2008-07-10 15:31:34

राह चलना सीखना

आज से दो हजार वर्ष पूर्व चीन के यान राज्य वंश में एक ऐसा आदमी रहता था , जो अपने राह चलने के ढंग पर असंतुष्ट था । उस ने किसी से सुना था कि चाओ राज्य वंश की राजधानी हान तान शहर के लोग बड़े सुन्दर ढंग से चलते है और देखने में बहुत सुखद लगता है । तो उस ने उन से राह चलने की चाल सीखने हान तान जाने की ठान ली थी ।

हान तान शहर में प्रवेश करते ही यान राज्य के उस आदमी ने देखने को पाया था कि सड़क पर चल रहे लोगों का ढंग बहुत सुन्दर और शानदार है , जहां तक वृद्ध-वृद्धाओं और बाल बच्चों के चलने की चाल भी बड़ा आकर्षक है । यान राज्य के आदमी ने पाया कि हान तान के लोगों की चलने की चाल में राजधानी की विशिष्ठ शिष्टाचारी की झलक होती है । इसलिए वह तुरंत वहीं राहियों के पीछे हो लिए और उन के चलने का ढंग सीखने लगा ।

किन्तु कई दिन गुजरने के बाद भी यान राज्य का आदमी हान तान लोगों का चलने का ढंग सीख नहीं पाया । उस ने सोचा कि कहीं चलने में मेरी पुरानी आदत बहुत पक्की और मुश्किल से बदलने की तो नहीं . शायद मुझे चलने का अपना पुराना ढंग पूरी तरह त्याग देना और नए सिरे से उन का ढंग अख्तियार करना चाहिए । ऐसा सोटते ही उस ने शुरू से सीखने की प्रतीज्ञा की । उस ने हान तान के लोगों से पांच उठाने , कदम बढ़ाने , हाथ रखने तथा कमर पर बल देने के हर तौर तरीके की नकल करना शुरू किया और यांत्रिक रूप से हान तान के चलने की चाल पर अमल करता रहा । इस तरह सीखते सीखते काफी समय बीत गया था , लेकिन उस ने राह चलने का नया ढंग तो सीख नहीं पाया , फिर अपना पुराना ढंग भी पूरी तरह भूल गया । जब वह अपना देश --यान राज्य वापस जा रहा था , उसे ठीक ढंग से नहीं चल सकने के कारण घुटनी के बल पर रेंगते हुए चलना पड़ा ।

दोस्तो , इस नीति कथा की शिक्षा बहुत स्पष्ट है कि दूसरों की खुबियों से सीखना एक अच्छी नीयत है , लेकिन यान राज्य वंश के इस व्यक्ति की तरह यांत्रिक ढंग से दूसरों की नकल करना हानिकर है ।

ह-श का जेड

प्राचीन चीन के छुन राज्य वंश में ह-श नाम का एक शिल्पी रहता था । एक दिन उसे पहाड़ से एक असाधारण पत्थर हाथ मिला , अपने प्रचूर अनुभव से उसे पता चला कि इस पत्थर के अनदर एक अनमोल जेड छिपा है । ह-श ने जेड युक्त पत्थर को छुन राज्य के राजा ली को भेंट कर दिया , राजा ली ने दरबारी शिल्पी को इस पत्थर पहचाने का आदेश दिया , दरबारी शिल्पी ने उसे एक साधारण पत्थर बताया , राजा ली को बहुत क्रोध आया , उस की हुक्म से ह-श के एक पांवको चीड़ कर काट दिया गया।

राजा ली के देहांत के बाद राजा वुई गद्दी पर बैठा , ह-श ने इस जेड युक्त पतथर उसे भी भेंट किया , राजा वुई ने दरबारी शिल्पी को पत्थर परखने का आदेश भी दिया , दरबारी शिल्पी ने फिर पत्थर को साधारण बताया , फिर राजा वुई की हुक्म से ह-श का दूसरा पांव भी काट कर छोडा गया ।

कुछ वर्षों के बाद राजा वुई का भी निधन हुआ , तो वन राजा की गद्दी पर बैठा । एस बार ह-श उस पत्थर को गोद में लिए पहाड़ की तलहटी में बैठे तीन रात रोना पड़ा , रोते रोते उस के आंसू सूख पड़े और आंखों से खीन निकल आया ।

यह घटना वन राजा के कानों में भी पहुंची , उस ने अपने आदमी को ह-श के रोने का कारण पूछने भेजा , ह-श ने जवाब में कहा कि मुझे अपने पांव काटे जाने पर दुख नहीं है , मुझे इस बात पर दुख है कि आखिर क्यों सफेद को काला कहलाता है , अनमोल जेड को बेकार पत्थर बताया जाता है । बड़ी दुख की बात तो यह है कि वफादारी को धोखेबाजी करार की जाती है ।

वन राजा ने दरबारी शिल्पी को ह-श के पत्थर को चीड़ कर खोदने का आदेश दिया , तो उस के अन्दर अनमोल जेड छिपा हुआ पाया गया । इस के बाद यह जेड ह-श जेड के नाम से चीन में अब तक मशहूर रहा है ।

दोस्तो , सच्चाई सच्चाई होता है , किसी से गलत कहने से वह सत्य नहीं बदलेगा । फिर सच्चाई पर डटे रहना विशेष सराहनीय है । ह-श के सच्चाई पर कायम रहने से ही अनमोल रत्न प्रकाश में आ सका और एक शिक्षाप्रस्द कथा सदियों से लोगों के दिल में याद रही ।

अगले साल बदलूंगा

कहा जाता है कि एक चोर था , वह पास पड़ोस के घरों के मुर्गों की चोरी करना पसंद करता था । एक दिन वह केवल एक मुर्गे की चोरी करता था । यदि किसी दिन चोरी नहीं कर पाता , तो उसे बड़ी परेशानी महसूस होती थी । पड़ोसियों ने उसे सलाह देते हुए कहा कि चोरी एक अनैतिक बात है , इस तरह रोज रोज चोरी करने का निश्चय ही बुरा परिणाण निकलेगा , तुम अपनी इस गतली को दूर करो । चोर भी चाहता था कि अगली बार वह चोरी नहीं करेगा । उस ने सलाह देने वालो पड़ोसी से कहा , आप की बातें ठीक है , मैं फिर चोरी नहीं करूंगा , लेकिन मुझे गुर्गे की चोरी करने की खासी आदत पड़ गई है , जलदी में उसे बदल नहीं सकूंगा , खैर , मैं ऐसा करूं , पहले मैं रोज एक मुर्गे की चोरी करता था , अब से मैं हर महीने में एक की चोरी करूंगा , इस हिस्साब से अगले साल जा कर मैं अपनी बुरी आदत को पूरी तरह छोड़ सकता हूं ।

   लोगों के लिए यह बुरी आदत है कि अपनी गलती को दुरूस्त करने का पक्का संकल्प नहीं है या अपनी गलती को माफ देता है ।