2008-06-19 11:45:07

वई निंग कांऊटी की सरकार व स्थानीय लोग काले बगुआओं के संरक्षण में सक्रिय

वई निंग कांऊटी के पर्यावरण संरक्षण विभाग के जिम्मेदार व्यक्ति वांग ल्यांग ने इस का परिचय देते हुए कहा कि हम ने निम्न कई कदम उठा दिये हैं कि एक , आसपास के व्यापक जन समुदाय को छाऔ हाई झील क्षेत्र और काले गले बगुआओं के संरक्षण का महत्व समझाने पर जोर दिया गया है । दो , सरकार ने काले गले बगुआओं के अस्तित्व सवाल के समाधान के लिये नियमित रूप से खिलाने का बंदोबस्त किया है । तीन , गैर कानूनी तौर पर काले गले बगुआओं को मारने पर रोक लगायी गयी है । ऐसा कहा जा सकता है कि इधर सालों में काले गले बगुआ को गैर कानूनी तौर पर पकड़ने या मारने की कोई घटना नहीं हुई , जिस से काले गले बगुआओं की अस्तित्व व विकास की गुंजाइश को सुनिश्चित किया गया है।

वई निंग कांऊटी के पर्यावरण संरक्षण विभाग के जिम्मेदार व्यक्ति वांग ल्यांग ने इस का परिचय देते हुए कहा कि हम ने निम्न कई कदम उठा दिये हैं कि एक , आसपास के व्यापक जन समुदाय को छाऔ हाई झील क्षेत्र और काले गले बगुआओं के संरक्षण का महत्व समझाने पर जोर दिया गया है । दो , सरकार ने काले गले बगुआओं के अस्तित्व सवाल के समाधान के लिये नियमित रूप से खिलाने का बंदोबस्त किया है । तीन , गैर कानूनी तौर पर काले गले बगुआओं को मारने पर रोक लगायी गयी है । ऐसा कहा जा सकता है कि इधर सालों में काले गले बगुआ को गैर कानूनी तौर पर पकड़ने या मारने की कोई घटना नहीं हुई , जिस से काले गले बगुआओं की अस्तित्व व विकास की गुंजाइश को सुनिश्चित किया गया है।

साथ ही स्थानीय सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को लोकप्रिय बनाने में भी तेजी लायी है और स्थानीय वासियों को मानव व प्रकृति और मानव व पक्षियों के सामंजस्यपूर्वक साथ साथ रहने की धारणा का प्रचार प्रसार किया । स्थानीय सरकार के प्रचार प्रसार की वजह से स्थानीय किसानों की धारणा में भी सुधार आया है , अब उन्हों ने पक्षियों के संरक्षण के महत्व को ज्यादा समझ लिया है और सजगता से पक्षिय़ों की रक्षा करने के लिये प्रयास किया है।

पता चला है कि चालू वर्ष की शुरुआत में दक्षिण चीन में भयंकर बर्फबारी विपत्ति पैदा हुई , क्वेचओ प्रांत भी इस का अपवाद नहीं है, ऐसी स्थिति में स्थानीय किसानों ने काले गले बगुआओं को बचाने के लिये प्रतिदिन स्वेच्छा से एक हजार पांच सौ किलोग्राम से अधिक मक्कई निकाल कर खिला दिया है , जिस से काले गले बगुआओं का संरक्षण किया गया है । इधर सालों में प्रतिवर्ष काले गले बगुआओं की संख्या में करीब चार प्रतिशत की वृद्धि बनी रही है ।

वई निंग कांऊटी के प्राईमरी व मीडिल स्कूलों में पर्यावरण संरक्षण का विषय पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है , ताकि बाल बच्चे बचपन से पर्यावरण संरक्षण में सजग हो सके । इस कांऊची के नम्बर एक प्राईमरी स्कूल की छात्रा थांग छाओ ने कहा कि दर्लभ पक्षियों का संरक्षण उस की और अपने परिवार के सभी सदस्यों की समान अभिलाषा ही है ।

उस ने कहा कि स्कूल में हुई एक पर्यावरण संरक्षण गतविधि में मैं ने पर्यावरण और पक्षियों जैसे जानवरों के संरक्षण का महत्व समझ लिया है , चाहे राष्ट्रीय दर्जे वाले संरक्षित पक्षी हो या न हो , सभी प्राणों का संरक्षण करना अत्यावश्यक है । इधर सालों में मेरे पापा ने पक्षियों द्वारा फसल बरबाद किये जाने पर शिकायत नहीं की है , इतना ही नहीं , उन्हों ने अभी अकसर गांववासियों के साथ पक्षियों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में भाग लिया है । मेरा विचार है कि अब गांववासी छाऔ हाई झील क्षेत्र में रहने वाले वासियों का सुखी जीवन बनाने और काले गले बगुआओं की रक्षा करने के लिये हरसंभव प्रयास करते हैं ।

वर्तमान में क्वे चओ प्रांत छाई हाई झील क्षेत्र की रक्षा के लिये आसपास के पर्वतों को घेर कर वृक्षारोपण करने जैसे कदम उठा दिये हैं , जिस से छाऔ हाई झील क्षेत्र के पारिस्थितिकि पर्यावरण में उल्लेखनीय सुधार आया है । अब हर वर्ष सर्दियों से बचने के लिये नाना प्रकार वाले एक लाख से अधिक पक्षियां छाई हाई में आ बसते हैं । आज के छाई हाई झील क्षेत्र में मानव जाति व पक्षियों के बीच सामंजस्यपूर्ण रूप से साथ साथ रहने का चित्र विचित्र दृश्य व्याप्त है ।