2008-07-14 09:40:04

तिब्बती मशालधारक निमा लामू की कहानी

वर्ष 2008 पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले जून की ग्यारह तारीख को दक्षिण चीन के युन्नान प्रांत के शांगरिला में आयोजित हुई। इस गतिविधि में भाग लेने वाले मशाल धारकों में से एक तिब्बती महिला है । वह एक महिला डाकिया हैं । हर दिन निमा लामू दसियों किलो वजन के पार्सल पीठ पर लाद कर लानछांग नदी के आसपास और बर्फीले पहाड़ के रास्तों पर चलती है । वह युन्नान प्रांत के दीछिंग तिब्बती प्रिफैक्चर के तिब्बती किसान व चरवाहों की सब से स्नेहपूर्ण दादी है । उस का नाम है निमा लामू ।

तिब्बती भाषा में निमा लामू का मतलब है"सूर्य देवी"। वास्तविक जीवन में स्थानीय लोग स्नेह से निमा लामू को"लाल कपड़े वाली पत्र दूत"कहते हैं । इस सुन्दर नाम के पीछे भारी उस की कठिन मेहनत है । निमा लामू के जिम्मे कम जनसंख्या वाले विशाल क्षेत्र में डाक पहुंचाना है । पत्रों को किसानों व चरवाहों के घर पहुंचाने के लिए उन्हें बर्फीले पहाड़ की घाटी तथा लानछांग च्यांग नदी को पार करना पड़ता है । सुरक्षा के लिए निमा लामू हरे भरे पहाड़ी क्षेत्र में हरे रंग के कपड़ों की जगह रंग-बिरंगे लाल कपड़े पहनती हैं । लाल कपड़े पहनकर वे पांच हज़ार तिब्बती बंधुओं को पत्र पहुंचाती हैं । निमा लामू ने अपने कार्य के गंभीर वातावरण पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । उन्होंने कहा:

"अनेक क्षेत्रों में मार्ग नहीं है किंतु मुझे पैदल सारा रास्ता पार करना पड़ता है । विशेष कर इस वर्ष के शुरू में लगातार एक महीने में वर्षा व बर्फबारी हुई । पहाड़ी क्षेत्र में पत्र पहुंचाना बहुत कठिन काम है। लेकिन इसे समय पर लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए । सभी पत्र व पार्सल तुरंत, सुरक्षित व सही लोगों के घर तक पहुंचने चाहिए। क्योंकि किसान व चरवाहे दूर से आने वाले अपने पत्रों का इन्तज़ार कर रहे होते हैं ।"

बर्फीले पठारीय क्षेत्र में यातायात असुविधाजनक है । इस तरह पार्सल व पत्र ही स्थानीय लोगों का बाह्य दुनिया के साथ संपर्क करने का प्रमुख तरीका है। निमा लामू अपनी पीठ पर लादे हुए पार्सलों को और मूल्यवान समझती हैं । लगातार आठ वर्षों से वे यह कार्य कर रही है । उन के पति ने उन्हें इस प्रकार का काम छोड़ने की सलाह दी, लेकिन निमा लामू अडिग रही और अंत में उन के पति को उन की बात माननी पड़ी । इस की चर्चा में सुश्री निमा लामू ने कहा:

"इस वर्ष के वसंतोत्सव के दौरान हमारे यहां बर्फबारी हुई । मैं बहुत व्यस्त थी और अपनी पीठ पर ज्यादा पार्सल नहीं लाद सकती थी । मेरे पति एक टैक्सी ड्राइवर हैं । उन्होंने मेरी मदद की । हम दोनों ने पत्र व पार्सलों को पीठ पर लादा और घर-घर पहुंचाया ।"

निमा लामू को अपना कार्य पसंद है । हालांकि यह बहुत खतरनाक कार्य है , लेकिन उन्होंने इस में आनंद महसूस किया है। कुछ दिन पहले देश भर में वार्षिक राष्ट्रीय उच्च परीक्षा समाप्त हुई । निमा लामू ने कहा कि हर वर्ष राष्ट्रीय उच्च परीक्षा समाप्त होने के बाद उन के लिए काम और ज्यादा कठिन हो जाता है । लेकिन उन्हें खुशी महसूस होती है । उन का कहना है:

"उच्च स्तरीय प्रतिष्ठान में दाखिला पाने के पत्र प्राप्त करना विद्यार्थियों के लिए सब से खुशी की बात है । यह वक्त मेरे लिए भी सब से खुशी के दिन होते हैं क्योंकि उच्च स्तरीय प्रतिष्ठान के दाखिला पत्र बहुत ज्यादा होते हैं । ये पत्र साधारण पत्र से अलग हैं । क्योंकि इन पत्रों में अनेक सालों की विद्यार्थियों की पढ़ाई की अच्छी उपलब्धियां जाहिर होती हैं । मुझे इन पत्रों को खुद विद्यार्थियों के हाथों में पहुंचाना होता है । हर बार जब मैं ने इन पत्रों को विद्यार्थियों के हाथ में पहुंचाती हूं, उन की खुशी से मैं भी बहुत खुश होती हूं ।"

तिब्बती महिला डाकिया निमा लामू बहुत सदिच्छापूर्ण महिला हैं । एक महीना पहले चीन के स्छ्वान प्रांत की वनछ्वान कांऊटी में जबरदस्त भूकंप आया था । इस की चर्चा में उन्होंने कहा:

"भूकंप आने की खबर प्राप्त करने के बाद मैं और मेरे डाक घर के कर्मचारी बहुत दुखी थे । हम विपदा ग्रस्त लोगों की सहायता के लिए चंदा देना चाहते थे। दिल की बातें ज्यादा होने पर भी नहीं कही जा सकतीं। मैं हर दिन प्रार्थना करने के लिए मेली बर्फीले पहाड़ जाती हूँ । आशा है कि विपदा ग्रस्त क्षेत्रों के नागरिक शीघ्र ही ठीक होंगे और जल्द ही अपने घरों का पुनर्निर्माण करेंगे । उम्मीद है कि वे और सुनहरा जीवन देख सकेंगे ।"