2008-06-20 14:55:33

मॉनिंग गलोरी

सुबह सूर्य दादा पूर्व की क्षितिज पर उदित हुआ , स्वर्णिम लालीमा सड़के किनारों पर खड़े पोप्लर पर पड़ी , पोप्लर ने ओसों से अपना मुंह धोया , जिस से उस के शरीर में बड़ी ताजगी का संचार आया ।

मुंह धोने के बाद पोप्लर में बगल में खड़े पौधों और फुलों के साथ खेलने की चाह जागी । इसी समय कोई आवाज दीवार पर से सुनाई दी । पोप्लर ने सिर उठा कर देखा , वहां ऊंची ऊंची दीवार पर हरे भरे पत्तों के पौधे उगे है , पत्तों के दरमान कुछ बैंगनी रंग के फुल खिले है । पोप्लर उन सुन्दर फुलों पर मनमुग्ध हो गया , वह खोया खोया सा उस की ओर निहारने लगा , तभी बैंगनी रंग के फुल गाना गाने लगाः

ता -ता-ता- , मॉनिंग गलोरी शहनाई बजाने लगा ,

पेड़ पौधा हाथ बजाते मुस्कराते खिलते रहा ।

तितली सुन्दरी नाच गान कर रही है ,

मधुमक्खी उड़ उड़ शहद बीनने आई ।

हां , बैंगनी रंग के फुल असल में मॉनिंग गलोरी था , पोप्लर ने कहा , मॉनिंग गलोरी बहन , तुम्हारा गाना कितना सुरीली है ।

अपने की तारीफ सुन कर मॉनिंग गलोरी खुशी से बाग बाग हो उठी ।

पोप्लर ने पूछा , बहन जी , कोई फुल पेड़ों पर खिलता है , कोई जमीन पर , किन्तु यह क्यों है कि तुम दीवार पर उगती है ।

मॉनिंग गलोरी ने मुस्कराते हुए कहा , यह सही नहीं है कि हम दीवार पर उगी हैं , हम भी जमीन में से उगे बाहर निकली है।

तो , तुम कैसे दीवार पर चढ़ गई ।

एक मॉनिंग गलोरी फुल ने उत्तर में कहा , हम आंगन की दीवार के सहारे ऊपर आई हैं ।

तभी पोप्लर को समझ में आया , उस ने कहा , बहन जी , तुम्हारा शक्ल सूरत सचमुच बच्चों का खिनौली यानी छोटी शहनाई जैसी लगती है ।

हां जी , चूंकि हमारी सूरत छोटी शहनाई जैसी होती है , इसलिए चीन में हमारा नाम शहनाई का फुल पड़ा है । कहते कहते मॉनिंग गलोरी पुनः ता-ता-ता गाने लगी ।

मॉनिंग गलोरी का मिठी गाना सुन कर एक छोटी मधुमक्खी भिनभिनाहट के साथ मॉनिंग गलोरी के फुल में से शहद लेने आई । तितली भी गानेसे आकर्षित हो कर उड़ कर आ पहुंची , वह गाने के राग का साथ देते हुए नाचने लगी । पोप्लर ने जोश में आ कर हाथ बजानेलगा तथा ताल पर ताल देता रहा । सभी खुशी में गाते नाचते रहे ।

लाल लाल सूरज काफी ऊंचा चढा था , तेज धूप में जमीन तपने लगी । मॉनिंग गलोरी ने कहा , दुपहरी हुई है , अब सोने का समय हो गया । पोप्लर ने अनुरोध किया , मॉनिंग गलोरी बहन , एक गाना फिर गाओ । नहीं , पोप्लर भेया ,दोपहर को हमें नींद से सोना जरूरी है , कल सुबह तुम्हारे साथ खेलूंगी , अच्छा है ना . कहते हुए एक बाद एक सभी मॉनिंग गलोरी के फुल मुंह बन्द हो गए । मधुमक्खी और तितली भी पोप्लर से नमस्ते कह कर चली गई । पोप्लर भी तपती धूप में सुस्त हो कर सो गया ।

दूसरे दिन की सुबह , पौ अभी नहीं फटा था कि पोप्लर नींद से जागा , लेकिन दीवार पर फैले मॉनिंग गलोरी के फुल अब भी मीठी नींद में मग्न सो रही थी । पोप्लर को उसे जगाने की हिम्मत नहीं थी , उसे पास खड़ा प्रतीक्षा करना पड़ा । थोड़ी देर के बाद , सूर्य का उदय हुआ , मॉनिंग गलोरी की आंखें भी शौले शौले खुल गई , उन का शहनाई जैसा मुंह धीरे धीरे खुलता गया , सूरज की लाली में उन का बैंगनी वस्त्र और निखर आया । पोप्लर उन्हें पुकारने को था कि वे उस की ओर मुड़ आई । इस समय मधुमक्खी और तितली भी उड़ कर आई , वे मिल जुल कर गाने नाचने लगी । पोप्लर तार पर तार देता रहा , सभी खुशी में अपने को भूल गए लग रहे थे ।