2008-07-23 10:44:27

छंग तेह शहर के आठ बाहरी मठों का दौरा

शायद आप को याद हुआ होगा कि पहले हम ने इसी चीन के भ्रमण कार्यक्रम में चीन के हो पेह प्रांत के छंग तेह शहर के बारे में कुछ जानकारियों का परिचय दिया था , आप को जरूर यह मालूम है कि छंत तेह शहर एक प्राचीन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहर ही नहीं , बल्कि ग्रमियों से बचने वाला सब से रमणीय स्थल भी रहा है । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को इसी शहर में अवस्थित आठ बाहरी आसाधारण मठों का दौरा करने ले चलते हैं।

छंग तेह शहर का फू निंन मठ उत्तर चीन के सब से विख्यात तिब्बती लामा बौद्ध धर्म का मंदिर माना जाता है , उस की स्थापना ईस्वी 18 वीं शताब्दी के छिंग राजवंश के छ्येन लुंग राजा काल में हुई थी । इस फू निंग मठ के आसपास और 11 विभिन्न रूपों वाले मंदिर भी खड़े हुए हैं । क्योंकि तत्काल में उन में से आठ मंदिरों का संचालन प्रत्यक्ष रूप से छिंग राजवंश की सरकार द्वारा किया जाता था और वे छंग तेह शहर के कू पेह खो नामक स्थल के बाहर स्थित हैं , इसलिये वे बाहरी आठ मठ के नाम से जाना जाने लगे हैं। बाहरी आठ मठ दिसम्बर 1992 में विश्व सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल हो गये हैं ।

बाहर आठ मठों में इनसा पो मठ और शान पो मठ नामक इन दोनों पुराने मंदिरों का निर्माण सन 1713 में हुआ था । हो पेह प्रांत के छंग तेह शहर के बाहरी आठ मठ प्रबंधन विभाग के अधिकारी श्री फंग चुन पो ने इन दोनों मंठों के निर्माण के बारे में बताते हुए कहा कि तत्काल में राजा खांग शी के 60 वें जन्म दिवस के उपलक्ष में भीतरी मंगोलिया और बाहरी मंगोलिया में रहने वाले जीवित बुद्ध और कुलीन राजा खांग शी को बधाई देने राजधानी आ पहुंचे । राजा खांगशी ने इस से प्रभावित होकर छंग तेह में उक्त दोनों मंदिरों के निर्माण का फैसला कर लिया ।

इतना ही नहीं , उस समय राजा खांग शी द्वारा इनसा पो व शान पो इन दोनों मदिरों का निर्माण करने की अत्यंत गहरी ऐतिहासिक व राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मौजूद थी । फू निंग मठ के प्रबंधन विभाग के प्रदान श्री वांग ह्वी ने हमारे संवाददाता को तत्कालीन चीनी राष्ट्रीय एकता व मेलमिलापपूर्ण युग की पृष्ठभूमि का उल्लेख किया ।

छिंग राजवंश की सरकार ने मध्य चीन पर कब्जा करने के बाद महसुस किया कि अपने शासन को मजबूत बनाने के लिये जातीय मेलमिलाप और एकता को मूर्त रूप देना अत्यावश्यक है। क्योंकि छंग तेह क्षेत्र उस समय एक खुमंतु इलाका था , इसलिये विभिन्न जातियां भी बसने के लिये चारों तरफ से यहां आयी थीं , अतः जातियों के बीच टक्करें व सम्पर्क भी यहां पर आम बात बन गये । और तौ और तत्काल में मंगोल जाति व तिब्बती जाति तिब्बती बौद्ध पर विश्वास करती थीं , उन के विश्वास के सम्मान के लिये राजा खांग शी ने सब से पहले तिब्बती बौद्ध धार्मिक धारणा के अनुसार छंग तेह गर्मियों से बचने वाले उद्यान के पूर्वी बगल में इनसा पो मठ और शान पो मठ का निर्माण कर लिया।

राजा छ्येन लुंग ने राजगद्दी पर आने के बाद पूर्व राजा खांगशी का अनुसरण करते हुए छंग तेह में क्रमशः दस भिन्न भिन्न रूपों वाले मंदिर बनवा दिये । इन दस भिन्न रूपों वाले मंदिरों में फू निंग मठ सब से पहले निर्मित हो गया । यह मठ चीनी राष्ट्रीय एकता के इतिहास में एक अहम भारी घटना की स्मृति में स्थापित हुआ है । फू निंग मठ प्रबंधन विभाग के प्रधान श्री वांग ह्वी ने इस का परिचय देते हुए कहा कि चुनकर दंगे फसाद को विफल बनाने की स्मृति में फू निंग मंठ का निर्माण किया गया , यह मंदिर ऐतिहासिक घटना का स्मारक ही नहीं , बल्कि भविष्य के लिये एक पूर्व चेतावनी भी है। आशा है कि इसी घटना के जरिये सामाजिक स्थिरता और सुखचैन प्राप्त होगा।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा , कृपया इसे आगे पढ़े।