चीनी तिब्बत शास्त्र अनुसंधान केंद्र के उप निदेशक सुश्री बी ह्वा के नेतृत्व वाला तिब्बती विद प्रतनिधि मंडल फिलहाल स्वीडजर्लैंड की यात्रा कर रहा है । 17 और 18 तारीख जुलाई को प्रतनिधि मंडल के पांच सदस्यों ने स्वीडजर्लैंड के तीन शहरों की यात्रा की और स्थानीय समाज के विभिन्न जगतों के व्यक्तियों के साथ संगोष्ठियां आयोजित कीं और विचारों का आदान प्रदान किया । सुनिए इस संदर्भ में एक रिपोर्ट ।
चीनी तिब्बती विद प्रतनिधि मंडल ब्रिटेन की यात्रा समाप्त कर स्वीडजर्लैंड आया । पिछले दस से ज्याजा वर्षों में यह स्वीडजर्लैंड की यात्रा करने वाला प्रथम चीनी तिब्बती विद प्रतिनिधि मंडल है । यात्रा के दौरान प्रतिनिधि मंडल ने क्रमशः ज़ुरिच, बेर्न और लोसान तीन शहरों का दौरा किया और स्थानीय मिडिया संस्थाओं, सरकारी अधिकारियों, स्वीडजर्लैंड में रह रही चीनी मूल वाले व्यक्तियों के साथ चार संगोष्ठियां आयोजित कीं । इस के साथ ही उन्होंने यहां रह रहे तिब्बती बंधुओं से भी मुलाकात की । स्वीडजर्लैंड स्थित चीनी राजदूत श्री तुंग चिनयी का विचार है कि प्रतनिधि मंडल की मौजूदा यात्रा से स्वीडजर्लैंड के नागरिकों को तिब्बत सवाल के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए लाभ मिलेगा । उन्होंने कहा:
"तिब्बती विद प्रतनिधि मंडल में तिब्बती बंधु , विद्वान और विशेषज्ञ शामिल हैं । उन्होंने अपने स्वयं अनुभवों और तिब्बत शास्त्र के गहन अनुसंधान के जरिए स्वीडजर्लैंड के विभिन्न जगतों के व्यक्तियों के साथ विचारों का आदान प्रदान किया । उन्होंने तिब्बत की वास्तविक स्थिति को स्वीडजर्लैंड नागरिकों से अवगत कराया । जिस से स्वीडजर्लैंड की जनता को तिब्बत सवाल और चीन सरकार के रूख समझने में लाभ मिलेगा ।"
स्वीडजर्लैंड में निर्वासित तिब्बती बंधुओं की संख्या युरोप में सब से ज्यादा है । वर्तमान में करीब तीन-चार हजार निर्वासित तिब्बती बंधु रहते हैं, वे मुख्य तौर पर गत शताब्दी के पचास व साठ वाले दशक में तिब्बत से युरोप में आने वाले तिब्बती बंधु और उन के संतान हैं । उन में से अधिकांश लोग कभी भी तिबब्त में नहीं लौटे और उन्हें तिब्बत की वास्तविक स्थिति की कोई जानकारी नहीं है, इस तरह उन्हें दलाई गुट के झूठे प्रचार प्रसार पर विश्वास है और आज के तिब्बत के विकास और चीन सरकार की जातीय नीति व धार्मिक नीति पर उन्हें काफी गलतफ़हमी हुई है, उन्होंने अपनी इन गलतफ़हमियों से स्वीडजर्लैंड के स्थानीय लोगों को भी प्रभावित कर दिया । इसी के कारण बहुत से स्वीडजर्लैंड नागरिकों का ध्यान तिब्बत सवाल पर खिंच हुआ । प्रतनिधि मंडल की मौजूदा यात्रा के दौरान तिब्बती विदों ने अपने अनुभवों और वास्तविक आंकड़ों के उदाहरण देते हुए स्थानीय मीडिया संस्थाओं और आम नागरिकों को तिब्बत की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया । प्रतिनिधि मंडल की अध्यक्षा सुश्री बी ह्वा का विचार है कि यह आदान प्रदान एक बहुत अच्छा तरीका है, जिस से अच्छा परिणाम निकलेगा । उन का कहना है :
"स्थानीय लोगों के साथ इन सवालों पर विचार विमर्श करना, जानकारी देना व व्याख्या करना किसी हद तक उन की आशंकाओं और नासमझों को दूर करने के लिए लाभदायक साबित हुआ है । मेरा विचार है कि इस तरीके से हमारा पूर्व अनुमानित लक्ष्य प्राप्त हुआ है और अच्छा परिणाम निकला है । हम ने मीडिया संस्था के साथ भी साक्षात्कार किया है, इस के बाद उन्होंने कहा कि वे हम द्वारा दी गई 50 प्रतिशत से ज्यादा जानकारी मानते हैं और बातचीत से अनेक नयी सूचनाएं प्राप्त हुईं ।"
स्थानीय मीडिया संस्था द्वारा प्रस्तुत अनेक सवालों में यह सवाल कि तिब्बती जाति की परम्परागत संस्कृति को नष्ट किया गया या नहीं, एक प्रमुख सवाल है । इस के जवाब में चीन के स्छ्वान प्रांत के आबा तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के तिब्बती बंधु, पेइचिंग राजनय स्कूल के अध्यापक श्री वनछ्वान ने कहा कि तिब्बती आबादी क्षेत्र में अनेक युवा लोग अपने भावी केरियर विकास के ख्याल से अधिक आयाम खोजने के लिए चीनी हान भाषा और अंग्रेज़ी सीखते हैं और तिब्बती भाषा सीखने पर कम ध्यान देते हैं । ऐसी स्थिति सचमुच मौजूद है, इस से तिब्बती संस्कृति के विकास पर कुप्रभाव पड़ेगा । लेकिन यह उन का स्वयं चुनाव है, किसी ने उन्हें ऐसा करने के लिए जबरदस्ती नहीं किया है । भूमंडलीकरण की पृष्ठभूमि में आधुनिक जीवन में कदम रखने के दौरान तिब्बत के सामने ऐसी समस्या स्वाभावित रूप से मौजूद होगा । इस प्रकार की व्याख्या पर स्वीडजर्लैंड के निवासी श्री गेराल्ड बेरोउड ने अपनी समझ व्यक्त करते हुए कहा:
"श्री वनछ्वान ने यह तर्क दिया है कि आधूनिकीकरण के कारण वास्तविक कामकाज में तिब्बती भाषा का प्रयोग मुश्किल है । इस पहलु पर पहले मेरा ध्यान नहीं गया। मैं इस कारण को समझ सकता हूँ । क्योंकि स्वीडजर्लैंड में भी अनेक भाषाएं बोली जाती हैं । मैं ने सुना है कि स्वीडजर्लैंड में रहने वाले बहुत से चीनी बाल बच्चों को चीनी बोलने में कोई समस्या नहीं हैं, लेकिन लिखने में दिक्कत होती है । इस लिए मैं इसी कारण को समझ सकता हूँ ।"
तिब्बती विदों की यात्रा पर स्थानीय मीडिया संस्थाओं का ही नहीं, स्वीडरर्लैंड में तिबब्त के बारे में अनुसंधान करने वाले व्यक्तियों का ध्यान भी केंद्रित हुआ। उन्होंने तिब्बती विदों के साथ अकादमिक आदान प्रदान किया । सुश्री अमी हेलेर एक स्थानीय विद्वान हैं । उन्हें तिब्बती संस्कृति में बड़ी रूचि है और उन्होंने तिब्बती कला इतिहास से जुड़ी एक विशेष पुस्तक भी लिखी । तिब्बती विद सुश्री बी ह्वा द्वारा किए गए जांच सर्वेक्षण से तिब्बत के सुदूर क्षेत्र में प्राप्त आंकड़े व जांच परिणाम सुनने के बाद वे बहुत प्रभावित हुई । उनका कहना है:
"आज की आदान प्रादन गतिविधि बहुत अच्छा है । तिब्बत की स्थिति के बारे में सुश्री बी ह्वा की समझ व व्याख्या बहुत स्पष्ट है । मैं इस पर गहन रूप से सोचविचार करूंगी ।"
सुश्री हेलेर ने कहा कि वे समझदारी व आदान प्रदान की आशा के साथ तिब्बती विदों के साथ बातचीत करने आयी । उन्होंने माना कि वे चीनी तिब्बती विदों के सारे दृष्टिकोण को नहीं मान सकती हैं । उन की इस हालत पर चीनी प्रतिनिधि मंडल के नेता सुश्री बी ह्वा ने कहा:
"तिब्बत और चीन के खुलेपन के चलते ज्यादा से ज्यादा लोग तिब्बत में आ सकेंगे। वे खुद तिब्बत की वास्तविक स्थिति को महसूस करेंगे । फिर ऊपर से हम उन्हें तिब्बत के बारे में और विस्तृत व वस्तुगत जानकारी दे सकें, तो वे लोग धीरे धीरे अपनी गलतफहमी को दूर कर सकेंगे और वास्तविक तिब्बत समझ सकेंगे ।"