2008-07-08 15:26:03

तिब्बती जौ का शराब और तिब्बती मदिरा गीत

चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश"विश्व की छत कहलाने वाले छिंग हाई तिब्बत पठार पर स्थित है, यहां के विशेष प्राकृतिक सौंदर्य देशी विदेशी लोगों को बरबस आकृष्ट करता है । पर्यटकों के दिल में तिब्बती लोगों के खुले और जोशीले स्वभाव और मेहमाननवाज़ी की याद हमेशा ताजा रहती है । जब आप तिब्बती बंधु के घर पधारे , तो वे अपने स्वनिर्मित तिब्बती जौ का मीठा शराब पेश कर आप को पिलाते हैं, गीत गाते हैं और आशीर्वाद देते हैं । मधुर मदिरा गीत के साथ आप तिब्बती जाति के अनोखी रीति रिवाज़ का खूब लुत्फ उठा सकते हैं, और तिब्बती जौ की खुशबू में नशे हो जाते हैं ।

तिब्बत के ग्याचा क्षेत्र में एक ऐसा तिब्बती मदिरा गीत प्रचलित है, जिस में तिब्बती शराब और तिब्बती गीत के पुराने संबंध अभिव्यक्त हुए है , गीत के बोल इस प्रकार हैः

आप शराब पीजिए

और गीत गाइय,

जो जीवन के लिए अनिवार्य हो ।

सुनिए, राजकुमारी वन छङ की कथा

लीजिए, लुनबु गावा का मदिरा,

जो तिब्बत के इतिहास का अध्याय है।

ग्याचा में प्रचलित इस तिब्बती मदिरा गीत में तिब्बत के इतिहास व रीति रिवाज़ के अनेक रहस्य गर्भित हैं । गीत में चर्चित दो पात्र राजकुमारी वन छङ और लुनबु गावा तिब्बती शराब के विकास इतिहास से घनिष्ट रूप से जुडे हुए थे ।

प्राचीन काल में थांग राजवंश की राजकुमारी वन छङ तत्कालीन थु पो यानी तिब्बत के राजा स्वङजानकांबू के साथ शादी के लिए थांग राजवंश की राजधानी छांग आन से तिब्बत आयी । राजकुमारी वन छङ और राजा स्वङजानकान्बू की प्रेम कहानी चीन की हान जाति और तिब्बती जाति के बीच परम्परागत मैत्री की आदर्श मिसाल बन चुकी है । कहा जाता है कि राजकुमारी वनछङ थांग राजवंश की राजधानी छांग आन से रवाने के वक्त वहां की शराब बनाने की तकनीक भी तिब्बत लायी ।

लुनबु गावा तिब्बती राजा स्वङजानकान्बू के मंत्री थे, जो राजकुमारी वन छङ के स्वागत के लिए विशेष तौर पर छांग आन गए । लुनबु गावा और तिब्बती शराब के बारे में एक कहानी भी प्रचलित है । कहते हैं कि राजा स्वङगजानकान्बू ने अपने मंत्री लुनबु गावा को एक कानून बनाने का आदेश दिया । लम्बे समय सोचने के बाद भी लुनबु गावा को कानून बनाने के लिए असमर्थ हुए । जब उन्होंने सुना कि फङ यु नामक शहर में एक बच्चा बहुत होशियार है , तो उन्होंने इस बच्चे की तलाश करने के लिए अपने चार अफसर भेजे । अखिरकार चार अफसर फङ यु शहर में एक बच्चे से मिले, उन्होंने बच्चे से पूछा कि तुम्हारे माता पिता कहां हैं । तो बच्चे ने जवाब दिया कि पिता जी भाषा की खोज और माता जी आंखों की खोज के लिए चले गए । बच्चे के वाक्य का मतलब चार अफसरों की समझ में नहीं आया । लेकिन थोड़ी देर बाद बच्चे के पिता एक बोटल का शराब और माता एक बत्ती लिए वापस लौटे । तभी इन चार अफसरों ने समझ लिया कि शराब भाषा का स्रोत है और बत्ती अंधेरी रात की आंखें। इस लिए वे इस बुद्धिमान बच्चे को राजमहल में वापस ले आए । इस कहानी में तिब्बत जाति की शराब के प्रति विशेष समझ व मान्यता अभिव्यक्त होती है ।

आम तौर पर तिबब्ती पुरूष शराब पीना पसंद करते हैं । तिब्बती पुरूष वर्ग मदिरापान को मर्दानगी का प्रतीक मानते हैं । तिब्बत के कुछ क्षेत्रों में गर्भवर्ती तिब्बती महीला भी जौ का शराब पीती हैं , बेटे का जन्म देने के बाद उन्हें जौ के शराब में गुड़ व घी डालकर पिलाया जाता है , उसे स्वास्थ्य लाभ के लिए पौष्टिक आहार माना जाता है । त्यौहार के दिनों में तिब्बती लोग जरूर शराब पीते हैं और शादी ब्याह की रस्म में शराब पीना अनिवार्य होता है । यहां तक कि तिब्बती लोगों के बीच अगर झगड़ा हुआ, तो झगड़ के दोषी पक्ष दूसरे पक्ष को शराब भेंट कर उस से माफ़ी मांगता है ।

तिब्बत के ग्रामों व चरगाहों में तिब्बती जौ के शराब पीना बहुत सामान्य बात है । विशेष कर तिब्बती पंचांग के अनुसार नए साल के वक्त, तिब्बती महिलाएं त्यौहार मनाने के लिए समय से पूर्व ही जौ का शराब बनाती हैं । नए साल के प्रथम दिन से पंद्रहवें दिन के बीच हर तिब्बती लोग चाहे बच्चे हो या बुढ़े, पुरूष हो, या महिला ,सभी शराब पीते हैं, हरेक घर और सारे गांव में शराब की खुशबू दूर दूर फैली सुंघी जा सकती है । त्योहार के दिनों में परिवार के सदस्य और अपने दोस्त, रिश्तेदार एक साथ बैठ कर शराब पीते हुए बातचीत करते हैं और नाचते गाते हैं । शराब के मधुर गीत हवा में गूंज उठते हैं ।

वास्तव में तिब्बती जाति के लिए शराब एक किस्म का शिष्टाचार सूचक बन गया । तिब्बती जाति में मेहमान के स्वागत के लिए, परिवार के सदस्य द्वार के सामने खड़े होकर मेहमान को मंगल सूचक सफेद कपड़ा फीता यानी हादा और मदिरा भेंट करते हैं, यह मेहमान के सम्मान में किया जाने वाला सब से भव्य शिष्टाचार माना जाता है । मेहमान दोनों हाथों से शराब ले कर सर्वप्रथम आसमान की ओर तीन बार जाम पेश करते हुए देव-देवता को अपना आस्था पहुंचाते हैं और इस के बाद उसे एक सांस में तीन कपों के शराब पीते हैं, तभी सब लोग जोश में जोश मिलाने के लिए गाना नाचना शुरू कर देते हैं ।

जाम चढ़ाने के वक्त तिब्बती लोग गाना नाचना पसंद करते हैं । तिब्बत बंधुओं के विचार में जाम के साथ अगर गाना नहीं होता , तो शराब का मज़ा पानी की तरह फीका लग जाता । इस तरह तिब्बत में शराब और गाना जुड़वा वस्तु बन गए है । तिब्बत में यह कहावत खूब चलता है कि अच्छा शराब तुम पीओ, मधुर गीत मैं गाऊं, मत रूको शराब पीना , न थमने दे गीत गाना।

ऐतिहासिक ग्रंथों से पता चला है कि सातवीं शताब्दी यानी थू पो राज्यवंश के काल में ही जाम पेश करने के गीत तिब्बत में प्रचलित हो गये थे । थू पो के राजा द्वारा मंत्रियों व विदेशी राजदूतों से भेंट करने के दौरान और मंत्रियों को दावत खिलाते के वक्त मदिरापान रस्मी आयोजन होता था । इस काल में शराब पर समूह गायन और गाने में निपुण व्यक्ति का एकल गायन दोनों प्रचलित होते थे । वास्तव में शराब पीने और गीत गाने से माहौल भावभीना हो सकता है और मेज़बान और मेहमान के बीच ज्यादा घनिष्ठ संबंध कायम भी हो सकता है ।

तिब्बती जौ का शराब तिब्बत में सब से सस्ता व सब से प्राकृतिक शराब है । आजकल तरह तरह के शराब विभिन्न स्थानों से तिब्बत आ चुके हैं । लेकिन बर्फिले पठार में तिब्बती जौ का शराब फिर भी सब से आकर्षक शक्ति रखने वाला शराब माना जाता है । खुशबू शराब तु पीओ, और मधुर गीत मैं गाऊं, तिब्बत की इस रहस्यमय भूमि में आप जब पधारे , तो जरूर आप को यहां के शराब की संस्कृति भी पसंद होगी ।