2008-07-21 10:41:45

ओलम्पिक स्टेडियमों का दौरा:कुश्ती व ज्यूडो , ताएकोन्डा

पिछले कार्यक्रम में हम ने आपको पेइचिंग स्पोर्टज विश्वविद्यालय व पेइचिंग तकनालाजीकल विश्वविद्यालय में स्थित ओलम्पिक स्टेडियमों के बारे में जानकारी दी थी। आज के इस कार्यक्रम में हम आपको पेइचिंग कृषि विश्वविद्यालय व पेइचिंग विज्ञान-तकनीक विश्वविद्यालय में स्थित ओलम्पिक स्टेडियमों से अवगत कराएगें। इन दो स्टेडियमों में अलग अलग तौर से ओलम्पिक कुश्ती और ओलम्पिक ज्यूडो व मैचों का आयोजन किया जाएगा।

पेइचिंग 2008 ओलम्पिक कुश्ती प्रतिस्पर्धा स्टेडियम पेइचिंग के उत्तरी भाग के चीनी कृषि विश्वविद्यालय के पूर्वी कैंपस में स्थित हैं। स्टेडियम का कुल क्षेत्रफल 23 हजार वर्ग मीटर है और दर्शकों के लिए 8 हजार सीटें उपलब्द्ध हैं, इन में 6 हजार स्थायी सींटे व 2 हजार अस्थायी सींटे हैं।

सौ साल पुराने इतिहास वाले इस कृषि विश्वविद्यालय में ओलम्पिक का कुश्ती स्टेडियम स्थापित है जहां बहुत से जगहों में विज्ञान तकनीक व पर्यावरण संरक्षण की भावना व मानव संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। सर्वप्रथम स्टेडियम की समुन्नत सूचना व्यवस्था से स्टेडियम के सभी भाग ले रहे खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा से पहले अपने प्रतिद्वंद्वियों के वजन का परिणाम मालूम हो सकता है, उर्जा किफायत पहलु में स्टेडियम में उपयोग भूमिगत तापमान तथा प्राकृतिक रोशनी की डिजाइन से बिजली की खपत आम स्टेडियमों के उर्जा की तुलना में 30 प्रतिशत की किफायत की जा सकती है। इस के अलावा, कृषि विश्वविद्यालय के जल संरक्षण व सिविल इंजीनीयरिंग कालेज के छात्रों व अध्यापकों ने स्टेडियम की छत के वर्षा पानी को एकत्र कर उनका उपयोग करने में जो अध्ययन किया है, उससे स्टेडियम की छत के पानी को शौचालय को धोने व घास मैदान में पानी कि सिंचाई करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

चीनी कृषि विश्वविद्यालय चीन के कृषि क्षेत्र का सबसे उच्चतम शिक्षालय है। यह विश्वविद्यालय 1905 में स्थापित हुआ था और आज इस प्राचीन विश्वविद्यालय के छात्रों व अध्यापकों की संख्या 20 हजार से अधिक है, इस विश्वविद्यालय का खेल-व्यायाम पूरे देश में शक्तिशाली माना तो जाता है, परन्तु कैंपस में इस से पहले कोई बड़ा स्टेडियम नहीं रहा है। 2008 पेइचिंग ओलम्पिक के पेइचिंग में आयोजित होने की बदौलत ,चीनी कृषि विश्वविद्यालय ने सबसे पहले अपने कैंपस में ओलम्पिक स्टेडियम का निर्माण करने का प्रस्ताव पेश किया। पेइचिंग ओलम्पिक कमेटी ने ओलम्पिक कुश्ती स्टेडियम को वर्ष 2005 के 15 सितम्बर को ठीक इस विश्वविद्यालय की सौ साल जंयती के मौके पर निर्माण करने का फैसला लिया।

ओलम्पिक कुश्ती स्टेडियम कैपंस के छात्र आवास क्षेत्र की तीन उंची इमारतों के बीच में निर्मित किया गया है । पूरे निर्माण के दौर में आवास क्षेत्र के हजारों छात्र रोजाना इस स्टेडियम से गुजरते आए हैं, रोजाना अपनी आवास इमारत की खिड़की से इस स्टेडियम के दिन ब दिन बदलती झलक को अपनी आंखो से देखते आए हैं। यह बिल्कुल कहा जा सकता है विश्वविद्यालय के छात्रों ने ओलम्पिक को इतने नजदीक से अहसास किया है, जो इस विश्वविद्यालय के छात्रों व अध्यापकों के लिए एक अत्यन्त गौरव की घटना है।

ओलम्पिक कुश्ती स्टेडियम के अलावा, पेइचिंग ओलम्पिक का ज्यूडो व ताएकोनडो मैच स्टेडियम भी कृषि विश्वविद्यालय की तरह अनेक विश्वविद्यालयों में स्थापित किया गया है। पेइचिंग विज्ञान तकनीक विश्वविद्यालय ओलम्पिक ज्यूडो व ताएकोनडो स्टेडियम का मुख्य स्थल है। इस स्टेडियम में दर्शकों के लिए 8000 सींटे उपल्बद्ध है। अलबत्ता पेइचिंग विज्ञान तकनीक विश्वविद्यालय को अकेले सर्वश्रेष्ठ विज्ञान की श्रेष्ठता हासिल है, इस लिए पूरे स्टेडियम के डिजाइन में इस विज्ञान तकनीक विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक माहिरता देखने को मिलती है। डिजाइनरों ने जो समुन्नत व नवीन डिजाइन चुना है वह भी ओलम्पिक खेल का एक मिसाल है। स्टेडियम की रोशनी को पूरे स्टेडियम में प्रयोग किए जाने के लिए डिजाइनरों ने नवीन माडल की फोटोटयूब तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस नयी तकनीक से बाहर की सूर्य किरणों को कमरे के भीतर ले जाया जा सकता है, जिस से दिन में स्टेडियम के लिए 10 घन्टे की रोशनी उत्पन्न की जा सकती है और उसमें कोई उर्जा की खपत नहीं होती है, और तो और स्टेडियम के भीतर लायी गयी प्राकृतिक रोशनी स्टेडियम के भीतर सड़न से पैदा बदबू को दूर कर सकती है जो लोगों की सेहत के लिए निसंदेह फायदेमंद है।

 पेइचिंग ओलम्पिक का शूटिंग स्टेडियम पेइचिंग के पश्चिम भाग में स्थित है, वह ओलम्पिक के दौरान 11 शूटिंग इवेन्टो की प्रतिस्पर्धा का भार संभालेगा। अगस्त में पेइचिंग का मौसम गर्म रहता है, खिलाड़ियों व दर्शकों के लिए एक आरामदायक वातावरण तैयार करने के लिए, स्टेडियम के डिजाइनर चीन के छिंगहवा यूनीवर्सीटी के वास्तुगत निर्माण कालेज ने शूटिंग स्टेडियम के लिए केन्द्रीय एयरकन्डीशन लगाया है, और स्टेडियम के हरेक शूटिंग की जगह के लिए 3.2 मीटर उंची एक शूटिंग कक्ष तैयार किया है। खिलाड़ियों को इस तरह की डिजाइन से प्राप्त सुविधा व आराम का सबसे सीधा अहसास होता है।

आप भी अन्दाजा लगा सकते हैं कि यदि शूटिंग कक्ष की दीवार की लम्बाई दसेक मीटर और उंचाई तीन से अधिक मीटर होगी , तो इस का मतलब खिलाड़ियों के लिए अधिक वायु वितरण प्रदान करना है, परन्तु नवीन डिजाइन के मुताबिक इतने विशाल कक्ष में आराम तो मिल सकता है, पर वायु के कक्ष में तेजी से आने जाने से खिलाड़ियों पर भारी प्रभाव जरूर पडे़गा, इस के लिए डिजाइनरों ने पाइप लाइनों के जरिए वायु को बेहतरीन रूप से कक्ष में अन्दर लाने व वायु को बाहर ले जाने तथा वायु के वितरण को बिना किसी प्रभाव डाले खिलाड़ियों को एक सतत आरामदायक वातवारण तैयार करने की नवीन तकनीक को इस शूटिंग स्टेडियम में बखूबी अंजाम दिया है। आम समय के रिहार्सल समय में केवल इन वायु पाइप लाइनों को न कि एयरकन्डीशन को खोलने से उर्जा की कोई खपत तक नहीं होती है, और तो और खिलाडि़यों के लिए एक आरामदायक मैच वातावरण तैयार करने की सुनिश्चता प्रदान की जा सकती है। एक तरफ उर्जा की खपत को कम करना और दूसरी तरफ खिलाड़ियों को आरामदायक वातवारण तैयार करना, यह पेइचिंग ओलम्पिक शूटिंग स्टेडियम का एक बेहतरीन वैज्ञानिक तकनीक मिसाल है।

यह भी सच है कि केन्द्रीय एयर कन्डीशन लगाना इतना मुश्किल नहीं है जितना कि इस से उत्पन्न हिलन व झटका शूटिंग खिलाड़ियों के लिए प्रभाव डाल सकता है। आप जानते हैं कि शूटिंग एक विशेष मैच है, मैच की हार जीत मिनी सेन्टीमीटर के अन्तर में निश्चित की जा सकती है। हल्का सा हिलन व झटका खिलाड़ियों के निशाने को चूक सकता है और मैच की सफलता पर कुप्रभाव डाल सकता है। केन्द्रीय एयर कन्डीशन से निकले इस हल्की हिलन व झटके को मिटाने के लिए, छिंगहवा यूनीवर्सिटी और संबंधित विभागों ने अनेक परीक्षण के बाद एयर कन्डीशन के लिए एक कमपाउंड हिलनहीन संयत्र तैयार किया। यह संयत्र जूते के अन्दर रखा एक एयर लेयर की तरह है जो एयर कन्डीशन के संचालन के समय निकली हिलन को एकदम कम कर सकता है। इस संयत्र के एयर कन्डीशन में लगाने से साबित हुआ है कि खिलाड़ी को अपनी बन्दूक से निशाना दागने के समय खुद व बन्दूक पर थोड़ा सा भी डगमगाहट व हिलन तक महसूस नहीं होती है, इस तकनीक ने अन्तरराष्ट्रीय शूटिंग मैच की जगह में खिलाड़ियों को निशाना बनाने के दौर में कोई भी हिलन व झटके का अहसास न होने की मांग को पूरा करने में भारी सफलता हासिल की है।