2008-07-18 10:44:05

टिकट संचय करने वाले श्री लिन स रन

"माता जी, ये टिकट क्या हैं"

"ये अनाज के टिकट हैं"

"अनाज के टिकट क्या हैं"

"अनाज के टिकट, जब मैं लड़की थी, तब हमें अनाज खरीदने के लिए पैसों के अलावा अनाज के टिकट का भी इस्तेमाल करना पड़ता था। "

मा और बेटी की बातचीत हम सुनते रहे, हम पेइचिंग स्थित राजधानी संग्राहलय में इन अनाज के टिकटों को देख रहे हैं जिन के नीचे यह लिखा हुआ है कि श्री लिन स रन ने इन्हें प्रदान किया है। श्री लिन स रन कौन हैं। मैं ने इस सवाल का जवाब पाने के लिए श्री लिन स रन के साथ संपर्क किया। अब वे एक 79 वर्षीय बूढ़े हैं। वे टिकट संचय करना पसंद करते हैं और अब तक उन के पास 40 हजार से अधिक विभिन्न प्रकार के टिकट हैं।

वे क्यों टिकट संचय करते हैं। मैं ने श्री लिन स रन के घर जाकर यह सवाल पूछने का फैसला किया।

लिन स रन के घर जाकर मैंने उन के मकान में प्रवेश किया। इस मकान की एक दीवार और मेज़ पर पुस्तकें रखी हुई हैं। इन पुस्तकों में विभिन्न प्रकार के पुराने टिकट हैं।

पिछले शताब्दी के 50 के दशकों से 80 के दशक तक इन 30 सालों में चीन में सामग्री खरीदने के लिए नियंत्रण वाली नीति अपनायी जाती थी। लोगों को जीवन सामग्री खरीदने के लिए संबंधित टिकटों का इस्तेमाल करना पड़ता था। श्री लिन स रन ने परिचय देते हुए कहा कि उस समय लगभग सभी क्षेत्रों में टिकट की ज़रूरत होती थी।

आम लोगों को अनाज, चाय, तेल आदि जरूरी चीजें खरीदने के लिए टिकट चाहिए होता था। इस के अलावा बेंच, टूथप्रेस्ट आदि चीजें खरीदने के लिए भी टिकट देना पड़ता था। श्री लिन स रन ने कहा कि सभी चीजें खरीदने के लिए टिकट का इस्तेमाल करने की वजह से उस समय टिकट बहुत महत्वपूर्ण थे। उन्होंने अनाज टिकट का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय अनाज टिकट का लोगों के पास अभाव था। अगर आप के पास अनाज टिकट नहीं है तो अनाज नहीं प्राप्त कर सकते। लोगों के जीवन में अनाज के टिकट बहुत महत्वपूर्ण थे।

उन्होंने कहा कि उस समय एक पुरूष एक महीने में सिर्फ 15 किलो अनाज प्राप्त कर सकता था। अनाज कम होने के कारण हर परिवार द्वारा प्राप्त अनाज जीवन बिताने के लिए काफी नहीं था। परिवार में गृहस्थी संभालने वाली स्त्रियों के लिए यह एक चुनौती थी। उन्हें इन टिकटों को इस्तेमाल करने के लिए योजना बनानी पड़ती थी। श्री लिन स रन की पत्नी सुश्री जौ श्यो लान ने कहा कि

उस समय एक सरदी में मैं एक रज़ाई खरीदना चाहती थी। लेकिन हमारे पास कपास के टिकट नहीं होने के कारण रज़ाई नहीं खरीद सकी। उस समय लोगों को जीवन बिताने के लिए टिकट की बहुत जरूरत थी।

उन सालों में गरीब लोग इतने महत्वपूर्ण टिकटों का संचय नहीं कर सकते थे। श्री लिन स रन ने पिछली शताब्दी के 80 के दशक से ऐसे टिकटों का संचय करना शुरू किया। उस समय चीन में रूपांतरण व खुलेपन की नीति अपनायी गयी थी और अर्थ का विकास भी हुआ था। लोग जो कुछ भी खरीदना चाहते थे खरीद सकते थे। इसलिए लोगों को टिकटों की ज़रूरत नहीं थी।

मैंने इन टिकटों का संचय क्यों किया।

ये टिकट इतिहास का प्रमाण हैं जिन से विभिन्न सालों की विशेषता जाहिर होती है।

गत 20 सालों में श्री लिन स रन ने यथासंभव कोशिश करके विभिन्न टिकटों का संचय किया है। उन के दोस्तों ने भी उन की मदद की है।

टिकट संचय करने के लिए मैं ने दोस्तों से मुझे टिकट देने को कहा। मैं ने अखबार व पुस्तकों से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश भी की।

एक बार श्री लिन स रन ने एक पुस्तक पर एक तिब्बती लड़की की कहानी देखी। पुस्तक में इस लड़की से संपर्क करने का उपाय लिखा था। उस समय श्री लिन स रन तिब्बत के अनाज टिकट प्राप्त करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस तिब्बती लड़की से संपर्क किया। सौभाग्य की बात है कि इस लड़की ने उन्हें अनाज के अनेक टिकट दिए।

श्री लिन स रन ने टिकट संचय करने के लिए बहुत पैसे भी खर्च किए हैं। उन की पत्नी ने भी उन की बड़ी मदद की है। अब वे दोनों एक साथ टिकट संचय करते हैं।

पहले मै पैसे लगाने को सहमत नहीं थी। लेकिन वे टिकट संचय करना इतना पसंद करते हैं इस से मैं बड़ी प्रभावित हुई। मैं भी टिकट संचय के इस काम को पसंद करने लगी।

श्री लिन स रन ने क्यों अपने सभी टिकटों को संग्राहलय को दान किया। उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि विकास के साथ-साथ अब दुकान में सभी चीज़ें खरीदी जा सकती हैं। लेकिन मेरे विचार में हमें इतिहास की मुश्किलों को नहीं भूलना चाहिए। मौजूदा नौजवानों को देश के विकास को समझना चाहिए।

श्री लिन स रन द्वारा संचित किए गए टिकटों से एक इतिहास बनता है। जिस से हम इतिहास को देख सकते हैं और देश के विकास को समझ सकते हैं।