2008-07-11 10:48:19

पशु पक्षियों की भाषा

छोटी मेना बड़ी होशियार और वाकपटु है , वह पढ़ने लिखने में बेहद लगन रहती है । पक्षी स्कूल में वह सब से स्मार्ट और मेहनत छात्र मानी जाती है और मनुष की बोली की खूबखू नकल कर सकती है।

छोटी मेना ने मनुष्य की बोली सीखने के अलावा पशुपक्षियों की बोलियों का भी अध्ययन किया । उस ने यों आसानी से दूसरों की बोलियों पर अधिकार तो नहीं किया , बल्कि इस के लिए उस ने कड़ी मेहनत की थी ।

एक बार मेना ने एक गांव में एक श्रेष्ठ शिक्षक पाया , वह है मुर्गा । छोटी मेना ने मुर्गा का बांग देने के हुनर सीखने की कोशिश की । कु-कु-कु की बुलंद आवाज दे कर मुर्गा लोगों को जागते हुए बोला , नया दिन शुरू हो गया , शीघ्र ही उठो , काम पर जाओ ।

थोड़ी देर के बाद सुर्य दादा का लालिमा से चमकीला मुखड़ा क्षितिज से ऊपर निकला और देखते ही देखते सारा गांव आलोकित हो उठा ।

फूल युवती सज धज कर रंगीन वस्तों में लिटी खिली । का--का--का , बत्तख की बोली सुनाई दी , इस का अर्थ है मैं नहाने जा रहा हूं । क-ता--क-ता , मुर्गी बोली , उस ने लोगों की याद दिलाई है कि मैं ने अंडा दे दिया है ।

वॉ -मु--वॉ--मु , भैंस दादा ने आवाज दी , वह कहता है कि मैं खेत जोतने जा रहा हूं । छोटी मेना ने बड़ी खुशी से मुर्गा से कहाः आप की आवाज नाजवाब है । आप के बांग देने पर सारा गांव चहल पहल हो उठा ।

मुर्गा बोला , तुम ने अभी जो सुना है , वह सब ध्वन्यात्मक भाषा है , एसी भाषा भी होती है , जिस की ध्वनि नहीं सुनाई देती है । तुझे इस प्रकार की भाषा का भी अध्ययन करना चाहिए ।

छोटी मेना ने कहा, कमाल है , बिना ध्वनि की भाषा भी है । मुर्गा ने कहा, आकाश से धरती तक जहां तुम लगन से तलाश करेगी , वहां ऐसी ही भाषा पाएंगी ।

छोटी मेना फुलों की बाग में उड़ आई , बाग में मधुमक्खियों के झुंड का झुंड इधर उधर उड़ते हुए फुलों का रस चुसने में व्यस्त रहा । मेना ने खोज की निगाह से मधुमक्खी के काम के तौर तरीके पर गौर किया और उसे मधुमक्खी के रहस्य का पता चला । असल में मधुमक्खी की बोली नाचने पर बनती है । वे कभी गोल गोल चक्कर लगाती हैं , कभी आठ के आकार में नाचती है और कभी हिलते डोलते हुए नाचती है । वे अलग अलग आकार की नाच से अपने साथियों को बताती है कि पराग के लिए फुलों की बाग कहां मिल सकती है , वह यहां से कितनी दूर है और फुल कितने मिलते हैं ।

छोटी मेना ने आकाश में उड़ते हुए नीचे की ओर झांका , वाह , ज्मीन पर चिंटियों का एक विशाल झुंड आहार की तलाश में रेंगने जा रहा है । वे कभी एक दूसरे को स्पर्श करते हैं ,कभी एक दूसरे का गंध सूंघ लेते हैं । गौर से देखने पर मेना समझ में आई कि चिंटियों की यह हरकत वास्तव में उन की ध्वनि हीन भाषा है । इस तरह वे आपस में हाल चाल पूछते हैं ।

छोटी मेना मयूर के आंगन में आयी , आंगन में नर मयूर मादा मयूर के आगे आपना खूबसूरत पंख दिखाते हुए अपना मुहब्बत जताता है ।छोटी मेना ने सोचा कि मौर जरूर इस प्रकार की अभिव्यक्ति से बातचीत करते हैं ।

दिन ढला . छोटी मेना विश्राम के लिए वन में लौटी , अचानक वांग--वांग-- की आवाज सुनाई दी , यह कुत्ता की बोली है । कुत्ता अपने मालिक को सतर्क कर रहा है । मेना ने नजर दौड़ाई , अरे , शिकारी दादा आ पहुंचा है , छोटी मेना ने बड़े विनय से नमस्कार कियाः नमस्ते ,दादा । शिकारी दादा ने उस की ओर गौर करते हुए कहा, अच्छा , छोटी मेना है । कमरे में साथ आओ ।

छोटी मेना ने शिकारी दादा से विभिन्न नस्लों के पशु पक्षियों की बोली बताने का अनुरोध किया । शिकारी दादा ने कहा , जब तुम ध्यान से खोज बीन करोगी , तो विभिन्न जानवरों की बोली तुम्हारी पकड़ में आएगी । हां , एक प्रकार की भाषा यानी सुपरसोनिक तरंग मुश्किल से पकड़ा जा सकता है । जैसा कि चमगादड़ की भाषा डोलफिन की भाषा है , वह लोगों को सुनाई नहीं देती है । इसलिए उसे आसानी से सीखी नहीं जा सकती । लेकिन मेहनत करने से उसे भी जाना जा सकता है ।

छोटी मेना ने लगन से अध्ययन करके अंत में विभिनन पशु पक्षियों की भाषाओं पर अधिकार कर ही लिया ।