प्राचीन चीन के वुई राज्य वंश में सू नाम का एक आदमी रहता था , उसे कोई दूसरी पसंद नहीं थी , महज बिल्ली पालने का शौक था । उस के घर में सौ से ज्यादा छोटी बड़ी और विभिन्न रंगों के बाल वाली बिल्ली पाले जाते थे । पहले पहले बिल्ली ने घर के चूहों का पकड़ कर खात्मा कर दिया , फिर पास पड़ोस के घरों के चूहों का भी पकड़ कर सफाया कर दिया । आस पास के सभी चूहों का सफा चाट किया जाने के बाद बिल्ली भूख से बड़ी परेशान रही थी , तो उन्हें खिलाने के लिए सु नाम का आदमी बाजार से मांस खरीद कर लाने लगा । इस तरह कई साल गुजरे थे , बिल्ली की नई नई संतानें भी जन्मी रहीं । नई पीढी के बिल्लियों को खाने के लिए चूहा नहीं मिल पाता था , वे जन्म से ही मालिक द्वारा खरीद लाए मांस खाती थी और धीरे धीरे इस के आदि भी हो गई थी । जब कभी भूख लगी , तो म्यांओं की आवाज देने पर मालिक उन्हें मांस खिलाता था । जरा सी मेहनत की जरूरत भी नहीं थी , आहिस्ते आहिस्ते बिल्ली बड़ी सुस्त हो गई , रोज भर पेट खाने के बाद नींद से सोती थी और धूप सेंकती थी , उन्हें इस का पता भी नहीं चला कि दुनिया में चूहा नाम की चीज भी मौजूद है और चूहा पकड़ना उन का जन्मसिद्ध फर्ज है ।
नगर के दक्षिण भाग में बसे एक घर में चूहों का बोलबाला होता था , घर के मालिक को बताया गया था कि सु नाम के घर में बहुत सी बिल्लियां पाली जाती हैं , तो वह सु के घर जा कर उस से एक बिल्ली उधार कर लाया । उम्मीद थी कि वह चूहा पकड़ कर खत्म कर देगी । लेकिन सु की बिल्ली ने जब देखा कि चूहों के सिर पर दो नुकली कानें खड़ी है , दोनों आंखें छोटी छोटी हैं , मुंह पर दोनों तरह दाढ़ी उगी हुई हैं तथा वे ची -ची की आवाज देते हुए मकान में उधर उधर दौड़ते कूदते नजर आ रहे हैं , तो उसे कुछ नया नया अनुभव होने के साथ साथ थोड़ी डर भी हुई थी । वह मेज पर ऊकड़ू बैठी चूहों की हरकत को ध्यान से देखती रही , किन्तु मेज से नीचे कूद कर चूहा पकड़ने की हिम्मत नही आयी । इस घर के मालिक को बिल्ली की इस प्रकार की नाकम्मी पर बड़ा गुस्सा आया और जोर के साथ बिल्ली को मेज पर से जमीन पर छोड़ा । बड़ी डर के मारे बिल्ली मयांओ म्यांओ की आवाज के साथ पीछे हटने लगी । बिल्ली की यह दशा देख कर चूहा बड़ा खुश हुए , उसे नाकम्म पहचान कर सभी चूहे आगे लपक कर बिल्ली की मरम्मत करने लगे , कोई बिल्ली के पांव को नोंच कर रहा था , कोई उस के पुच्छ को पकड़ रहा था , तो कोई उस के पीठे पर कूद कर उसे ताड़प कर रहा था । दर्द और भय के कारण बिल्ली जोर से उछल पड़ी और दुम दबा कर भाग गयी ।
क्या आप ने कभी सुना है कि बिल्ली चूहे से डरती है . नहीं सुना , तो सही है । दरअसल यह नीति कथा हमें बताती है कि ज्यादा आरामदेह जीवन बिताने से लोगों का मनोबल कमजोर हो सकता है और उस में जीवन बिताने की शक्ति भी क्षीण हो सकती है । सच यह भी है कि आधुनिक युग में बहुत से पालतू पशु जैसे बिल्ली और कुत्ता मालिक के घरों में रहने के कारण उन की अपनी वंशगत प्राकृति लुप्त होती है ।
दक्षिण के लिए उत्तर की दिशा में बढ़ना
बहुत प्राचीन काल की बात थी , एक व्यक्ति थाई हांग पहाड़ के क्षेत्र में रहता था , एक दिन , वह छु राज्य जाना चाहता था , छु राज्य थाईहांग पहाड़ के दक्षिण में स्थित था , सो वहां जाने के लिए इस व्यक्ति को दक्षिण की दिशा में जाना चाहिए था । लेकिन गाड़ी पर बैठे ही उस ने कारवान को उत्तर की ओर चले जाने का हुक्म दिया । गाड़ी बड़ी तेज गति के साथ उत्तर की दिशा में दौड़ने लगी ।
रास्ते में एक परिचित लोग इस व्यक्ति से मिल गया , उस ने थाई हांग वासी से पूछा , आप यह किधर जा रहे हैं ?
उस ने जवाब में कहा , मैं छु राज्य जाना चाहता हूं ।
ओह , छु राज्य दक्षिण में है , आप उल्टी दिशा उत्तर में जा रहे हैं । परिचित ने समझाया ।
कोई बात नहीं , मेरा यह घोड़ा बढिया नस्ल का है , दिन में वह हजार ली और रात में आठ सौ ली दौड़ सकता है ।
दोस्तो , कहानी के बीच आप को बताना जरूरी है कि चीनी नाप के अनुसार एक ली पांच सौ मीटर के बराबर है । अच्छा , अब आगे चलें ।
परिचित लोग ने कहा ,यार , आप का घोड़ा कितनी तेजी से दौड़ क्यों न सके , फिर भी उत्तर की ओर चलने से आप छु राज्य नहीं पहुंच सकते ।
उस व्यक्ति ने फिर कहा , कोई बात नहीं , मेरे पास पर्याप्त धन राशि है , लम्बी यात्रा के लिए काफी है , दिनों की सफर में भी भूख की खतरा नहीं है ।
यात्रा का पैसा ज्यादा होने पर भी काम नहीं चलेगा , क्यों कि उत्तर की दिशा में आप छु राज्य नहीं पहुंच सकते ।
चिंता की कोई बात नहीं है , मेरा कारवान बड़ा श्रेष्ठ कारवान है , वह गाड़ी को बड़ी आराम से हांक सकता है , कोई उस का सानी नहीं है ।
कहते ही उस ने कारवान को फिर रास्ता पकड़ने से कहा , गाड़ी फिर तेज गति के साथ उत्तर की दिशा में दौड़ने लगी । यह व्यक्ति नहीं समझता था कि उस का घोड़ा जितना तेजी से दौड़ क्यों न सकता हो , उस की धन राशि जितनी ज्यादा क्यों न हो और उस का कारवान जितना भी कयों न कुशल हो , तो उतना वह छु राज्य से ज्यादा दूर चला जाएगा ।
किसी भी काम के लिए उस का लक्ष्य साफ होना चाहिए और इस के विपरित कोशिश से बचना चाहिए , वरना आप का लक्ष्य कभी प्राप्त नहीं हो सकता ।