2008-07-17 15:20:13

हानयांग कब्रस्थान के बाह्य खड्डों की खुदाई में प्राप्त बड़ी तादाद में रोजमर्रे में आने वाली वस्तुएं प्रशसनीय हैं

हानयांग कब्रस्थान के निकट हान राजवंश छांग आन शहर के खण्डहर की खुदाई में प्राप्त बड़ी संख्या में मिट्टी मूर्ति ढांचों से साबित कर दिखाया गया है कि ये मिट्टी मूर्तियां इसी छांग आन शहर में तैयार करने के बाद हानयांग कब्रस्थान में राजा के साथ दफनायी गयीं । हानयांग कब्रस्थान की खुदाई में प्राप्त मिट्टी मूर्तियों की निर्माण क्रियाएं काफी जटिल थीं । गाइड चांग फेइ ने इस की चर्चा करते हुए कहा कि इतनी अधिक सूक्ष्म दुर्लभ मूर्तियों को बनाने के लिये सब से पहले यह जरूरी है कि तफसील से स्वच्छ व नरम मिट्टी का विल्प किया जाये , फिर अलग अलग प्रकार वाले ढांचों के माध्यम से मूर्तियों के सिर , शरीर , पैर और पांव बनाये जाते थे , अंत में उन्हें एक साथ जोड़ा जाता था , जबकि मूर्तियों के नाक व कान भी ढांचों से बनाये जाते थे , फिर उन्हें अलग अलग तौर पर मूर्तियों के सिर पर जोड़ा जाता था , अंत में मूर्तिकारों ने चाकूओं से मूर्तियों के चेहरों पर भिन्न भिन्न सजीव आकृतियां चित्रित कीं । इस के बाद भिन्न भिन्न हैसियतों के हिसाब से इन मूर्तियों पर अलग अलग क्वालिटी वाले पोशाक पहनाये गये ।

प्रिय दोस्तो , पहले हम उत्तर पश्चिम चीन स्थित शेनशी प्रांत की राजधानी शी आन शहर के पास आज से कोई दो हजार वर्ष पुराने हान राजवंश के शाही कब्रस्थान म्युजियम के बारे में कुछ जानकारी बता चुके हैं । आज के इस कार्यक्रम में इसी शाही कब्रस्थान की खुदाई में प्राप्त मूर्तियों व कपड़ों जैसी वस्तुएं देखने आप को ले चलते हैं।

हानयांग कब्रस्थान के निकट हान राजवंश छांग आन शहर के खण्डहर की खुदाई में प्राप्त बड़ी संख्या में मिट्टी मूर्ति ढांचों से साबित कर दिखाया गया है कि ये मिट्टी मूर्तियां इसी छांग आन शहर में तैयार करने के बाद हानयांग कब्रस्थान में राजा के साथ दफनायी गयीं । हानयांग कब्रस्थान की खुदाई में प्राप्त मिट्टी मूर्तियों की निर्माण क्रियाएं काफी जटिल थीं । गाइड चांग फेइ ने इस की चर्चा करते हुए कहा कि इतनी अधिक सूक्ष्म दुर्लभ मूर्तियों को बनाने के लिये सब से पहले यह जरूरी है कि तफसील से स्वच्छ व नरम मिट्टी का विल्प किया जाये , फिर अलग अलग प्रकार वाले ढांचों के माध्यम से मूर्तियों के सिर , शरीर , पैर और पांव बनाये जाते थे , अंत में उन्हें एक साथ जोड़ा जाता था , जबकि मूर्तियों के नाक व कान भी ढांचों से बनाये जाते थे , फिर उन्हें अलग अलग तौर पर मूर्तियों के सिर पर जोड़ा जाता था , अंत में मूर्तिकारों ने चाकूओं से मूर्तियों के चेहरों पर भिन्न भिन्न सजीव आकृतियां चित्रित कीं । इस के बाद भिन्न भिन्न हैसियतों के हिसाब से इन मूर्तियों पर अलग अलग क्वालिटी वाले पोशाक पहनाये गये ।

हानयांग कब्रस्थान के बाह्य खड्डों की खुदाई में बड़ी तादाद में रोजमर्रे में आने वाले औजार , हथियार , टेक्सटाइल वस्तुएं और अनाज आदि वस्तुएं प्राप्त हुईं । पुरातत्वीय सर्वक्षण परिणामों व प्राचीन अंतिम संस्कार से पता चला है कि हानयांग कब्रस्थान के नीचे एक भारी समृद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक अवशेषों की निधि दफनायी गयी है । गाइड चांग फेइ ने कहा कि अब हम जिस स्थल पर खड़े हुए हैं , उस के नीचे दस खुले हुए भूमिगत रास्तों में से एक है , उस की लम्बाई 94 मीटर है , जो सब से लम्बा माना जाता है , उस की दोनों ओर तीन लाइनों में खड़े मूर्ति गोदाम भी निर्मित हुए हैं , सब से वायं ओर निर्मित मूर्ति गोदाम अभी भी नहीं खुले हैं , बाकी दोनों लाइनों में खड़े गोदाम छिन्न भिन्न हुए हैं , पर इन गोदामों के खण्डहरों पर सुरक्षित हमें जौं , गेहूं और बाजरा जैसी फसलों का आसार नजर आता है ।

हानयांग कब्रस्थान के बाह्य खड्डो की खुदाई में प्राप्त इतनी अधिक विविधतापूर्ण वस्तुओं से लोगों ने हान यांग कब्रस्थान के भूमिगत दुनिया पर बड़ी दिलचस्पी दिखायी । हानयांग कब्रस्थान में जिन समाधियों की खुदाई की गयी है , वे अधिकतर सहायक समाधियां हैं , यदि इस पूरे कब्रस्थान में सभी समाधियों की खुदाई की जायेगी , तो कम से कम 150 साल का समय लगेगा । पुरातत्ववेताओं ने इन समाधियों की खुदाई करते समय इस शाही कब्रस्थान और उस के आसपास के सामंजस्यपूर्ण वातावरण को बनाये रखने के लिये जमीन पर कोई भी निर्माण निर्मित नहीं करने का फैसला किया , साथ ही यह कब्रस्तान म्युजियम इसी जमीन के नीचे स्थापित किया । गाइड चांग फेइ ने कहा कि समूचे कब्रस्थान के भूमिगत म्युजियम के सभी बाह्य खड्ड शिशाओं से संरक्षित हुए हैं और उन के संरक्षण के लिये अंदर का तापमान 23 से 24 तक सेल्सियल्स डिग्री के बीच नियंत्रित रहा है , जबकि नस 95 से 99 प्रतिशत के बीच बनी रही है , पर खुले वातावरण में नस केवल 50 प्रतिशत है ।

जब हम रहस्यपूर्ण भावना लिये शिशे बरामदे के बीच बड़ी नजदीगी से हानयांग कब्रस्थान को देखते हैं , तो हमें आज से कोई एक हजार दो सौ वर्ष पहले के हान राजवंश के राजमहल में विल्लासित शाही जीवन का आभास होने के साथ साथ आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी के जरिये प्राचीन सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण व प्रदर्शन करने में दिखाई गयी आश्चर्यजनक कमाल देखने को मिला है ।