2008-06-23 16:42:28

तिब्बत में हुई ऑलंपिक मशाल रिले दौड के पहले मशाल धारक गांग बुंग

21 जून को पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में आयोजित हुई ।मशाल रिले के पहले मशाल धारक गांग बुंग थे ,जो विश्व में उत्तरी ढलान से विश्व की सब से ऊंचे पहाड चू मू लांग मा पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं ।अब उन का जीवन कैसा है ,पेइचिंग ऑलंपिक के बारे में उन का क्या विचार है। इन सवालों को लेकर हाल ही में हमारे संवाददाता ने उन के साथ एक विशेष बातचीत की ।

गांग बुंग का जन्म तिब्बत के शिगाजे में हुआ ।उन के घर के बाहर खडे होकर विश्व की सब से ऊंची चोटी चू मू लांग मा दिखती है ।वर्ष 1958 में गांग बुंग चीनी पर्वतारोहण टीम में शामिल हुए ।दो साल के बाद यानी 1960 में गांग बुंग ने अपने साथी वांग फू चो और छू रन हवा के साथ उत्तरी ढलान से चू मू लांग मा पर आरोहण करने में सफलता प्राप्त की । तीन व्यक्तियों में से गांग बुंग सब से पहले चू मू लांग मा की चोटी पर पहुंचे । इस तरह गांग बुंग ने मानव के पर्वतारोहण इतिहास में एक नया रिकार्ड स्थापित किया ।

इस के बाद अपने पर्वतारोहण जीवन में गांग बुंग ने दसेक बार विश्व की सब से ऊंची चोटी चू मू लांग मां पर आरोहण करने में सफलता प्राप्त की है। अब गांग बुंग रिटार्यर हो गए हैं और घर में सुखमय जीवन बिता रहे हैं। तिब्बत के पहाडों व नदियों की चर्चा करते हुए गांग बुंग सटीकता से पहाडियों की ऊंचाई व नदियों की दिशा बता सकते हैं। पहाडों के प्रति उन की गहरी भावना उन के खून में घुल-मिल गयी है ।

8 मई को पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले चू मू लांग मा की चोटी पर सफलता से हुई ।टी वी पर सीधा प्रसारण देखकर गांग बुंग बहुत उत्साहित हुए और बडा गौरव महसूस किया ।उन्होंने कहा , ऑलंपिक मशाल विश्व की सब से बडी चोटी चू मू लांग मा पर प्रज्वलित की जाना एक असाधारण बात है । इस से मुझे वर्ष 1960 में चू मू लांग मा पर आरोहण करने की याद आ गयी ।टी वी पर सीधा प्रसारण देखते हुए मैं ने सोचा कि वर्ष 1960 में चू मू लांग मां की चोटी पर पहुंचने के बाद हम ने जहां राष्ट्रीय झंडा गाड़ा था ,वहां इस बार ऑलंपिक मशाल प्रज्वलित की गयी ।

गांग बुंग ने कहा कि उन का जीवन पहाडों से जुडा है । अब उन की आशा है कि युवा पर्वतारोही भी पहाडों से प्रेम करेंगे ।उन्होंने कहा ,अनेक साल पहले मैं रिटार्यर हो गया था। मुझे आशा है कि वर्तमान में युवा पर्वतारोहण खिलाडी अधिक कठोर अभ्यास करेंगे ।जब तुम ने पर्वतारोहण अपना कार्य चुना ,तो तुम को इस पर अंत तक कायम रहकर तिब्बत के खेल कार्य के लिए योगदान देना चाहिए ।यह युवा खिलाडियों की जिम्मेदारी है ।

गांग बुंग की आयु सत्तर वर्ष से ज्यादा है ।इसलिए वे स्थल पर चू मू लांग मां पर हुई ऑलंपिक मशाल रिले नहीं देख सके ।इस के लिए उन्हें थोडा सा खेद है ।पर 21 जून को गांग बुंग ने प्रथम मशाल धारक के नाते ल्हासा में हुई मशाल रिले में भाग लिया। ऑलंपिक की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा ,वर्ष 1958 से मैं एक पेशेवर खिलाडी बन गया ।तब से अब तक पचास साल हो गए हैं .चालू साल में ऑलंपिक हमारे देश में आयोजित होगा ।खेल जगत के एक बूढे व्यक्ति व तिब्बत जाति के एक खेल से जुडे व्यक्ति के नाते ऑलंपिक मशाल रिले में भाग लेने पर मैं बहुत खुश हूं ।मुझे विश्वास है कि पेइचिंग ऑलंपिक एकता व मैत्री का प्रतिनिधित्व करेगा और भव्य व शानदार रूप से आयोजित होगा ।क्योंकि पेइचिंग ऑंलपिक को पूरे देश की जनता का समर्थन है ।