2008-07-04 16:15:41

स्वेइ राजवंश के अन्तिम काल के किसान-विद्रोह और थाङ राजवंश की स्थापना

स्वेइ सम्राट याङती ने अपने शासनकाल में भोगविलास के लिए बड़े-बड़े महल बनवाने में सार्वजनिक कोष का घोर अपव्यय किया। उसने छाङच्याङ नदी के दक्षिण के इलाके की तीन बार आमोद-यात्राएं भी कीं। उसकी इन गतिविधियों में श्रमशक्ति और वित्तीय साधनों की भारी बरबादी होती रही। उसने तीन बार कोरिया पर हमला कर उसे जीतने की कोशिश की और अपने सेन्य-अभियानों के लिए दसियों लाख किसानों को सैनिकों व बेगारियों के रूप में जबरन भर्ती किया। परिणामस्वरूप, जनता तबाह हुई और सरकारी खजाना लगभग खाली हो गया ;उत्पादन लगभग ठप्प हो गया और किसानों का बोझ असहनीय हो गया। वर्ग अन्तरविरोध तीव्र से तीव्रतर होते गए तथा उन्होंने किसान-विद्रोहों को जन्म दिया। इन विद्रोहों में चाए राङ व ली मी के नेतृत्व में वाकाङ किसान सेना द्वारा किया गया विद्रोह (यह उस स्थान पर हुआ था जहां वर्तमान हनान प्रान्त है), तओ च्येनते के नेतृत्व में वर्तमान हपेइ प्रान्त के अनेक स्थानों पर किया गया विद्रोह, जिसमें विद्रोहियों ने उन स्थानों पर कब्जा भी कर लिया था, और तू फ़ूवैइ व फ़ू कुङशि द्वारा चीन के दक्षिणपूर्वी भाग में किया गया विद्रोह सबसे बड़े थे। इन तीनों विद्रोहों ने मिलकर स्वेइ राजवंश पर भीषण प्रहार किया।

जिस समय किसान-विद्रोहों की लपटें देशभर में उठ रही थीं, अभिजात वर्ग के लोग, सरकारी अफसर और जमींदार अपनी निजी सेनाएं बनाकर देश के इस या उस भाग पर अपना-अपना कब्जा करने में लगे हुए थे। उन्होंने किसान-विद्रोह की विजय-उपलब्धियों को, जो वास्तव में किसानों को मिलनी चाहिए थीं, स्वयं हड़प लेना चाहा और अपनी सत्ता व प्रभाव की रक्षा करते हुए उनका विस्तार किया। 617 ई. में ली य्वान (565-635) नामक एक कुलीन और उसके पुत्र ली शिमिन (थाङ राजवंश का सम्राट थाएचुङ, शासनकाल 627-649) ने थाएय्वान में विद्रोह का झण्डा बुलन्द किया और शीघ्र ही स्वेइ राजवंश की राजधानी छाङआन पर कब्जा कर लिया। 618 ई. में स्वेइ सम्राट याङती, अपने एक अंगरक्षक द्वारा उस समय मार डाला गया जबकि वह च्याङतू में घिरा हुआ था। उसकी मृत्यु के साथ ही स्वेइ राजवंश का भी अन्त हो गया। उसी वर्ष ली य्वान ने छाङआन में सम्राट की उपाधि धारण कर अपने नए राज्य थाङ राजवंश (618-907) की स्थापना की। इस नए राजवंश ने किसान-विद्रोहों को निर्दयता से कुचल डाला और क्षेत्रीय सत्ताधारियों को समाप्त कर देश का एकीकरण किया।