2008-08-06 10:17:23

अपने पसंदीदा देश में आलंपिक के लिये योगदान देना

स्वयंसेवक हमेशा आलंपिक में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। वे आलंपिक के विशेष सेवक हैं। पेइचिंग आलंपिक का प्रमुख नारा है एक दुनिया एक सपना। और अब कुछ विदेशी स्वयंसेवक अपने पेइचिंग आलंपिक सपने को साकार करने की बड़ी प्रतीक्षा में हैं।

स्वयंसेवकों के काम करने की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिये पेइचिंग आलंपिक आयोजन कमेटी ने उन विदेशी स्वयंसेवकों की भरती करने पर बड़ा ध्यान दिया है, जिन की मातृभाषा अंग्रेज़ी है। वर्ष 2006 के आरंभ से पेइचिंग आलंपिक आयोजन कमेटी ने विदेशी दस विश्वविद्यालयों के साथ क्रमशः संपर्क रखकर प्रत्यक्ष साक्षात्कार करना शुरू किया। इस वर्ष की फ़रवरी की 18 तारीख से मार्च की 9 तारीख तक पेइचिंग आलंपिक आयोजन कमेटी के मीडिया संचालन विभाग ने क्रमशः सात प्रत्यक्ष साक्षात्कार टीमों को अमरीका, ऑस्ट्रेलिया व ब्रिटेन के दस विश्वविद्यालयों में भेजकर 3 सौ मीडिया संचालन स्वयंसेवकों का चुनाव किया। हाल ही में अमरीकी आयोवा आलंपिक विश्वविद्यालय से आए 24 मीडिया संचालन स्वयंसेवकों ने सब से पहले पेइचिंग पहुंचने वाले विदेशी स्वयंसेवकों के रूप में चीन के मशहूर छिंग ह्वा विश्वविद्यालय में जाकर एक हफ्ते के चीनी संस्कृति प्रशिक्षण में भाग लिया। जुलाई की 8 तारीख को पेइचिंग आलंपिक के प्रमुख न्यूज़ केंद्र के औपचारिक रूप से मीडिया के लिए खुलने के बाद उन में कुछ लोगों ने इस प्रमुख न्यूज़ केंद्र में प्रवेश करके स्वयंसेवा करना शुरू किया। साथ ही क्योंकि टेनिस व कुश्ती आयोवा आलंपिक विश्वविद्यालय की परंपरागत इवेंट है, इसलिये इन में से कुछ स्वंयसेवक टेनिस व कुश्ती की व्यायामशालाओं में प्रवेश करके वहां मीडिया के लिए स्वयंसेवा कार्य करेंगे।

संस्कृति प्रशिक्षण के दौरान, आयोवा आलंपिक विश्वविद्यालय के छात्र स्वयंसेवकों में चीन की भाषा, संस्कृति, इतिहास व सामाजिक विकास की वर्तमान स्थिति जानने का बड़ा शौक पैदा हुआ। पत्रकारिता के छात्र केमरन कोकर एक सक्रिय व्यक्ति है। उसे चीन की केलीग्राफी व चीनी भोजन बहुत पसंद है। उस के परिचय के अनुसार वर्ष 2006 में उसने चीन के थ्येनचिन शहर की यात्रा की थी, और वहां छह महीने तक ठहरा था। थ्येनचिन की यात्रा की वजह भी एक कारण है कि केमरन ने आलंपिक स्वयंसेवा के लिए आवेदन किया, और इस तरह फिर एक बार चीन आने का मौका प्राप्त किया। खेलते समय वह एक लापरवाह बच्चा है, लेकिन काम करते समय वह बहुत ध्यान-मग्न है। अपने काम के बारे में बताते हुए उस ने कहा कि, हमारे कुछ व्यक्ति मीडिया संचालन का काम करेंगे। और मेरा काम टेनिस प्रतियोगिता में स्वयंसेवा देना है। उस समय मैं प्रतियोगिता के बाद संवाददाताओं को प्रतियोगिता के विभिन्न आंकड़े उपलब्ध करवाऊंगा, और उन आंकड़ों को कम्प्यूटर में दर्ज करूंगा। सूचना व्यवस्था उन आंकड़ों के आधार पर प्रतियोगिता व खिलाड़ियों से संबंधित सूचनाएं मीडिया केंद्र के संवाददाताओं को देगी, ताकि वे अच्छी तरह से रिपोर्ट दे सकें। हम जानते हैं कि आलंपिक विश्व में सब से बड़ा खेल समारोह है। बहुत श्रेष्ठ खिलाड़ियों ने इस में भाग लिया है। इसलिये हो सकता है कि इन्टरव्यू लेने में संवाददाताओं को शायद बहुत मुश्किलें आएं। हमारा काम उन्हें अच्छी तरह रिपोर्टिंग करने में सहायता देना है।

अपनी दूसरी बार की चीन यात्रा के प्रति केमरन के विचार में अगर आप अपने पसंदीदा देश को अच्छी तरह से जानना चाहते हैं, तो आप को उस देश में प्रवेश करके कुछ समय तक काम करना पड़ेगा। केवल पुस्तकों से हासिल जानकारी काफ़ी नहीं है। उसे लगता है कि पेइचिंग आलंपिक से उसने मिल-जुलकर आगे बढ़ने वाला चीन देखा है। इस में भाग लेने पर वह बड़ा उत्साहित है। उन्होंने कहा कि, इस बार चीन आने के बाद मुझे लगता है कि इस देश में बड़ा बदलाव हुआ है। सभी लोग मिल-जुलकर कोशिश कर रहे हैं। और मैं भी उन के साथ आलंपिक में भाग ले सकता हूं, इसलिए मैं बहुत उत्साहित हूं।

केमरन की तुलना में एंड्रयु बासमैन धैर्यशील है। वह ध्यान से काम करता है, और कम बातें करता है। देखने में वह हमेशा सोचता हुआ दिखाई पड़ता है। प्रतियोगिता के दौरान वह प्रमुख न्यूज़ केंद्र में प्रवेश करके स्वयंसेवा देगा। बातचीत में एंड्रयु ने कहा कि वह इधर-उधर घूमना पसंद करता है। विश्व में बहुत अनोखी जगहें उस को आकर्षित करती हैं। और उस की बड़ी आशा है कि वह स्वयं आलंपिक के घटनास्थल में पहुंच सके। चाहे वह प्रधान पात्र हो या सहायक की भूमिका में, अगर वह आलंपिक में भाग ले सकेगा, तो यह उस के लिये एक अच्छी बात है। अब उस की यह आशा साकार होगी। केमरन की तरह एंड्रयु ने भी यह सोचा था कि अगर आप एक देश को अच्छी तरह से जानना चाहते हैं, तो आप को उस देश में जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि, यह एक बहुत अच्छा मौका है। आप शायद जानते हैं कि आलंपियाड हर चार साल में केवल एक बार आयोजित किया जाता है। अगर आप एक देश को जानना चाहते हैं, तो सब से अच्छा उपाय यह है कि वहां जाकर अपनी आंखों से उस देश को देंखे। आलंपिक एक बहुत अच्छा मौका है। वह विश्व की विभिन्न जगहों से आए लोगों को इकट्ठा करता है। लोग इस बड़े खेल समारोह से एक दूसरे को समझ सकते हैं, और बहुत मित्र भी बना सकते हैं।

और एक स्वयंसेवक डेनिएल लिबमैन खेल का शौकीन है। उस का स्वभाव बहुत सीधा है। उसने अपनी खुशी कभी नहीं छिपायी। न सिर्फ़ अपने आयोवा आलंपिक्स विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से, बल्कि छिंग ह्वा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से लिबमैन अक्सर सवाल पूछता रहा। उस की नज़रों में चीन एक पवित्र देश है। और वह आलंपिक स्वयंसेवकों के काम की बड़ी प्रतीक्षा में है। उसने कहा कि, यहां आकर मुझे बहुत खुशी हुई। जब हमारा विमान पृथ्वी पर पहुंचा, तो मुझे लगा कि वाह, मैं पेइचिंग आ गया हूं। मैं अपने काम के प्रति बहुत उत्साहित हूं। हमें लेखन व खेल से घनिष्ठ संबंध रखना पड़ेगा। मुझे आशा है कि हमारे सभी लोग आनन्द, यात्रा व मूल्यवान् अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।

उन विदेशी स्वयंसेवकों के प्रति चीनी मित्रों के भी अपने- अपने विचार हैं। छिंग ह्वा विश्वविद्यालय के समाचार व प्रसार-प्रचार कॉलेज की एम.ए. की विद्यार्थी सू चिंग ने इस विदेशी स्वयंसेवक प्रतिनिधि मंडल के देखभाल का काम संभाला है। उन्होंने कहा कि आयोवा आलंपिक विश्वविद्यालय के स्वयंसेवक चीन को बहुत प्यार करते हैं। हम मिलजुल कर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि इस प्रतिनिधि मंडल के सभी विद्यार्थी बहुत मिलनसार हैं। उन में कई लोगों की चीनी भाषा काफ़ी अच्छी है। उन के साथ आदान-प्रदान में कोई बाधा नहीं है। सभी लोगों को मुझ से बातचीत करना पसंद है। और उन्होंने मुझ से अनेक सवाल पूछे कि यह क्या है?वह क्या है?कहां स्वादिष्ट चीनी भोजन मिल सकता है?कहां कारा ओके के गीत गाए जा सकते हैं?और क्या इस में अंग्रेज़ी गीत भी शामिल हैं?जब मैंने जवाब दिया है कि हां, सभी होते हैं, तो उन्हें बहुत खुशी हुई।

पेइचिंग आलंपिक आयोजित होने वाला है। उस समय वे विदेशी स्वयंसेवक चीनी स्वयंसेवकों के साथ आलंपिक में सेवा देने का कर्तव्य निभाएंगे। एक दुनिया एक सपने का नारा उन के बीच विस्तृत व विकसित किया जाएगा। (चंद्रिमा)