2008-07-02 16:20:40

निद्रा का मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव

हमारी जिंदगी का एक तिहाई भाग सोने में ही बीतता है । सोने का मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ घनिष्ठ संबंध है । काफी और अच्छी तरह सोने पर मनुष्य के स्वास्थ्य का आधारभूत स्तंभ खड़ा होता है । लेकिन सोने का विज्ञान भी है । निद्रा के प्रति अधिकांश लोगों को वैज्ञानिक जानकारियां नहीं है । उदाहरणार्थ हमें रोज़ कितने घंटों के लिए सोना चाहिये , कैसा सोना अच्छा सोना कहा जा सकता है और दोपहर के खाने के बाद सोने का क्या फायदा होता है , इत्यादि ।

सर्वप्रथम हमारे पास निद्रा के प्रति वैज्ञानिक जानकारियां होनी चाहियें । वैज्ञानिक अनुसंधान के मुताबिक रात भर की सुप्तावस्था को आम तौर पर चार पांच चरणों में बांटा जा सकता है । और हरेक चरण के तीन भाग हैं , यानी हल्के से सोने का भाग , गहन रूप से सोने का भाग और आंखें घुमाने का भाग । तीसरे भाग में सोने वाले आदमी की आंखें जल्दी से घूमती रहती हैं । इस के बाद ही आदमी के सोने का एक नया चरण आता रहता है ।

ऐसी आम जानकारी प्राप्त कर हम निद्रा का अधिक अनुसंधान कर सकते हैं । पर आम लोगों के लिए रोज़ कितने समय के लिए सोना चाहिये , इस सवाल का जवाब देते हुए चीनी निद्रा अनुसंधान सोसाइटी की अध्यक्ष , आनह्वेई चिकित्सा विश्वविद्यालय की शरीरविज्ञान-विशेषज्ञ प्रोफेसर च्यांग चिंग शिंग ने कहा , मनुष्य को रोज़ कितने समय सोना चाहिये , इस की मात्रा अलग-अलग आदमी के लिए भिन्न- भिन्न हो सकती है । औसतन एक प्रौढ़ के लिए रोज़ 7.5 घंटों का सोना प्राप्त होना चाहिये । पर छह घंटे से नौ घंटे तक की निद्रा सब के ळिए पर्याप्त है । पर अगर नींद ठीक नहीं आई तो निद्रा का समय वास्तव में बेकार है , और अगर हम सुबह उठते समय तरोताज़ा महसूस करते हैं , तो इस का मतलब है कि पिछली रात को अच्छी नींद आई है ।इसलिए दीर्घकाल तक सोने का कोई फायदा नहीं है । विशेषज्ञों का ऐसा निष्कर्ष है कि लम्बे अरसे तक सोने से शारीरिक लाभ के बजाए क्षति भी पहुंच सकती है , और इस से आदमी की आयु पर भी कुप्रभाव पड़ सकता है ।

पर हम कैसे अच्छी निद्रा प्राप्त कर सकते हैं । उपर अभी हम ने कहा कि निद्रा के तीन भाग हैं , पर उन में गहन रूप से सोने का भाग सब से महत्वपूर्ण है । आम प्रौढ़ों के लिए रात भर के सोने का 15 से 20 प्रतिशत का भाग गहन निद्रा का होता है। जब आदमी गहन निद्रा में फंसते हैं , तब उन की सभी चेतना खत्म होती है। इसी स्थिति में मनुष्य पूरी तरह आराम ले सकता है , जो उस के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है ।

चीनी निद्रा अनुसंधान सोसाइटी की अध्यक्ष प्रोफेसर च्यांग चिंग शिंग ने कहा कि अगर कोई उच्च गुणवत्ता वाली निद्रा प्राप्त करना चाहता है , तो उसे सोने की अच्छी आदत बनाये रखनी चाहिये । यानी सर्वप्रथम चेतना को सुला कर सारे शरीर को आराम करना ही पड़ता है , नहीं तो हम गहन निद्रा में नहीं जा सकते । फिर भी थोड़ा पहले यानी दस बजे से पहले सो जाने की आदत अच्छी है । क्योंकि शारीरिक तापमान की वजह से गहन निद्रा आम तौर पर रात के पिछले भाग में आती है , रात के पश्चात भाग में लोगों को गहन निद्रा कम आती है ।

प्रोफेसर च्यांग ने यह भी कहा कि सियस्ता यानिकि दोपहर के खाने के बाद सोना मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है । क्योंकि आदमी सुबह से लंच टाइम तक हमेशा तनाव में रहता है , अल्प समय के लिए दोपहर के खाने के बाद सो लेने का बहुत फायदा होता है ।पर इसमें यह भी निर्दिष्ट है कि लंच के बाद अधिक समय के लिए सोने का फायदा नहीं है ।

दस मिनट से आधे घंटे तक दोपहर के खाने के बाद सोना बहुत अच्छा है।लेकिन अगर कोई दोपहरबाद अत्यधिक समय के लिए निद्रा में गया , तो उस के लिए जागना भी आसान न रहेगा । क्योंकि गहन-निद्रा में से जगने के लिए भी अधिक समय चाहिये ।

सो जाने के बाद भी दर्जनों समस्याएं आती रहती हैं । उन में खुर्राटे भरना और अनिद्रा की समस्या अक्सर दिखाई पड़ती हैं । रिपोर्ट है कि चीन में 20-30 प्रतिशत लोग खुर्राटों से ग्रस्त रहते हैं और अनिद्रा से ग्रस्त लोगों की यह मात्रा 40 प्रतिशत है। इन रोगों से न सिर्फ लोगों की निद्रा पर कुप्रभाव पड़ता है , बल्कि लोगों की तबियत को भी हानि पहुंचती है । रोगी श्री तंग ने अपने रोग की चर्चा करते हुए कहा , मैं अनेक सालों के लिए खुर्राटे का शिकार रहा हूं । इससे मुझे रात को अच्छी नींद नहीं आती , और दिन में भी अक्सर ऊँघता रहता हूं । इसी तरह मेरी याददाश्त भी कमजोर होने लगी है ।

दूसरे श्री यांग भी अनेक सालों के लिए अनिद्रा के शिकार बने रहे हैं । श्री यांग ड्राइवर का काम करते रहे हैं । वे रोज केवल तीन-चार घंटों के लिए सो सकते हैं । निद्रा के अभाव के कारण वे हमेशा चुस्त-दुरुस्त नहीं महसूस करते। मार्ग पर गाड़ी चलाते समय उन्हें बहुत आशंका रहती है ।

खुर्राटे और अनिद्रा भी रोग ही हैं और ये लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक हैं । पेइचिंग जन अस्पताल के श्वास के अंतः दवा-विभाग की उप प्रधान डाक्टर हान ने कहा , रात को खुर्राटे भरने से यह जाहिर है कि आदमी का श्वास एक समय के लिए बन्द होता है । लेकिन कुछ आदमी खुर्राटे भरने के साथ-साथ श्वास भी ले सकते हैं । इस रोग के इलाज में आज आम तौर पर श्वास मशीन और आँपरेशन ये दो तरीके अपनाये जाते हैं ।

उधर अनिद्रा भी समस्याकारक बात है । इस रोग के पीछे मानसिक रोग , वातावरण और दूसरे बहुत से शरीरिक रोग मौजूद हो सकते हैं । इसलिए इस रोग के इलाज में कुंजी यह है कि न सो पाने के कारण का पता लगाया जाना चाहिये । और याद रहे कि अगर कोई अनिद्रा में पड़े , तो अंधाधुंध तौर पर स्वयं सोने की गोलियां खरीद कर हर्गिज़ न खांए , क्योंकि इस से न सिर्फ रोग का इलाज नहीं किया जा सकता , बल्कि शरीर को हानि भी पहुंच सकती है ।