीदार भी है । घर के मालिक ने हमें गर्म घी पीने के लिए दिया और अपने नए रिहायशी मकान की कहानी सुनायी ।
"वर्ष 2007 में हम नए मकान में आए थे । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने 2006 से ही सारे प्रदेश में सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना का कार्यान्वयन करना शुरू कर दिया था । हमारा मकान भी इस परियोजना का एक भाग है, जो ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2007 भाग में शामिल हुआ । स्वायत्त प्रदेश ने मुझे 24 हज़ार य्वान का भत्ता दिया । इस राशि की मदद से मैं ने अपने नए मकान का निर्माण पूरा किया । पहले हमारा घर बहुत छोटा था, जिस में रोशनी नहीं आती थी और न ही वह बहुत स्वच्छ था । लेकिन आज हम इस प्रकार के बड़े व रोशनीदार मकान में रह रहे हैं । मेरे पिता जी आराम से अपने बुढ़ापे का जीवन बिता सकते हैं ।"
तिब्बती बंधु प्यानबा ने कहा कि स्थानीय सरकार ने न केवल सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना के कार्यान्वयन में उन्हें सहायता दी, बल्कि गांव वासियों के जीवन को सुधारने केलिए और भी अनेक कदम उठाए हैं। प्यानबा ने कहा कि स्थानीय सरकार ने उन्हें अनेक क्षेत्रों में समर्थन दिया और सहायता दी । प्यानबा का कहना है:
"विभिन्न स्तरीय सरकारों ने हमारे गांव का समर्थन किया । उन्होंने अपने दिए गए वचन का पालन किया, जिन में सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना के लिए भत्ता देना, किसानों को भत्ता देना, कम आय वाले परिवार को भत्ता देना आदि शामिल है । हर वर्ष सरकार खेती योग्य भूमि के क्षेत्रफल के अनुसार गांव के किसानों को कुछ भत्ता देती है । इस के अलावा, सरकार ने खेती का काम करने के अलावा हमें दूसरे रोज़गार दिलाने के लिए भी मदद दी और हमारे लिए मुफ्त प्रशिक्षण कक्षा खोली। परीक्षण देने वाले कुछ कर्मचारियों ने बहुत संजीदगी के साथ हमें सरल व वस्तुगत वैज्ञानिक व तकनीकी जानकारी हासिल करवाई, ताकि हमारे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता उन्नत हो सके । कुछ कर्मचारियों ने हमें वाहन मरम्मत करना सिखाया , ताकि हमें अतिरिक्त रोज़गार मिल सके ।"
तिब्बती बंधु प्यानबा ने कहा कि उस के छोटे भाई को भी सरकार की इस परियोजना से लाभ मिला है । उन्होंने स्थानीय सरकार द्वारा आयोजित प्रशिक्षण में भाग लिया और दूसरी जगह रोज़गार प्राप्त किया है, अब छोटा भाई कुछ कमाई कर रहा है ।
तिब्बती बंधु प्यानबा ने कहा कि वर्ष 2008 पिछले साल की तुलना में बहुत अलग है । गांव वासियों ने नए मकानों में प्रवेश किया है, सरकार ने उन्हें भत्ता दिया है, इस तरह गांववासियों के पास खरीदारी करने के ज्यादा पैसे हैं, वे लोग बहुत खुश हैं। प्यानबा ने कहा:
"पहले हमारा जीवन स्तर बहुत नीचा था । वसंतोत्वस के दौरान हम रोज़मर्रा की तरह ही आलू और गोभी आदि सब्ज़ी खाते थे । क्योंकि हमारे पास फ्रिज नहीं था । आज स्थिति बदल गई है। वसंतोत्सव के पूर्व हम ताज़ी सब्ज़ी खरीद कर फ़्रीज में रख सकते हैं । घर में फर्नीचर है । वसंतोत्सव का वातावरण बहुत आनंदमय है । पहले गांव में मात्र एक सफेद व काला टी.वी.था, प्रोग्राम देखने के लिए हमें पैसे देने पड़ते थे । लेकिन आज हर परिवार में टी.वी. सेट है । कुछ समय पूर्व हमारे यहां केबल लाईन भी आ गयी है , अब देशी-विदेशी समाचार देख सकते हैं और अनेक टी.वी. धारावाहिकों का मज़ा ले सकते हैं जिस से गांववासियों के सांस्कृतिक जीवन में और रंग भर गए हैं ।"
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओ थांग)