2008-08-01 10:53:35

ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र में रहने वाले पांडे

सन् 1963 में ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र स्थापित किया गया । वह चीन में स्थापित किए जाने वाला पहला राष्ट्रीय प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र है जिस में विश्व में सब से अधिक पांडा जीवन बिता रहे हैं। ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र की बहुसंख्यक इमारतें और कार्यालय इस साल 12 मई को आए महा भूकंप में बरबाद हो गईं। सभी कर्मचारियों को कार्यालय के सामने तंबू लगा करके काम करना पड़ रहा है।

इस महा भूकंप में 14 पांडा गार्डन बरबाद हो गए। अन्य 18 पांडा गार्डन की सुरक्षा स्थिति भी अच्छी नहीं है। इन में ट्वान ट्वान और य्वान य्वान नामक दो पांडाओं के गार्डन भूकंप में हुए भूस्खलन से पूरी तरह बरबाद हो गए हैं। वहां के 63 पांडों में 6 लापता हैं । पांडों के राहत कार्य करने वाले ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र के पांडा अध्ययन केंद्र के उप चीफ इन्जीनियर श्री ह्वांग यान ने उस समय की स्थिति का परिचय दिया और परेशान होते हुए कहा कि

राहत कार्य करने के लिए आते समय यहां की स्थिति देखकर बहुत चिंता हुई। इस के बाद हम आगे बढ़े तो देखा कि ट्वान ट्वान पूरी तरह काले रंग का हो गया है और परेशान होते हुए गिरते हुए पत्थरों के बीच भाग रहा है। हम ने वहां जाकर उसे बचाया । उस समय लापता हो चुका य्वान य्वान रात को अपने आप वापस आ गया।

पांडों के सामान्य जीवन की गारंटी करने के लिए ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र के पांडा अध्ययन केंद्र ने 6 पांडों को या आन शहर में पहुंचाया और यथाशीघ्र अन्य 8 ऑलंपिक पांडों को पेइचिंग पहुंचाया।

अब ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र में ट्वान ट्वान और य्वान य्वान भूकंप के बाद स्थापित किए गए नए गार्डन में आराम से बांस खा रहे हैं। वे कर्मचारियों द्वारा लाया गया स्वच्छ पानी पी रहे हैं और परेशान नहीं हैं। दोनों कर्मचारी अब उन का खाना तैयार कर रहे हैं।

इस खाने में बांस का पाउडर शामिल है। हर दिन 2 बार बनाते हैं और एक दिन के लिए 50 किलोग्राम चाहिए।

कर्मचारियों की देखभाल करने से सुरक्षा क्षेत्र में रहने वाले पांडों की स्थिति अच्छी होने लगी है। एक पांडा हर दिन बांस, सेब और दूध का आहार करता है। एक पांडे के एक दिन के खाने में लगभग 100 य्वान रन मिन बी का खर्च आता है।

ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र में बांसों की संख्या बहुत है। लेकिन भूकंप आने के बाद पहाड़ में बांस प्राप्त करने का रास्ता टूट गया है। वहां से बड़ी संख्या में बांस प्राप्त नहीं किए जा सकते। यहां के पांडों के खाद्य पदार्थ की गारंटी करने के लिए छं तू पांडा अध्ययन केंद्र आदि पांडा की अध्ययन संस्थाओं ने ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र के पांडों के खाद्य पदार्थ में सहायता की है। छं तू पांडा अध्ययन केंद्र के कार्यालय के प्रधान श्री फू आन निंग ने कहा कि

हम ने उन्हें जानकारी प्राप्त करने के बाद दो गाड़ी बांस आदि खाद्य पदार्थ और दवा वहां पहुंचाने की कोशिश की। दो गाड़ियां को यान आन, ज्या जिन शान से ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र पहुंचने के लिए 4 दिन का समय लगा।

श्री फू आन निंग ने कहा कि इस भूकंप में ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र में रहने वाले पांडाओं के क्षेत्रों को बहुत बड़ा नुक्सान नहीं पहुंचा है। लेकिन पांडा का अध्ययन करने वाले ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र के पांडा अध्ययन केंद्र के उप चीफ इन्जीनियर श्री ह्वांग यान ने चिंता से कहा कि अब आस पास के पहाड़ों की स्थिति बरबाद हो गई है। रास्ते टूट गए हैं और यातायात की स्थिति भी बहुंत गंभीर है। बिजली नहीं है और बांस भी बाहर से लाने पड़ रहे हैं। यहां रहते हुए पांडाओं और कर्मचारियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती।

समाचार के अनुसार स्छवान वन ब्युरो के विशेषज्ञ दल भूकंप आने के बाद ओ लूंग की स्थिति की जांच पड़ताल करने के लिए आया है। पेइचिंग विश्वविद्यालय और चीनी वैज्ञानिक कालेज की संबंधित संस्थाओं से गठित एक संयुक्त अध्ययन दल भी वहां के पुनः निर्माण की योजना बनाने के लिए ओ लूंग आया है।

मौजूदा स्थिति के अनुसार ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र का पुनः निर्माण कार्य दस दिनों में पूरा नहीं किया जा सकेगा। इस समस्या पर ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र के पांडा अध्ययन केंद्र के उप चीफ इन्जीनियर श्री ह्वांग यान ने कहा कि पांडा अध्ययन केंद्र ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास 100 से ज्यादा पांडे हैं। ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र पांडा का अध्ययन, सुरक्षा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यहां पांडाओं के लिए सब से अच्छा वातावरण है। लेकिन हमारे अध्ययन केंद्र का कैसे पुनः निर्माण होगा। अब इस समस्या का जवाब अस्पष्ट है। हमें ओ लूंग क्षेत्र में ही अन्य एक योग्य स्थल पर पुनः निर्माण करना होगा।

अब ओ लूंग प्राकृतिक सुरक्षा क्षेत्र के पांडे बहुत लोगों की सहायता से भूकंप आने के पहले की तरह जीवन बिता रहे हैं। भविष्य में वे पुनः निर्माण किए गए नए घरों में वापस जाएंगे और अपनी जन्म भूमि में आराम से जीवन बिता सकेंगे।