2008-07-18 10:34:37

मैं बिल्ली नहीं हूं

एक दिन के दोपहर को सफेद परों वाला राजहंस गांव से बाहर निकल कर खेलने गया । वह अकेले ही खेलते खेलते जब बोर हो गया , तो किसी से साथ खेलने के लिए साथी को ढूंढने चला गया । वह एक विशाल पेड़ के नीचे पहुंचा, आंखों उठा कर ऊपर देखा , तो कोई पेड़ की शाखाओं में दुबका -छिपा नजर आया है । क्या वह छोटा बिल्ली तो नहीं। खुशी से राजहंस ने ऊंची आवाज में पुकारा , छोटा बिल्ली , ओ , बिल्ली भाई , तुम यहां पेड़ पर छिपे क्या कर रहे हो। पेड़ पर बैठे उस पशु ने राजहंस की आवाज सुन कर कहा , आप से गलती हुई है , मैं बिल्ली नहीं हूं ।

अरे , मुझे धोखे में डालने की कोशिश कर रहे हो , बिल्ली नहीं , तो तुम कौन हो . देखो , पेड़ पर से नीचे आओ , मेरे साथ मिल कर खेलने आओ ।

इस वक्त मैं खेलना नहीं चाहता , मुझे नींद आई है । कहते ही वह कथित बिल्ली ने अपनी आंखें मूंद कर दी ।

राजहंस ने खीज कर कहाः तुम बड़ा आलसी हो । दिन में भी नींद आती है , तुम मेरा मित्र नहीं बन सकोगे । राजहंस उस बिल्ली को वही छोड़ कर आगे चला गया । वह गैहं के खेत के किनारे किनारे सड़क पर आगे बढ़ रहा था , अनायास उस की नजर एक चूहे पर जा लगी , जो खेत में गैहं की बालियों की चोरी कर रहा है । राजहंस को क्रोध हुआ , उस ने ललकार कियाः बदमाश तुम हो , मैं तुझे धर दबोच कर पकड़ूंगा । कहते ही वह बड़ा डग भरते हुए चूहे की ओर झपटा , चूहा भय से ठिठक गया , फिर उल्टे पांव भागने लगा । कुछ कदम दौड़ने के बाद उस ने मुड़ कर देखा , वाह , यह तो राजहंस है , तत्काल उसे राजहंस से छेड़ने का दुष्ट विचार आया, तुम धीमी दौड़ते हो , मैं तो बहुत तेज दौड़ता हूं । तुम मुझे पकड़ नहीं सकोगे । देखो , मैं गैहं की बालियों के भोजन से पेट भर कर छोड़ूंगा , मैं अभी खाता हूं , अभी खाता हूं । गुस्से के मारे राजहंस का बुरा हाल हो गया , वह पूरी ताक्त लगा कर चूहे का पीछा करने लगा । लेकिन चूहा कूदता उछलता क्षणों में ही अदृश्य हो गया । अब क्या किया जाए , इस प्रकार का बदमाश चूहा नहीं पकड़ा गया , तो वह रोज गैहं की बालियों की चोरी करने आएगा । राजहंस ने अक्ल पर जोर लगा कर सोचने की कोशिश की , एकाएक उसे पेड़ पर छिपे उस बिल्ली की याद आई । वह फटाफट वापस पेड़ के पास लौटा और गला फाड़ फाड़ कर पुकाराः है , बिल्ली भाई , बिल्ली भाई , उधर खेत में एक चूहा है , जो गैहं की चोरी कर रहा है । तुम उसे पकड़ने जल्दी जाओ ।

भगवान जाने , उस बिल्ली ने राजहंस की आवाज सुनने पर आंखें जरा तो खोल दीं , पर बोला यहः दिन में मेरा काम नींद से सोना है , रात में मेरा काम करना का समय है ।

राजहंस को उस की बात से चिंता भी हुई , गुस्सा भी हुआ । उस ने कहाः बड़ा आलसी बिल्ली हो , काही कि दिन में सोता है । ऊंह , तुम एसा ही आलसी हो कि रात में भी ठीक ढ़ंग से काम नहीं कर सकता ।राजहंस का आक्रोश बढ़ता गया । उस का मन खेलने से भी उचट गया । अकेले ही आहिस्ते आहिस्ते घर लौटा ।

रात को भोजन से निपट कर राजहंस फिर गांव से बाहर निकल आया । वह देखना चाहता था कि पेड़ पर छिपे वह बिल्ली रात में अखिर क्या करता है । जब वह उस पेड़ के पास पहुंचा , तो देखा कि वह छोटा बिल्ली अभी पेड़ पर बैठा है । राजहंस ने कहाः छोटा बिल्ली , क्या अभी तुम नींद से नहीं जागे हो , सचमुच बेशर्म हो तुम . दिन रात सोते हो ।

उस बिल्ली ने कहाः तुम बार बार मुझे बिल्ली कहते हो , जरा गौर से देखो , क्या मैं बिल्ली हूं । इसी बात के साथ उस का सिर पेड़ के पत्तों से बाहर झांका , चांदनी रोशनी में राजहंस ने उस की ओर ध्यान से निहारा , अरे , इस बिल्ली के मुखड़े पर हुक का एक लम्बा घूमादार मुंह है , दिन में राजहंस का इस पर ध्यान नहीं लगा , इसलिए वह उसे बिल्ली समझता था । इस समय उस ने उस का हुक सा मुंह देखा , तो बड़ा आश्चर्य हुआः तुम तो बिल्ली नहीं हो।

हां , मैं बिल्ली नहीं हूं , तुम जरा ध्यान से देखो कि मैं कौन हूं । कहते हुए वह फड़ फड़ कर पेड़ पर से उड़ निकला । सफेज राजहंस ने चौंक कर पूछा कि आखिर में तुम कौन हो ।

मेरा नाम ऊल्लू है ।

वाह , ऊल्लू तुम्हारा चेहरा बिल्ली से बहुत मिलता जुड़ता है ।

हां , हम उल्लू चेहरे में बिल्ली से मिलते ही नहीं , बल्कि बिल्ली की भांति चूहो को खाना भी पसंद करते हैं ।

राजहंस को और अधिक ताज्जुब हुआः तुम चूहा खाना पसंद करते हो , तो दोपहर के समय जब मैं ने तुझ से खेत में चूहा पकड़ने जाने को कहा , तो तुम क्यों नींद से जागना नहीं चाहते ।

तुझे मालूम नहीं है कि हम उल्लू दिन में सोने और रात में चूहा पकड़ने के आदि हैं ।

एसी बात , तो तुम उस चूहे को पकड़ने जल्दी जाओ ।

ठीक है , मैं अभी चलता हूं । उल्लू पंख फड़फड़ा कर गैहं के खेत की ओर उड़ा . राजहंस भी उस के साथ हो लिया । वह देखना चाहता था कि उल्लू किस तरह चूहा पकड़ता है । किन्तु वह दूर नहीं चला कि उल्लू वापस लौटा और उस के पंजों में एक चूहा दबुच हुआ था । देखो , राजहंस भाई , यह बदमाश मेरे हाथ में आ गया ।

राजहंस अत्यन्त प्रसन्न हुए । तुम तुम चूहा पकड़ने में माहिर हो , यह कितना सराहनीय है । अब राजहंस उल्लू पर जरा भी नाराज नहीं रह गया ।