ह्वाङ छाओ के विरुद्ध के दौरान फौजी गवर्नर-जनरलों ने अपनी सत्ता व प्रभाव काफी बढ़ा लिया था। आज के शानशी प्रान्त के इलाके का ली खयुङ और आज के हनान प्रान्त के इलाके का चू वन ह्वाङहो नदीघाटी में उस जमाने के सबसे शक्तिशाली गवर्नर-जनरल थे। दक्षिण चीन में भी कुछ गवर्नर-जनरल अपनी सैन्यशक्ति के बल पर स्वतंत्र रूप से शासन करने लगे थे। 907 में चू वन ने या इन नामक एक बड़े अफसर से गठजोड़ कायम किया और अपनी सेना सहित छाङआन में प्रवेश कर सम्राट आएती को अपने हक में गद्दी छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। चू वन द्वारा स्थापित राजवंश इतिहास में उत्तरकालीन ल्याङ के नाम से मशहूर है। इसके बाद क्रम से उत्तरकालीन थाङ, उत्तरकालीन चिन, उत्तरकालीन हान और उत्तरकालीन चओ राजवंश अस्तित्व में आए। इतिहास में इन सबका सामूहिक रूप से पांच राजवंशओं के रूप में उल्लेख किया जाता है तथा उनका राज्यकाल कुल मिलाकर 54 वर्षों का था। इन राजवंशों ने मुख्य रूप से ह्वाङहो नदीघाटी के इलाके पर शासन किया।
उत्तरकालीन थाङ राजवंश (राजधानी ल्वोयाङ) को छोड़कर सबकी राजधानी खाएफ़ङ थी।
वर्ष 907-960 के इसी दौरान दक्षिण चीन में क्रमशः ऊ, दक्षिणी थाङ, ऊय्वे, मिन, छू, नानफिङ, पर्वकालीन शू, उत्तरकालीन शू और दक्षिणी हान राज्यों का उदय हुआ। इतिहास में इन नौ राज्यों तथा उत्तरी हान राज्य (वर्तमान शानशी के मध्यवर्ती भाग में स्थित) का उल्लेख दस राज्यों के रूप में किया जाता है।
पांच राजवंशों और दस राज्यों के काल में लगातार युद्ध होते रहने के कारण जनता तबाह हो गई तथा उसकी कष्टों की कोई सीमा न रही। आखिरकार सुङ राजवंश की स्थापना से इन अलग-अलग राज्यों का अस्तित्व समाप्त हुआ और चीन के मध्यवर्ती मैदान और दक्षिणी भाग का एकीकरण पूर्ण हो गया।