2008-07-07 16:02:14

श्री हु चिनथाओ जी आठ और संबंधित देशों के नेताओं की वार्ता में उपस्थित होंगे


चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिन थाओ सात जुलाई को दोपहरबाद जापान के होक्काईडो में होने वाले जी आठ और संबंधित देशों के नेताओं के वार्तालाप सम्मेलन में भाग लेने के लिए पेइचिंग से रवाना हुए । सम्मेलन के दौरान श्री हु चिनथाओ वार्तालाप में उपस्थित नवोदित विकासमान और पश्चिम के विकसित देशों के नेताओं के साथ अनेक द्विपक्षीय भेंट वार्ता करेंगे और वर्तमान प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय सवालों पर सलाह मशविरा करेंगे ।


दो दिन के व्यस्त कार्यक्रमों के दौरान चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ 8 तारीख को चीन , भारत , ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका व मैक्सिको जैसे पांच विकासमान देशों के नेताओं की सामूहिक भेंट वार्ता में भाग लेंगे , जिस में समान रूचि वाले सवालों पर रायों का आदान प्रदान होगा । 9 तारीख को वे जी आठ और पांचों विकासशील देशों के वार्तालाप में उपस्थित होंगे , जिस में मुख्यतः पूंजी निवेश , सृजन , विकास जैसे पूर्व वार्तालाप में निर्धारित सवालों की विकास प्रक्रिया पर विचार विमर्श किया जाएगा । इस के बाद उसी दिन आयोजित होने वाले बड़े आर्थिक देशों के ऊर्जा व मौसम परिवर्तन संबंधी शिखर सम्मेलन में मौसम परिवर्तन पर विचार विनिमय होगा । फिर जी आठ के सदस्य देश और पांचों विकासमान देश तथा ओस्ट्रेलिया , इंडोनेशिया व दक्षिण कोरिया के नेतागण कार्य लंच सभा में होंगे जिस में मुख्यतः विश्व अर्थ स्थिति व अनाज सुरक्षा पर विचार विमर्श किया जाएगा ।

पिछले साल के जी आठ व विकासशील देशों के नेताओं के सम्मेलन में श्री हु चिनथाओ ने मौसम परिवर्तन पर चीन के रूख व प्रस्ताव पर ब्योरेवार व्याख्या किया । अन्तराष्ट्रीय लोकमतों ने कहा कि श्री हु चिनथाओ के भाषण से मौसम परिवर्तन से युक्तिसंगत व समान रूप से निपटने का विकासमान देशों का रवैया जाहिर हुआ है । इस साल के सम्मेलन में मौसम परिवर्तन पुनः एक मुख्य विषय रहा । एक संवाददाता सम्मेलन में चीनी राष्ट्रीय मौसम परिवर्तन निपटारा नेतृत्वकारी दल के अधिकार श्री सू जङ ने चीन का रूख दोहरायाः

व्यापाक विकासमान देश आज के मौसम परिवर्तन सवाल के लिए गैर जिम्मेदार है , बल्कि वे मौसम परिवर्तन के कुप्रभाव के सब से बड़े शिकार हैं । मौसम परिवर्तन की समस्या इतनी बड़ी प्रभावकारी , गहरी और व्यापक बन गयी कि इस का समाधान केवल इस परिवर्तन के लिए मुख्य जिम्मेदारी उठाने वाले विकसित देशों द्वारा नहीं किया जा सकता , उस के समाधान केलिए विश्व के विभिन्न देशों को संयुक्त राष्ट्र मौसम परिवर्तन ढांचागत संधि और क्योटो प्रोटोकोल में निर्धारित समान , पर अलग अलग जिम्मेदारी के सिद्धांत के मुताबिक सच्चे सहयोग के जरिए समान रूप से भरसक कोशिश करना चाहिए ।

अनाज सुरक्षा का सवाल हमेशा मानव जाति के सामने एक मुख्य मामला है । इधर के सालों में तेजी से बढ़ते विश्व अनाज मूल्य के कारण अन्तरराष्ट्रीय अनाज सुरक्षा को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ा है। एक अरब 30 करोड़ जन संख्या वाले देश के नाते चीन विश्व अनाज सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभालेगा । चीनी कृषि मंत्रालय के अन्तरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के प्रधान श्री ली जङतुंग ने कहा कि कुछ देशों द्वारा अनाज को जैवी ईंधन बनाने से अनाज सुरक्षा पर जो असर पड़ेगा , इस की उपेक्षा नहीं की जा सकती और मौसम परिवर्तन से भी अनाज सुरक्षा के प्रति दीर्घकालीन चुनौती पैदा होगी । उन्हों ने कहाः

चीन सरकार हमेशा अपने देश की अनाज सुरक्षा की गारंटी करती रहेगी और साथ ही विश्व अनाज सुरक्षा के लिए अपना अन्तरराष्ट्रीय कर्तव्य निभाएगा तथा विश्व अनाज व कृषि विकास के लिए अपना योगदान करेगा।

जून 2003 के बाद अब चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ पांचवीं बार जी आठ सम्मेलन के ढांचे में विकसित व विकासमान देशों के नेताओं के वार्तालाप सम्मेलन में भाल ले रहे हैं । मौजूदा वार्तालाप के प्रति चीन के रवैय की चर्चा में चीनी विदेश मंत्री के सहायक श्री ल्यू च्ये ई ने कहाः

हम जी आठ व संबंधित देशों , खास कर विकासमान देशों के नेताओं के वार्तालाप पर बड़ा महत्व देते हैं । हमें आशा है कि मौजूदा सम्मेलन दक्षिण उत्तर वार्तालाप के हित में होगा और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाएगा , विश्वव्यापी सवालों के समाधान को बढ़ावा देगा और एक चिरस्थाई शांतिपूर्ण , समान समृद्ध व सामंजस्यपूर्ण दुनिया के निर्माण के लिए योगदान करेगा । चीन इस के लिए विभिन्न पक्षों के साथ मिल कर कोशिश करने को तैयार है ।