2008-07-09 14:49:37

खाद्य --और जीव-ऊर्जा में संतुलन

पिछले कुछ दिनों में जिस तरह पाशचात्य प्रेस ने जी-एइट शिखर वार्ता में मौसम-संबंधी यानि क्लाइमेट चेंज से संबंधित विशव के प्रमुख नेताओं के विचारों के आदान-प्रदान को एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना है।साथ ही चीन में सरकार द्वारा पालित जीव-उर्जा योजना को ठीक तरीके से , एक महत्तवपूर्ण कदम मानते हुए, प्रेस में इस कदम के बारे में लोगों को जानकारी देनी थी।

यह योजना का शीर्षक है ' चीन की मध्य तथा दीर्घ कालीन पुन:नवीनिकरण ऊर्जा कार्यक्रम '। वास्तव में ऐसे सरकारी कागज और कार्यक्रम काफी महत्तवपूर्ण हैं लेकिन यह काफी खेद की बात है की चीन के अखबारों में प्रधान मंत्री के द्वारा इस महत्तवपूर्ण दस्तावेज में हस्ताक्षर के कुछ चित्रों के अलावा कोई उत्साह नहीं दिखाया गया।

साथ ही पिछले सप्ताह चीन की काफी शक्तिशाली आर्थिक आयोग , राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग ने चीन की मौसम सुधार से संबंध राष्ट्रिय योजना जारी की।

इन घटनाओं का कुछ समाचार पत्रों ने अपने वेबसाइटों में सरकारी दस्तावेजों को ज्यों का त्यों प्रकाशित किया लेकिन चीनी प्रेस ने ऐसे रचनात्मक कदमों के बारे में जनता को इनके उल्लेखनिय विषयों के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी।आज चीन के निरंतर विकास से जो ऊर्जा की अभूतपूर्व कमी सभी ओर महसूस किया जा रहा है औप जब चीन को उसके विकास के लिए पर्यावरण से संबंध कुछ विषयों पर एक तरीके का समझौता करना पड़ रहा है, चीन का अपने आप के प्रति और अंतर्राष्ट्रिय समपदाय के प्रति अपना कर्त्तव्य काफी बढ़ गये हैं।

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए चीन की सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में कई सारे कदम उठाये हैं। ऐसे में प्रेस में ऐसे कदमों का स्वागत करना और लोगों में उर्जा और पर्यावरण के बारे में चेतना बढ़ाना काफी आवशयक हैं।

पिछले कुछ दिनों में राजधानी पेइचिंग में एक विचारघोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें केंद्रिय सरकार ने कोर्न यानि अनाज को इथनोल में तफ्दील करने, जो गैसोलिन का स्थानापन्न है , की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

इसके बजाय चीन जीव-ऊर्जा तक्नालोजी पर आधारित गैर-खाद्य पदार्थो का इस्तेमाल करेगी ताकि खाद्य पदार्थो का ऊर्जा के लिए उपयोग करने की आवश.कता न पड़े।

पिछले वर्ष की नवम्बर माह में ऊर्जा की जरुरतों को पूरा करने के लिए अनाजों की मांग काफी बढ़ गयी थी जिसके वजह से कुछ खाद्य पदार्थों का दाम बढ़ गया था। ऐसे प्रोजेक्ट कुछ सरकारी और कुछ गैर सरकारी थे। इसका कुप्रभाव कई तरीके से आम लोगों की जीवन को प्रभावित किया।

उदाहरण के लिए पिछले नवम्बर को ही ले लीजिए, आज सात माहों का बाद, अनाज की दाम कीमती होने के कारण, पशुपालन के क्षेत्र में जानवरों को खिलाने और पालने के दामों में बढ़ोत्तरी हो गयी और फिर अंत में सूअर की मांस, यानि पोर्क की दाम भी काफी कीमती हो गये।

कुछ देशों को ऊर्जा और खाद्य पदार्थों का संतुलन बनाये रखने में कोई दिक्कत नहीं होती है लोकिन चीन में ऐसे संतुलन बहुत आवशयक है और सरकार के ऐसे कदमों के बारे में जनता को बताना और जागरुक करने में प्रेस को अपना दायित्व निभाने से परे नहीं होना चाहिए।